मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण सिर्फ सम्मान ही नहीं, यूपी में बीजेपी का सियासी संकेत

सियासत के भी आंख, कान और नाक होते हैं। वो अपने चारों तरफ की घटनाओं को देखती, सुनती और सूंघती है। पद्म पुरस्कारों का ऐलान हो चुका है जिसमें मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण से नवाजा गया है। यूपी की सियासत में इसे पीएम नरेंद्र मोदी का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है।

मुलायम सिंह सपा के संरक्षक और यूपी के कई बार सीएम रहे

25 जनवरी को पद्म पुरस्कारों का ऐलान हुआ। अलग अलग क्षेत्रों में असाधारण काम करने वालों के नाम पद्म पुरस्कारों की सूची में शामिल थे जिसमें सपा के संरक्षक रहे मुलायम सिंह यादव का नाम भी है। केंद्र सरकार के इस फैसले को असाधारण इसलिए माना जा रहा है क्योंकि मुलायम सिंह का नाम कारसेवकों के दमन, राम मंदिर के विरोध के तौर पर जाना जाता था। बीजेपी के कई नेताओं के साथ साथ कई हिंदुवादी संगठनों उन्हें मुल्ला मुलायम की संज्ञा भी देते थे। ऐसी सूरत में मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण से सम्मानित करने के पीछे की वजह क्या हो सकती है। जानकार इसके पीछे अलग अलग तर्क देते हैं।

क्या कहना है जानकारों का

कुछ जानकारों का कहना है कि भले ही मुलायम सिंह यादव, राम मंदिर विरोध, कार सेवकों के दमन और बीजेपी के विरोध के लिए जाने जाते हों। लेकिन एक सच यह भी है कि यूपी की सियासत में इंटर कॉलेज का एक अध्यापक अपनी जगह बनाता है उस सच को कैसे झुठलाया जा सकता है। देश के सबसे बड़े सूबे में से एक यूपी की जनता ने उन पर एक बार नहीं बल्कि कई बार भरोसा किया। लिहाजा केंद्र सरकार के फैसले को सामान्य फैसले की तरह लिया जा सकता है। हालांकि कुछ जानकार कहते हैं कि सियासत में कोई फैसला सामान्य नहीं होता, असामान्य होता है। सवाल यह है कि मुलायम सिंह की शख्सियत और उन्हें सम्मानित करने का फैसला उनके मरणोपरांत ही केंद्र सरकार को क्यों आया।

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