संसद सुरक्षा चूक मामले के आरोपी सागर शर्मा की डायरी से खुले कई राज, लिखा था- घर से विदा लेने का समय नजदीक आ गया

पुलिस अधिकारियों ने दावा किया कि सागर कुछ किताबें रखता था जिसमें खोजी उपन्यास और एडोल्फ हिटलर की मेन काम्फ का हिंदी अनुवाद शामिल था। पिछली प्रविष्टियों में शर्मा ने प्रत्येक पृष्ठ के शीर्ष पर 'इंकलाब जिंदाबाद' लिखा है।

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सागर शर्मा की डायरी से कई राज आए सामने

तस्वीर साभार : भाषा

लोकसभा कक्ष में केन से पीला धुआं फैलाने वाले लखनऊ के सागर शर्मा ने अपनी डायरी में राष्ट्र के लिए दृढ़ संकल्प और अपने जीवन का बलिदान देने के क्रांतिकारी विचार दर्ज किये हैं। उसने यह भी लिखा कि घर से विदा लेने का समय नजदीक आया है। पुलिस अधिकारियों ने यहां बताया कि सागर शर्मा के परिवार के सदस्यों ने डायरी स्थानीय पुलिस को सौंप दी जिसे मामले की जांच कर रहे दिल्ली पुलिस के जांचकर्ताओं को भेज दिया गया है।

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हिंदी में लिखी गई शर्मा की डायरी में 2015 से 2021 तक की प्रविष्टियां शामिल हैं। शर्मा की यह प्रविष्टियां नियमित नहीं हैं और उसमें क्रांतिकारियों के कुछ दोहों से लेकर कविताएं और उनके विचार हैं। छह फरवरी, 2021 को की गई ऐसी ही एक प्रविष्टि में शर्मा ने लिखा है- "घर से विदा लेने का समय नजदीक आया है। एक तरफ डर भी है और दूसरी तरफ कुछ भी कर गुजरने की आग भी दहक रही है। काश, मैं अपनी स्थिति माता-पिता को समझा सकता, मगर ऐसा नहीं है कि मेरे लिए संघर्ष की राह चुनना आसान रहा। मैंने पांच साल तक प्रतीक्षा की है कि एक दिन आएगा जब मैं अपने कर्तव्य की ओर आगे बढूंगा।"

पुलिस अधिकारियों ने दावा किया कि सागर कुछ किताबें रखता था जिसमें खोजी उपन्यास और एडोल्फ हिटलर की मेन काम्फ का हिंदी अनुवाद शामिल था। पिछली प्रविष्टियों में शर्मा ने प्रत्येक पृष्ठ के शीर्ष पर 'इंकलाब जिंदाबाद' लिखा है। प्रविष्टियों में स्वतंत्रता सेनानी रामप्रसाद बिस्मिल की प्रसिद्ध कविता "सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजुएं कातिल में है," एवं उनके विचार हैं। 12 जून 2015 की एक प्रविष्टि में शर्मा ने लिखा- "उठा सके यह आवाज, कोई दुश्मन इस ताक में बैठे हैं, लुट रही इज्जत बेटियों की सरेआम यहां, फिर हम सब्र रखकर हाथ पे हाथ धरे बैठे हैं।"

त्याग और समर्पण की भावना से ओतप्रोत सागर शर्मा ने डायरी में यह भी दर्ज किया है,''मैं अपनी जिंदगी वतन के नाम कर चुका हूं। अब बढ़ाया कदम आजादी की ओर मैंने। अब आ गयी बारी वतन पे मरने की। मैं पहले ही बहुत आराम कर चुका हूं। मैंने अपना जीवन देश के नाम कर दिया है। मैंने आजादी की ओर कदम बढ़ा दिया है। अब देश के लिए मरने की बारी आएगी। पहले ही मैं बहुत आराम कर चुका हूं।"

पुलिस सूत्रों ने परिवार के सदस्यों के हवाले से बताया कि सागर ने 12 वीं कक्षा तक पढ़ाई की है और सेना में शामिल होने की कोशिश की थी लेकिन कई प्रयासों के बाद भी वह असफल रहा। बाद में वह कुछ वर्षों के लिए बेंगलुरु चला गया और कुछ महीने पहले वापस लौटकर आया। वापस लौटने पर सागर ने परिवार के लिए कुछ पैसे कमाने के लिए ई-रिक्शा चलाना शुरू कर दिया। पड़ोस में रहने वाले सागर के दोस्त सत्यम सिंह ने बताया सागर आगे पढ़ना चाहता था और आर्थिक तंगी के बारे में बात करता था। वह अपने परिवार के लिए कुछ करना चाहता था। वह किसी को नुकसान पहुंचाए बिना ईमानदारी से आजीविका कमाने की बात करता था।

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