बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट से एक और झटका, योग शिविर के लिए चुकाना होगा सर्विस टैक्स

Baba Ramdev Yoga Camps: सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अभय एम ओक और उज्जवल भईयां की पीठ ने कहा है बाबा रामदेव के योग शिविरों में एंट्री फीस ली जाती है। प्रवेश शुल्क लेने के बाद तो शिविरों में योग एक सेवा (सर्विस) है। ऐसे में पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को योग शिविरों के आयोजन के लिए सर्विस टैक्स का भुगतान करना होगा।

बाबा रामदेव

Baba Ramdev Yoga Camps: योग गुरू बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, रामदेव के योग शिविर सर्विस टैक्स के दायरे में आ गए हैं, यानी कि उन्हें इन शिविर के आयोजन के लिए सर्विस टैक्स चुकाना होगा। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अभय एम ओक और उज्जवल भईयां की पीठ ने इस मामले में सर्विस टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल के फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें कहा गया था कि योग शिविरों का आयोजन करने वाली संस्था पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को सर्विस टैक्स का भुगतान करना होगा।

सर्विस टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल ने अपने फैसले में पतंजलि योगपीठ को आवासीय और गैर-आवासीय दोनों योग शिविरों के आयोजन के लिए सर्विस टैक्स का भुगतान अनिवार्य बताया था। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अभय एम ओक और उज्जवल भईयां की पीठ ने कहा है कि प्रवेश शुल्क लेने के बाद तो शिविरों में योग एक सेवा (सर्विस) है। ऐसे में ट्राइब्यूनल का आदेश सही है, हमें इस आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता है। बता दें, पतंजलि योगपीठ बाबा रामदेव के योग शिविरों के लिए एंट्री फीस लेती है।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, मेरठ रेंज के आयुक्त ने पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की ओर से अक्टूबर 2006 से मार्च 2011 के दौरान लगाए गए ऐसे शिविरों के लिए जुर्माना और ब्याज समेत करीब 4.5 करोड़ रुपये अदा करने को कहा था। यह मामला ट्राइब्यूनल पहुंचा, जहां ट्रस्ट की ओर से दलील दी गई कि वह योग शिविरों में ऐसी सेवाएं प्रदान कर रहा है, जो बीमारियों के इलाज के लिए है और यह 'हेल्थ एंड फिटनेस सर्विस' कैटेगरी के तहत टैक्स योग्य नहीं है। हालांकि, ट्राइब्यूनल ने कहा कि ऐसे योग शिविर किसी एक व्यक्ति विशेष के लिए नहीं बल्कि पूरी सभा के लिए लगाए जाते हैं और उनमें किसी भी व्यक्ति को विशिष्ट बीमारी के लिए लिखित में निदान और उपचार नहीं बताए जाते हैं। शिविर में प्रवेश के लिए एंट्री फीस ली जाती है और प्रवेश टिकट भी जारी किए जाते हैं। टिकट के मूल्य के आधार पर व्यक्तियों को विशेषाधिकार भी प्रदान किए जाते है। ऐसे में ये शिविर सर्विस टैक्स के दायरे में आता है।

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