बलात्कार को अपराध साबित करने के लिए पर्याप्त है ये प्रमाण, दिल्ली हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी

दिल्ली हाईकोर्ट ने नाइजीरिया की एक महिला के साथ 2014 में सामूहिक दुष्कर्म के मामले में कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि योनि में लिंग का प्रवेश बलात्कार के अपराध को साबित करने के लिए पर्याप्त है।

सामूहिक दुष्कर्म पर दिल्ली हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने नाइजीरिया की एक महिला के साथ 2014 में सामूहिक दुष्कर्म के एक मामले में दो आरोपियों को 20 वर्ष की जेल की सजा सुनाई है और कहा है कि डीएनए विश्लेषण के दौरान महज वीर्य की गैर-मौजूदगी पीड़िता के दावे को नहीं झूठलाती तथा योनि में लिंग का प्रवेश बलात्कार के अपराध को साबित करने के लिए पर्याप्त है।

हाईकोर्ट ने इस बात का संज्ञान लिया कि दोनों आरोपियों में से एक अविवाहित है और दूसरे को अपने बच्चों एवं माता-पिता की देखभाल करनी है और उन दोनों में सुधार की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही अदालत ने दोनों दोषियों की 30 साल की जेल की सजा को कम करके 20 साल कर दी। यह फैसला भी न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की अध्यक्षता वाली विभिन्न पीठों द्वारा सोमवार को दिये गये 65 फैसलों में से एक है। उन्होंने अपनी सेवानिवृत्ति के एक दिन पहले ये फैसले सुनाए।

न्यायमूर्ति गुप्ता न्यायाधीश के तौर पर 14 साल अपनी सेवा देने के बाद मंगलवार को सेवानिवृत्त हुईं। उन्हें 23 अक्टूबर, 2009 को दिल्ली उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था और 29 मई, 2014 को उन्हें स्थायी नियुक्ति प्रदान की गयी। उच्च न्यायालय ने दोषी राज कुमार और दिनेश की उस अपील का निपटारा कर दिया, जिसमें उन्होंने निचली अदालत की ओर से दी गयी 30 साल की जेल की सजा को चुनौती दी थी।

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