नहीं थम रही चाचा-भतीजे की तकरार, क्या चिराग-पशुपति बिहार में बनेंगे भाजपा के लिए सिरदर्द?

Bihar Politics: बिहार की हाजीपुर सीट को लेकर चाचा-भतीजे के बीच छिड़ी जंग कहीं भाजपा के लिए आगामी लोकसभा चुनाव में सिरदर्द ना साबित हो जाए। भाजपा ने पशुपति पारस और चिराग पासवान के बीच जितनी समझाइश की कोशिशें कीं, उन सभी पर पानी फिरता नजर आ रहा है। आखिर ऐसा क्यों हैं, इस रिपोर्ट में समझिए।

Chirag Paswan vs Pashupati Paras BJP in Bihar

चिराग पासवान के लिए पशुपति पारस नहीं छोड़ें हाजीपुर सीट।

Chirag Paswan Vs Pashupati Paras: सियासत में चाचा-भतीजा की कलह का मुद्दा बड़ा मशहूर है। उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की राजनीति में इस पारिवारिक लड़ाई ने खूब सुर्खियां बटोरी। अगर जिक्र बिहार की जाए तो चाचा पशुपति पारस और भतीजे चिराग पासवान की लड़ाई सभी ने देखी। मगर इस लड़ाई में भाजपा ने सुलह की कोशिश की, जिसका कोई खास फायदा नजर नहीं आ रहा है। चाचा और भतीजे के बीच की रार अब तक कम नहीं हुई है। हाजीपुर लोकसभा सीट इस घमासान की असल जड़ है।

क्या भाजपा के लिए बिहार में सिरदर्द बनेंगे चिराग-पशुपति?

बिहार की सियासत में रामविलास पासवान की मौत के बाद उनकी पार्टी लोजपा में जिस कदर उठापटक मची है, वो किसी से नहीं छिपी। रामविलास के भाई पशुपति पारस ने अपनी ही भतीजे चिराग पासवान को ऐसा झटका दिया कि जूनियर पासवान के पैरों तले जमीन खिसक गई। ये सबकुछ रामविलास के निधन के बाद हुआ था। चाचा-भतीजे की लड़ाई ने उस वक्त काफी सुर्खियां बटोरी थी। चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच चल रहे विवाद को सुलझाने में भाजपा ने अहम भूमिका निभाई। एनडीए की बैठक में दोनों शामिल हुए और गले मिले। मगर दोनों के बीच हाजीपुर सीट को लेकर घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। विवाद इस कदर बढ़ गया है कि चाचा कुछ भी सुनने और समझने को तैयार तक नहीं है।

चिराग के लिए पशुपति नहीं छोड़ेंगे हाजीपुर लोकसभा सीट

केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने रविवार को कहा कि वह अपने भतीजे चिराग पासवान के लिए हाजीपुर लोकसभा सीट नहीं छोड़ेंगे। लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) पूर्व प्रमुख दिवंगत रामविलास पासवान ने लंबे समय तक इस लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया और अब चिराग पासवान इस सीट पर अपना दावा कर रहे हैं। रामविलास पासवान के निधन के बाद उनकी पार्टी दो गुट में बंट गई जिसमें से एक गुट के नेता पारस हैं, तो दूसरे गुट के नेता चिराग हैं। पारस ने अपनी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी की एक बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये साफ कर दिया है कि वो चिराग के लिए हाजीपुर सीट का त्याग नहीं करेंगे।

पशुपति पारस ने 2021 में तोड़ दी थी लोक जनशक्ति पार्टी

पशुपति पारस ने कहा, 'हम हर साल 28 नवंबर को लोजपा का स्थापना दिवस मनाते हैं। हम इस साल भी ऐसा करेंगे, लेकिन लेकिन समारोह पटना की जगह हाजीपुर में आयोजित किया जाएगा जो दिवंगत राम विलास पासवान की कर्मभूमि रही है।' यह पूछे जाने पर कि क्या स्थल में बदलाव उनके दिवंगत भाई के गढ़ में शक्ति परीक्षण के लिए है। इसके जवाब में पारस ने कहा, 'यह एक बदलाव होगा। यह हर साल एक ही प्रकार के भोजन की एकसरता को दूर करने के लिए एक अलग व्यंजन आजमाने जैसा है।' केंद्रीय मंत्री ने वर्ष 2021 में लोजपा में विभाजन की साजिश रची थी और तब चिराग पार्टी के अध्यक्ष थे। पारस से यह भी पूछा गया कि वह वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी के लिए कितनी सीट चाहते हैं।

क्या चिराग पासवान की मां रीना बनेंगे हाजीपुर से सांसद?

उन्होंने कहा, 'वर्ष 2019 में बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के तीन घटक दल थे और उसने 39 सीट जीती थीं। अब केवल दो दल हैं। हम भारतीय जनता पार्टी के एकमात्र स्थिर सहयोगी हैं।' पारस ने कहा, 'मौजूदा लोकसभा में हमारी पार्टी के कुल पांच सांसद हैं। हम इन सभी सीट पर चुनाव लड़ेंगे और बिहार में राजग को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में मदद करेंगे।' जमुई सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले चिराग अपने दिवंगत पिता के प्रतिनिधित्व वाली सीट पर अपनी मां रीना को मैदान में उतारकर हाजीपुर पर दावा करने की कोशिश कर रहे हैं। चिराग के इस कदम के बारे में पूछे जाने पर पारस ने मजाकिया अंदाज में टिप्पणी करते हुए कहा, 'उन्हें पहले हमें यह बताना चाहिए कि वह किस पार्टी के टिकट के तहत सीट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। उनकी पार्टी नहीं, बल्कि दलदल है।'

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