मऊ और आजमगढ़ के लोगों को रूस-यूक्रेन युद्ध में किया गया शामिल, 2 की हुई मौत; गोली लगने के बाद एक शख्स लौटा स्वदेश
Russia–Ukraine War: मऊ और आजमगढ़ के दर्जनभर लोग रूस-यूक्रेन के युद्ध में फंसे हुए है। जानकारी के मुताबिक, एजेंट विनाेद मोटी पगार और सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी दिलाने की बात कहकर लोगों को अपने साथ ले गया था। जहां उन्हें युद्ध मे झोंक दिया गया। मऊ जनपद के रहने वाले बृजेश यादव यूक्रेन युद्ध में गोली लगने से घायल हुए थे जिसके बाद अक्तूबर में स्वदेश लौटे थे।
मऊ और आजमगढ़ के लोगों को धोखे से रूस-यूक्रेन युद्ध में किया गया शामिल
Russia–Ukraine War: रूस-यूक्रेन के युद्ध में मऊ और आजमगढ़ के दर्जनभर लोग फंसे हुए हैं। सिक्योरिटी गार्ड की नाैकरी दिलाने के नाम पर इन्हें बुलाया गया था। अच्छे वेतन की चाह में गए भारतीय युवकों को रूस-यूक्रेन युद्ध में शामिल कर दिया गया। वहीं बताया जा रहा है कि आजमगढ़ और मऊ के 14 युवकों को सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी के नाम पर रूस भेजा गया था। इसमें से तीन लोगों की मौत हो चुकी है। एक लापता है। बाकी वहां फंसे हैं।
लोगों को मोटी पगार की दी लालच
एजेंट विनाेद मोटी पगार और सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी दिलाने की बात कहकर लोगों को अपने साथ ले गया था। जहां उन्हें युद्ध मे झोंक दिया गया। मऊ जनपद के रहने वाले बृजेश यादव यूक्रेन युद्ध में गोली लगने से घायल हुए थे जिसके बाद अक्तूबर में स्वदेश लौटे थे। बृजेश यादव मधुबन तहसील के धर्मपुर विशुनपुर के रहने वाले है। मीडिया से बात करते हुए कहा कि मऊ-आजमगढ़ जिले का एजेंट विनोद अपने जीजा आजमगढ़ निवासी कन्हैया यादव सहित 14 लोगो के साथ रूस में फंसे थे। हम लोग फरवरी में गए थे, कन्हैया की दिसंबर के पहले सप्ताह में यूक्रेन-रूस युद्ध में मौत हो गई थी।
बृजेश ने बताया कि फरवरी 2024 में अपने साथी सुनील, श्यामसुंदर यादव समेत सात लोगों के साथ रूस में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने गया था। हर माह दो लाख वेतन का झांसा दिया गया था। मगर वहां पहुंचने पर सपना टूट गया और हम लोगों को 15 दिन का सैन्य प्रशिक्षण देकर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में उतार दिया गया। एजेंट विनोद की धोखेबाजी से जिले के दो साथियों की असमय मौत हो गई। एजेंट विनोद का अब तक सुराग नहीं लग सका है। बृजेश यादव ने युद्ध का एक वाकया बताते हुए कहा कि हमारा ग्रुप जुलाई में एक जगह जा रहा था। इस बीच ड्रोन हमला हुआ, इसमें आजमगढ़ निवासी दीपक गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे हम लोगों ने पानी पिलाया, मगर अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई। दीपक का शव भिजवाने के लिए हमने रूसी अधिकारियों से बातचीत की। मगर उन्होंने हमें चुप करा दिया।
मऊ के पांच युवाओं को दिया गया नौकरी का झांसा
एजेंट ने कहा कि नौकरी सिक्योरिटी गार्ड की है, शुरुआत में 80 से 90 हजार रुपये मिलेंगे। जिसके बाद मऊ के पांच युवाओं के साथ रूस में सिक्योरिटी गार्ड के लिए निकला गया। जिसमें सभी को रूस-यूक्रेन के युद्ध मे शामिल कर दिया गया। वही सुनील और श्याम सुंदर की मौत चुकी है। आपको बता दे कि घोसी थाना क्षेत्र के चन्द्रपार निवासी सुनील यादव और श्याम सुंदर कोईरियापार का रहने वाले है। बृजेश ने बताया कि रूस पहुंचने पर पहला सप्ताह सामान्य रहा। रोज परिवार से बातचीत कर रहे थे। लेकिन एक सप्ताह बाद ट्रेन से दूसरी जगह भेज दिया गया। साथ में एक रूसी सेना का अधिकारी भी मौजूद था, जो हमें एक प्रशिक्षण केंद्र पर ले गया, जहां पर हम लोगों को अलग-अलग गन, ग्रेनेड चलाने का प्रशिक्षण दिया गया। वहां पर हमारी कोई नहीं सुन रहा था।
प्रशिक्षण के बाद हमें चार-चार के ग्रुप में बांट कर युद्ध में उतार दिया गया। युद्ध में घोसी तहसील के चंदापार निवासी सुनील यादव की जान चली गई। पीड़ित बृजेश के अनुसार, सुनील, श्यामसुंदर और दो लोगों के ग्रुप को हमारे ग्रुप से दूर भेजा गया था, जहां सुनील और श्यामसुंदर की मौत की सूचना मिली। बताया कि मेरे ग्रुप का एक सदस्य बम के हमले में शहीद हो गया था। इस दौरान मेरे बांये पैर में गोली लगी थी। इसके बाद वहां पर मेरा उपचार हुआ। इसी बीच एक स्थानीय अधिकारी को अपनी आपबीती बताई। इसका नतीजा यह हुआ कि उसने दूतावास से संपर्क हो सका। आरोप लगाया कि ठीक होने पर उसे दोबारा युद्ध क्षेत्र में भेजने की कोशिश की गई मगर दूतावास के दबाव के चलते स्वदेश भेज दिया गया।
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