400 से ज्यादा इंडियन फूड प्रोडक्ट्स में पाए गए कीटनाशक और धातु, रिपोर्ट में सामने आईं ये बड़ी बातें

यूरोपीय संघ ने 400 से अधिक भारत से आयात किए जा रहे खाद्य प्रोडक्ट्स पर प्रतिबंध लगाया है। डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट में हानिकारक तत्वों वाले 14 उत्पादों के बारे में बताया गया है। कुछ वस्तुएं पुरानी बीमारियों का कारण बन सकती हैं और उनमें ट्राइसाइक्लाज़ोल, साल्मोनेला और एफ्लाटॉक्सिन जैसे खतरनाक पदार्थ होते हैं।

Food Products

खाद्य सामग्री। (तस्वीर साभार: Freepik)

New Delhi: हम जैसा खाते हैं, वैसे ही बनते हैं। ज्ञान की ऐसी बातें अक्सर हमें अच्छा खाने और स्वस्थ जीवन शैली जीने के लिए प्रेरित करती हैं। लेकिन, कैंसर पैदा करने वाले एजेंटों के साथ खाद्य पदार्थों और मसालों की मिलावट पर हालिया न्यूज अपडेट ने निश्चित रूप से इस बात की चिंता बढ़ा दी हैं कि क्या आज के दौर में खाना सुरक्षित है? ऐसे सवाल उठने लाजमी हैं, क्योंकि एक मीडिया रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि यूरोपियन यूनियन ने 2019 से 2024 के बीच 400 से ज्यादा भारत से आयात किए जा रहे खाद्य प्रोडक्ट्स पर बैन लगा दिया है। खाद्य पदार्थों में कंटेनमेंट मिलने की वजह से ये कदम उठाया गया है।

5 सालों के बीच भारत के 400 फूड प्रोडक्ट्स पर बैन

रिपोर्ट्स के अनुसार, 2019 और 2024 के बीच भारत के 400 से अधिक निर्यात गुणवत्ता वाले उत्पादों को यूरोपीय संघ ने अत्यधिक दूषित होने के रूप में चिह्नित किया गया था। डेक्कन हेराल्ड द्वारा 400 भारतीय खाद्य उत्पादों की पीडीएफ सूची के साथ प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि इनमें से 14 प्रोडक्ट्स विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचाने या डैमेज करने के लिए जाने जाते हैं और अन्य उत्पादों के अलावा मछली समेत सी-फूड में मरकरी और और कैडमियम जैसे खतरनाक धातु पाए गए हैं।

बढ़ जाता है किडनी और हृदय रोग का खतरा

इसमें कहा गया है कि ऑक्टोपस और स्क्विड समेत 21 उत्पादों में कैडमियम था, जिससे क्रोनिक किडनी रोग, हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कम से कम 59 उत्पादों में ऐसे कीटनाशक होते हैं जिन्हें कैंसरकारी (कैंसर की वजह) माना जाता है। इनमें कार्सिनोजैनिक कैमिकल पाया गया। चावल, जड़ी-बूटियों और मसालों में पाए जाने वाले रसायनों में ट्राइसाइक्लाज़ोल भी शामिल है, जो अपने कार्सिनोजेनिक और जीनोटॉक्सिक गुणों के कारण यूरोपीय संघ में प्रतिबंधित हैं। इसके अलावा, 52 से अधिक उत्पादों में एक से अधिक कीटनाशक या कवकनाशी (Fungicides) पाए गए, कुछ में तो पांच से भी ज्यादा कीटनाशक पाए गए हैं।

लिवर को नुकसान और बनता है कैंसर का कारण

डेक्कन हेराल्ड रिपोर्ट द्वारा साझा की गई पीडीएफ रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि लगभग 20 उत्पादों में 2-क्लोरोएथेनॉल मिला, जो एथिलीन ऑक्साइड का एक जहरीला उपोत्पाद (Toxic Byproduct) है। इसमें कहा गया है, "ओक्रैटॉक्सिन ए, एक प्रतिबंधित मायकोटॉक्सिन, मिर्च, कॉफी और चावल सहित 10 उत्पादों में पाया गया था।" रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि साल्मोनेला 100 अन्य उत्पादों के अलावा जैविक शतावरी, अश्वगंधा और तिल के बीज में पाया गया था।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मूंगफली के दानों और अखरोट क्रैकर्स में एफ्लाटॉक्सिन, एक जहरीला कार्सिनोजेन और म्यूटाजेन होता है जो लिवर को नुकसान और कैंसर का कारण बन सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार धनिया के बीज के पाउडर में क्लोरपाइरीफोस पाया जाता है जो एक ऑर्गेनोफॉस्फेट कीटनाशक, एसारिसाइड और माइटिसाइड है जिसका उपयोग मुख्य रूप से पत्ते और मिट्टी से पैदा होने वाले कीटों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
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