जयंत के रूप में विपक्षी एकता को लगेगा दूसरा बड़ा झटका? अखिलेश से 'दूरी' के बीच BJP कर सकती है RLD की इच्छा पूरी

दो जुलाई, 2023 को बड़े सियासी घटनाक्रम के तहत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सीनियर नेता अजित पवार ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार में उपमुख्यमंत्री पद की, जबकि पार्टी के आठ अन्य नेताओं ने भी मंत्री पद की शपथ ली।

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तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइल)

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो
जयंत चौधरी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) को लेकर अटकल है कि विपक्षी खेमे से भाजपा में आने वाली अगली पार्टी उनकी आरएलडी हो सकती है। सूत्रों की मानें तो रालोद प्रमुख ने रविवार (दो जुलाई, 2023) को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक सीनियर नेता और केंद्रीय मंत्री से मुलाकात की। दोनों के बीच इस दौरान लगभग दो घंटे तक बातचीत चली, जिसमें उनके एनडीए में शामिल होने की संभावना भी शामिल थी।
हालांकि, आरएलडी की ओर से चौधरी और केंद्रीय मंत्री के बीच हुई कथित बैठक का खंडन किया गया। सोमवार (तीन जुलाई, 2023) की सुबह आरएलडी के राष्ट्रीय महासचिव कुलदीप उज्जवल ने बताया- यह सच नहीं है। जयंत की लड़ाई विचारधारा की है। बीजेपी के साथ उनकी कोई बैठक नहीं हुई है।
इस बीच, यूपी में रविवार को केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने पत्रकारों से बड़ा दावा किया कि चौधरी आने वाले दिनों में एनडीए ज्वॉइन कर सकते हैं। बकौल अठावले, "वह पटना वाली बैठक (विपक्षियों की) में नहीं जाएगी। वह अखिलेश यादव से नाखुश हैं और हमारे साथ आ सकते हैं।"
वैसे, अगर चौधरी अपना पाला बदल लेते हैं तब विपक्षी एकता के लिए दूसरा बड़ा झटका होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि रविवार को ही एनसीपी में टूट हुई थी और अजित पवार समेत एनसीपी के टॉप नेता बीजेपी-शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार में शामिल हो गए थे, जिससे अपोजीशन की यूनिटी को पहला बड़ा शॉक लगा था।
चौधरी और यादव के बीच कुछ समय के लिए खटपट से जुड़ी बातें सामने आई थीं। सूत्रों के मुताबिक, आरएलडी नेता के लिए राज्य सभा की एक सीट को लेकर अखिलेश और चौधरी के बीच मनभेद पनपा था। मोल-तोल की स्थिति के बाद सपा की ओर से सीट दी गई थी, पर कुछ और मसले भी थे। दोनों टॉप नेता उसके बाद दूर हो गए थे। चूंकि, आरएलडी और सपा 2019 के आम चुनाव के समय से साथ में हैं और उन्होंने पिछले साल के विधानसभा चुनाव भी मिलकर लड़े थे।
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अभिषेक गुप्ता author

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