ग्वादर बंदरगाह पर हमला, बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने ली जिम्मेदारी, 8 हमलावर मारे गए

क्षेत्र में दशकों से चले आ रहे अलगाववादी विद्रोह के बावजूद चीन ने खनिज से समृद्ध बलूचिस्तान में अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत भारी निवेश किया है, जिसमें ग्वादर का विकास भी शामिल है।

Gwador port

ग्वादर पोर्ट (फाइल फोटो)

Gwadar Port Attacked: पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में बने ग्वादर बंदरगाह प्राधिकरण पर हमला हुआ है। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अज्ञात बंदूकधारियों ने बुधवार को परिसर में गोलीबारी की। हमले की जिम्मेदारी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने ली है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमलावरों ने धमाके किए और फिर उनके और सुरक्षा अधिकारियों के बीच फायरिंग हुई। जियो न्यूज के मुताबिक, सुरक्षा बलों की जवाबी फायरिंग में 8 हमलावर मारे गए दो सुरक्षाकर्मियों की भी जान गई।

बीएलए के माजिद ब्रिगेड ने ली जिम्मेदारी

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा एवं संरक्षा विभाग ने एक बयान में कहा कि ग्वादर स्थित संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों के सात कर्मी सुरक्षित हैं। प्रतिबंधित बीएलए के माजिद ब्रिगेड ने हमले की जिम्मेदारी ली है। यह बीएलए का आत्मघाती दस्ता है जो मुख्यत: सुरक्षा बलों और चीनी प्रतिष्ठानों को निशाना बनाता है। ईरान और अफगानिस्तान की सीमा से लगे बलूचिस्तान में लंबे समय से हिंसा छिड़ी है। पूर्व में बलूच विद्रोही समूहों ने 60 अरब अमेरिकी डॉलर की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजनाओं को निशाना बनाते हुए कई हमले किए हैं। सीपीईसी के अंतर्गत कई परियोजनाओं में हजारों चीनी नागरिक पाकिस्तान में काम कर रहे हैं।

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का हिस्सा

ग्वादर बंदरगाह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का एक हिस्सा है। क्षेत्र में दशकों से चले आ रहे अलगाववादी विद्रोह के बावजूद चीन ने खनिज से समृद्ध बलूचिस्तान में अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत भारी निवेश किया है, जिसमें ग्वादर का विकास भी शामिल है। बलूचिस्तान प्रांत, प्राकृतिक गैस, कोयला और खनिज जैसे प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध होने के बावजूद कम जनसंख्या घनत्व, अपर्याप्त पानी और मानव संसाधन और बहुत खराब बुनियादी शिक्षा के साथ पाकिस्तान का सबसे कम विकसित इलाका बना हुआ है।

स्थानीय लोग परियोजना के विरोध में

स्थानीय लोग ग्वादर के विकास को अपने संसाधनों के शोषण के रूप में देखते हैं, उन्हें हाशिये पर जाने और विस्थापन का डर है। इसी भावना ने पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआईएम), तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), लश्कर ए-तैयबा, लश्कर ए-झांगवी, बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट और दाएश सहित विभिन्न जातीय-अलगाववादी और कट्टरपंथी धार्मिक आतंकवादी संगठनों को बढ़ावा दिया है। इन समूहों ने सीपीईसी परियोजना को बाधित करने की कोशिश की है और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और विदेशी निवेशकों पर सीधे हमलों को अंजाम दिया है। खास तौर पर ग्वादर के विकास में शामिल चीनी नागरिकों और श्रमिकों को निशाना बनाया गया है।

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