Oxfam India के खिलाफ CBI का ऐक्शनः FCRA उल्लंघन के आरोप में FIR, दिल्ली में दफ्तर पर तलाशी भी

कंप्लेंट (जो अब एफआईआर का हिस्सा है) में आरोप लगाया गया है कि ऑक्सफैम इंडिया का एफसीआरए रजिस्ट्रेशन खत्म हो गया है। फिर भी उसने बाकी माध्यमों से रुपए के लेनदेन के लिए कानून का उल्लंघन किया।

Oxfam India

तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइल)

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो

गैर-सरकारी संगठन ऑक्सफैम इंडिया की मुश्किलें बढ़ गई हैं। बुधवार (19 अप्रैल, 2023) को देश की सबसे बड़ी एजेंसी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) उल्लंघन के आरोप में ऑक्सफैम इंडिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। सीबीआई ने यह ऐक्शन केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक शिकायत के आधार पर लिया।

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑक्सफैम इंडिया के कुछ पदाधिकारियों के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज हुई है। कंप्लेंट (जो अब एफआईआर का हिस्सा है) में आरोप लगाया गया है कि ऑक्सफैम इंडिया का एफसीआरए रजिस्ट्रेशन खत्म हो गया है। फिर भी उसने बाकी माध्यमों से रुपए के लेनदेन के लिए कानून का उल्लंघन किया।

कंप्लेंट में आरोप है, “सीबीडीटी की ओर से इनकम टैक्स (आईटी) सर्वेक्षण के दौरान मिले ई-मेल से ऐसा लगता है कि ऑक्सफैम इंडिया सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) को अपने सहयोगियों/कर्मचारियों के जरिए दलाली के रूप में रकम उपलब्ध करा रहा है। यह ऑक्सफैम इंडिया के टीडीएस डेटा से भी जाहिर होता है जो वित्तीय वर्ष 2019-20 में सीपीआर को 12.71 लाख रुपए का भुगतान दर्शाता है।”

आगे इसमें कहा गया है कि संगठन ने सामाजिक गतिविधियों को करने के लिए एफसीआरए पंजीकरण प्राप्त किया था, लेकिन कमीशन के रूप में अपने सहयोगियों या कर्मचारियों के माध्यम से सीपीआर को किया गया भुगतान - पेशेवर या तकनीकी सेवाएं - इसके घोषित उद्देश्यों के अनुरूप नहीं है। आरोप लगाया गया है, “यह एफसीआरए 2010 की धारा आठ और 12(4) का उल्लंघन है।” 'पीटीआई-भाषा' को इस बाबत एक अफसर ने जानकारी दी कि सीबीआई ने एफसीआरए के कथित उल्लंघन पर दिल्ली में ऑक्सफैम इंडिया के कार्यालय में तलाशी ली है।

भारत में क्या करता है ऑक्सफैम?संगठन की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, ऑक्सफैम इंडिया यह सुनिश्चित करने के लिए काम करता है कि आदिवासियों, दलितों, मुस्लिमों और अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों, विशेष रूप से महिलाओं और लड़कियों के पास अपने मन की बात कहने की स्वतंत्रता के साथ सुरक्षित-हिंसा मुक्त जीवन हो। उनके पास अपने अधिकारों को महसूस करने के समान अवसर हों और एक भेदभाव मुक्त भविष्य हो।

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अभिषेक गुप्ता author

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