Parliament: हंगामे की भेंट चढ़ा संसद का बजट सत्र, आंकड़ों से जानिए कितना हुआ नुकसान

Parliament: संसद के बजट सत्र का दूसरा सेशन हंगामे की भेंट चढ़ गया। सरकार और विपक्ष ने गतिरोध के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहराया। विपक्ष अपने मुद्दों पर रहा। वहीं सत्ता पक्ष राहुल गांधी से माफी की मांग को लेकर आक्रामक दिखी। जानिए कितना नुकसान हुआ।

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संसद के बजट सत्र के दूसरे सेशन काफी कम काम हुआ।

Parliament: 17वीं लोकसभा का 11 वां सत्र गतिरोध की भेंट चढ़ गया। PM मोदी के दूसरे कार्यकाल में ये सत्र सबसे बाधित रहा। विपक्ष और सत्तारूढ़ के विरोध के कारण सत्र गतिरोध से भरा रहा। 13 मार्च से शुरू हुए बजट सत्र के दूसरे भाग में न तो सांसद जनता से जुड़े मुद्दे को मजबूती से उठा सकी। लोकसभा और राज्यसभा का बजट सत्र कल समाप्त हुआ। आंकड़ों की बात करें तो यह सत्र सबसे गतिरोध भरा रहा। विपक्ष और सत्तारूढ़ के हंगामे के कारण कुल मिलाकर 199.43 घंटे की कार्यवाही का नुकसान हुआ। 6 अप्रैल को समाप्त हुए दो चरणों वाले बजट सत्र में लोकसभा को 96.13 घंटे और राज्यसभा को 103.30 घंटे का नुकसान हुआ, हालांकि सरकार और विपक्ष ने गतिरोध के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहराया। विपक्ष अपने मुद्दों पर रहा। वहीं सत्ता पक्ष राहुल गांधी से माफी की मांग को लेकर आक्रामक दिखी।

आंकड़ों की बात करें तो लोकसभा ने 45.55 घंटे (34.28%) और राज्यसभा ने करीब 31 घंटे (24.4%) काम किया। मोदी 2.0 के दौरान पिछला सबसे खराब सत्र 2021 का मानसून सत्र था जब लोकसभा में 77.48 घंटे और राज्यसभा में 76.25 घंटे का नुकसान हुआ था। 2019 जून के बाद से संसद ने 661.53 घंटे, राज्यसभा में 371.35 घंटे और लोकसभा में 290.18 घंटे, व्यवधानों के कारण गंवा दिए। हालांकि इस बार गतिरोध को खत्म करने के लिये लोकसभा स्पीकर ओम बिरला और राज्यसभा सभापति जगदीप धनकड ने कई बार पार्टियों के फ्लोर लीडर को बुलाकर बैठक की कोशिश की लेकिन असफल रहे।

सदन में सत्ता पक्ष कांग्रेस नेता राहुल गांधी से लंदन में उनकी 'लोकतंत्र खतरे में' टिप्पणी के लिए माफी मांगने की अड़ी थी, वही विपक्ष की 18 पर्टियां अडानी मामले की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) से जांच कराने की मांग करती दिखी। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने व्यवधान के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी अडानी मुद्दे की जेपीसी जांच और "एक व्यक्ति को अमीर बनाने" की विपक्ष की मांग से ध्यान हटाना चाहती है।

विपक्ष ने भी मानव श्रृंखला, तिरंगे के साथ विजय चौक तक संयुक्त मार्च, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्योगपति गौतम अडानी के खिलाफ संसद की पहली मंजिल से एक बैनर फहराने और काले कपड़े पहने कार्यवाही में भाग लेने जैसे कई प्रदर्शन इस दौरान किए।

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रंजीता झा author

13 साल के राजनीतिक पत्रकारिता के अनुभव में मैंने राज्य की राजधानियों से लेकर देश की राजधानी तक सियासी हलचल को करीब से देखा है। प्लांट की गई बातें ख़बरे...और देखें

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