पाकिस्तान छोड़ने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं...पाक से आए हिंदुओं ने बयां किया दर्द
पाकिस्तान से हिंदू शरणार्थियों का पहला जत्था 12 अक्टूबर को भारत आया था। जबकि दूसरा 14 अक्टूबर को पहुंचा। पहले ये लोग हरिद्वार पहुंचे और वहां से सभी जोधपुर पहुंच गए। ये सभी धार्मिक वीजा पर पाकिस्तान से भारत आए हैं, लेकिन अब वहां जाना नहीं चाहते हैं। पुलिस और खुफिया विभाग इस मामले पर नजर बनाए हुए है।
जोधपुर पहुंचे पाकिस्तान से आए हुए हिंदू (प्रतीकात्मक फोटो)
पाकिस्तान से धार्मिक वीजा पर भारत आए हिंदू अब पाकिस्तान वापस नहीं जाना चाहते हैं। ये लोग हरिद्वार से सीधे राजस्थान पहुंच गए हैं, जहां वो शरण देने की मांग कर रहे हैं। इनका दावा है कि जान बचाने के लिए पाकिस्तान छोड़ने के अलावा इनके पास कोई विकल्प नहीं था। वहां बाढ़ और सरकार दोनों ने इनकी जिंदगी को तबाह कर रखा है।
पाकिस्तान के सिंध प्रांत से हिंदुओं के दो जत्थे इस सप्ताह राजस्थान के जोधपुर पहुंचे हैं। पीटीआई के अनुसार इन्होंने पाक में अचानक आई बाढ़ के बाद राहत कार्यों में उत्पीड़न और भेदभाव का आरोप लगाया है। ये लोग भील समुदाय ले आते हैं और सिंध के टांडो अल्लाहयार जिले के रहने वाले हैं। इन्होंने भारत में ही बसने की इच्छा व्यक्त की और कहा कि वे वापस नहीं जाना चाहते हैं।
अपनी पत्नी और आठ बच्चों के साथ यहां आए चतुरराम भील ने कहा कि दोनों जत्थे में उनके समुदाय के करीब 100 लोग थे। दोनों गुट अटारी-वाघा चेक पोस्ट के जरिए भारत आया है। उन्होंने कहा कि वे पहले हरिद्वार पहुंचे और वहां से वे जोधपुर गए। उनमें से कुछ जोधपुर में रुके थे, जबकि अन्य राजस्थान के जैसलमेर के लिए रवाना हुए।
लोगों ने बताया कि उनके क्षेत्र में अचानक आई बाढ़ ने उनके जीवन को दयनीय बना दिया है। उन्हें राहत कार्यों में अधिक भेदभाव का सामना करना पड़ा है। लोगों ने कहा- "हमारे पास न तो अपने परिवार को चलाने के लिए कोई नौकरी है और न ही भोजन खरीदने के लिए पर्याप्त पैसा है। हम में से कई लोगों के घर बाढ़ में बह गए। हमारे पास रहने के लिए शायद ही कोई जगह है।"
एक शख्स ने कहा- "अब तक हमने जिस भेदभाव का सामना किया वह बाढ़ के समय में असहनीय हो गया। पूर्वाग्रह ने वहां जीवन को बहुत कठिन बना दिया। हमारे पास पाकिस्तान छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।"
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टाइम्स नाउ नवभारत author
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