'संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों की राजनीति में एंट्री पर लगे रोक...' राज्यसभा में पेश होगा विधेयक
Parliament Monsoon Session: निजी विधेयक ऐसा विधेयक होता है जिसे वह सांसद पेश करता है जो सरकार का हिस्सा नहीं होता। वर्ष 1952 से अब तक दोनों सदनों द्वारा केवल 14 ऐसे विधेयक पारित किए गए हैं। संसद के मानसून सत्र में राज्यसभा में 23 निजी विधेयक सूचीबद्ध किए गए हैं।
Parliament Monsoon Session
Parliament Monsoon Session: संसद का मानसून सत्र 22 जुलाई यानी सोमवार से शुरू हो रहा है। यह सत्र 12 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान राज्यसभा में पेश करने के लिए 23 निजी विधेयक सूचीबद्ध किए गए हैं। इनमें संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों की पॉलिटिक्स में एंट्री पर रोक, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, डीपफेक और नागरिकता कानून में संशोधन जैसे विधेयक शामिल हैं।
इनमें सबसे खास और चर्चित विधेयक न्यायाधीश जैसे संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों की सेवानिवृत्ति के बाद किसी राजनीतिक पार्टी में उनके शामिल होने पर रोक लगाने से संबंधित है। यह विधेयक राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद एडी सिंह द्वारा सूचीबद्ध किया गया है। इसके अलावा अन्य निजी विधेयक भी हालिया विवादों के बाद लाए गए हैं।
चर्चा में था अभिजीत गंगोपाध्याय का मामला
सूत्रों के मुताबिक, राजद सांसद एडी सिंह द्वारा सूचीबद्ध संविधान (संशोधन) विधेयक, 2024 का उद्देश्य न्यायाधीश जैसे संवैधानिक पदों से सेवानिवृत्त होने वालों और निर्वाचन आयुक्तों को सेवानिवृत्ति के बाद राजनीतिक दलों में शामिल होने से रोकना है। दरअसल, इससे जुड़ा विवाद कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय से जुड़ा है, जिन्होंने पांच मार्च को अपने न्यायिक पद से इस्तीफा दे दिया था और दो दिन के भीतर भाजपा में शामिल हो गये थे। वहीं, जुलाई में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश रोहित आर्य अपनी सेवानिवृत्ति के तीन महीने बाद भाजपा में शामिल हो गये थे। राजद सांसद द्वारा सूचीबद्ध एक अन्य विधेयक में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में संशोधन कर पति द्वारा पत्नी से बलात्कार को अपराध के रूप में शामिल करने की मांग की गई है।
इन सांसदों ने भी सूचीबद्ध किए विधेयक
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सांसद वी. शिवदासन ने दो विधेयक सूचीबद्ध किए हैं। तृणमूल कांग्रेस की सांसद मौसम नूर ने भी दो विधेयक सूचीबद्ध किए हैं। इनमें से एक का उद्देश्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता से कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करना है जबकि दूसरा डीपफेक को अपराध की श्रेणी में शामिल करने की मांग से संबंधित है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के पी.संदोष कुमार ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी नियामक प्राधिकरण बनाने के लिए एक विधेयक सूचीबद्ध किया है।
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