नहीं बनी बात! हाजीपुर से चुनाव लड़ने पर अड़े चाचा पारस, बोले- कोई ताकत नहीं रोक सकती, अब क्या करेंगे चिराग?
लोक जनशक्ति पार्टी के मुखिया और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 हाजीपुर से ही लड़ूंगा। दुनिया की कोई ताकत मुझे हाजीपुर से अगला चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकती। जबकि उनके भतीजे चिराग पासवान हाजीपुर से ही चुनाव लड़ने का दावा कर रहे हैं।
चाचा पारस ने चिराग के लिए खड़ी की मुश्किलें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 18 जुलाई 2023 को एनडीए की बैठक हुई। जिसमें बीजेपी समेत 38 दल शामिल हुए। इसमें लोक जनशक्ति पार्टी के पारस गुट और चिराग गुट भी शामिल हुए। इस दौरान केंद्रीय मंत्री और चाचा पशुपति कुमार पारस को चिराग पासवान ने पैर छुए। चाचा ने भी भतीजे को गले लगाया। तस्वीरें वायरल हुईं। लोग कहने लगे मिट गईं दूरियां। लेकिन कुछ दिन बाद ही पशुपति कुमार पारस के बयान लगा की खटास बरकरार है। उन्होंने कहा कि मैं हाजीपुर से ही चुनाव लड़ूंगा, यह मेरा अधिकार है। मैं वहां का सांसद हूं, मैं भारत सरकार का कैबिनेट मंत्री हूं और NDA का पुराना और विश्वासी सहयोगी हूं। जबकि हाजीपुर से चिराग पासवान भी चुनाव लड़ना चाहते हैं। उन्होंने साथ ही अपने भतीजे चिराग पासवान के दावे को खारिज कर दिया, जिन्होंने कहा था कि वह अपने पिता दिवंगत रामविलास पासवान की हाजीपुर से चुनाव लड़ेंगे। पारस ने यह भी कहा कि दुनिया की कोई ताकत मुझे हाजीपुर से अगला चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकती। इसके विपरीत जितनी भी खबरें हैं वे बारिश के दौरान मेंढकों के शोर मचाने जैसी हैं। चुनावी वर्ष होने के कारण आपने ऐसी खबरें सुनी हैं, लेकिन इनका कोई आधार नहीं है। जब यह बताया गया कि चिराग अपने पिता रामविलास पासवान की कर्मभूमि हाजीपुर पर दावा कर रहे हैं, तो पारस ने कहा कि दिवंगत (रामविलास) पासवान मेरे भाई भी थे।
पारस ने पटना में राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के मुख्यालय में प्रेस कॉन्फेंस में कहा कि मुझे विश्वास है कि बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए इस सीट पर उनके दावे का समर्थन करेगा, न कि चिराग का जो अभी गठबंधन का हिस्सा नहीं बने हैं। पारस ने कहा कि मैं NDA का हिस्सा हूं और इसमें कोई संदेह नहीं है। चिराग भले ही दिल्ली में NDA की बैठक में शामिल हुए हों, लेकिन उन्हें संसद के अंदर हुई गठबंधन के सांसदों की बैठक के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था। यही सब कुछ बताता है।
उन्होंने कहा कि मैं चिराग के साथ मतभेद को लेकर जारी अटकलों को खारिज करता हूं जो दिल्ली में चिराग के मेरे पैर छूने और मेरे उन्हें आशीर्वाद देने की तस्वीरों के बाद पैदा हुई हैं। यह बिहार और मिथिला क्षेत्र की संस्कृति का एक हिस्सा है, जहां से हम संबंध रखते हैं। पारस ने मीडिया के एक वर्ग में आई उन खबरों को भी खारिज कर दिया कि वह चिराग के साथ जारी गतिरोध खत्म करने के लिए राज्यसभा के रास्ते संसद जा सकते हैं या फिर राज्यपाल बन सकते हैं।
पारस ने कहा कि चिराग को याद रखना चाहिए कि मैं कभी भी लोकसभा चुनाव लड़ने का इच्छुक नहीं था। हाजीपुर से अपना नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद, मैंने मीडिया से कहा था कि मुझे ऐसा महसूस हो रहा है कि मुझे पदावनति मिल रही है। कई लोगों ने इसे हार की स्वीकृति माना। लेकिन मैं केवल इस तथ्य की ओर इशारा कर रहा था कि मैं पहले से ही बिहार में मंत्री हूं।
केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि जब मेरे भाई ने मुझसे कहा कि वह चाहते हैं कि मैं हाजीपुर से चुनाव लड़ूं, तो मैंने शुरू में अपनी इच्छा नहीं दिखाई। मैंने उनसे सीट के लिए चिराग या उनकी मां (भाभी जी) को चुनाव मैदान में उतारे जाने पर विचार करने को कहा। लेकिन मेरे भाई जिद पर अड़े रहे। पारस ने याद करते हुए कहा कि आखिरकार, मैंने हार मान ली क्योंकि मैंने कभी भी अपने भाई की अवज्ञा नहीं की। जब उन्होंने संसद में जाने के लिए दशकों पहले अपनी अलौली विधानसभा सीट छोड़ दी थी, तो मैं उनके कहने पर सरकारी शिक्षक के रूप में अपनी नौकरी छोड़कर मैदान में उतर गया था।
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