कर्नाटक के बाद अब इस राज्य में महंगा हुआ पेट्रोल-डीजल, विपक्षी दलों ने भाजपा सरकार को घेरा
Goa Politics: लोकसभा चुनाव के ठीक अलग-अलग राज्यों में एक के बाद एक राज्यों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा होने लगा है। पहले कर्नाटक में पेट्रोल-डीजल महंगा हुआ, उसके ठीक बाद गोवा में शनिवार से पेट्रोल एक रुपये, डीजल 36 पैसे महंगा हुआ। जिसके बाद विपक्ष ने भाजपा सरकार की आलोचना की।
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा।
Petrol diesel Price in Goa: देश के अलग-अलग राज्यों में लोकसभा चुनाव 2024 के ठीक बाद पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा होने लगा है। पहले कांग्रेस शासित प्रदेश कर्नाटक में पेट्रोल-डीजल महंगा हुआ। अब गोवा सरकार ने शनिवार से पेट्रोल और डीजल पर मूल्य वर्धित कर (वैट) बढ़ाने की घोषणा की है। जिसके बाद सियासी उठापटक का दौर तेज हो गया है।
गोवा में कितना महंगा हुआ पेट्रोल-डीजल?
राज्य सरकार में अवर सचिव (वित्त) प्रणब जी भट्ट ने शुक्रवार को इस वृद्धि की अधिसूचना जारी की। उन्होंने बताया कि शनिवार से पेट्रोल एक रुपये और डीजल 36 पैसे महंगा हो जाएगा। अधिकारी ने कहा, 'वैट में वृद्धि का मतलब है कि पेट्रोल और डीजल की कीमत में क्रमश: एक रुपये और 36 पैसे की वृद्धि होगी। गोवा में पेट्रोल की मौजूदा कीमत 95.40 रुपये प्रति लीटर है, जबकि डीजल 87.90 रुपये प्रति लीटर है।'
गोवा में पेट्रोल-डीजल के मुद्दे पर गरमाई सियासत
पेट्रोल-डीजल के मुद्दे पर गोवा की प्रमोद सावंत सरकार का विपक्षी दलों ने जमकर घेराव किया है। विपक्षी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता यूरी अलेमाओ ने इसे असंवेदनशील सरकार का फैसला बताया और इसे तुरंत वापस लेने की मांग की है।
कर्नाटक सरकार ने ईंधन पर बढ़ाया बिक्री कर
इससे पहले पिछले सप्ताह शनिवार को कर्नाटक सरकार ने ईंधन पर बिक्री कर बढ़ाया था। राज्य में पेट्रोल अब तीन रुपये और डीजल 3.5 रुपये प्रति लीटर महंगा हो गया। वित्त विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार ये जानकारी सामने आई थी कि सरकार ने पेट्रोल पर बिक्री कर में 3.92 प्रतिशत की वृद्धि कर इसे 25.92 प्रतिशत से बढ़ाकर 29.84 प्रतिशत कर दिया है। वहीं, डीजल पर 4.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 14.34 से बढ़कर 18.44 प्रतिशत हो गई है।
कांग्रेस ने कर्नाटक में जीतीं 9 लोकसभा सीटें
अधिसूचना तत्काल प्रभाव से लागू होगी। यह फैसला लोकसभा चुनाव नतीजों के कुछ दिनों बाद आया है, जिसमें राजग को कर्नाटक की 28 में से 19 सीटें मिलीं, जिसमें भाजपा ने 17 और जद(एस) ने दो सीटें जीतीं। राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने नौ सीटें जीती हैं। यह कदम मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा राज्य के राजस्व सृजन और राजकोषीय स्थिति की समीक्षा के बाद उठाया गया। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के पास ही वित्त विभाग भी है।
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