PIB Fact Check: फर्जी खबरों को रोकने के लिए मोदी सरकार सख्त, पीआईबी फैक्ट चेक यूनिट के लिए अधिसूचना जारी

PIB Fact Check: इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (मेइटी) की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि पीआईबी फैक्ट चेक यूनिट सरकार से संबंधित ऑनलाइन सामग्री की निगरानी करेगी, जिससे गलत सूचना के प्रसार को रोका जा सके।

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पीआईबी फैक्ट चेक यूनिट को केंद्र ने किया नोटिफाई

मुख्य बातें
  • आईटी मंत्रालय के अंदर पीआईबी फैक्ट चेक यूनिट (FCU) बनेगा।
  • पीआईबी फैक्ट चेक यूनिट सरकार से संबंधित ऑनलाइन सामग्री की निगरानी करेगी
  • पीआईबी फैक्ट चेक यूनिट के सरकार ने जारी की अधिसूचना।

PIB Fact Check: फेक खबरों को रोकने के लिए मोदी सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। मोदी सरकार, आईटी मंत्रालय के अंदर पीआईबी फैक्ट चेक यूनिट (FCU) बनाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए सरकार की ओर से अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।

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सरकार क्यों लाने जा रही फैक्ट चेक यूनिट

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (मेइटी) की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि पीआईबी फैक्ट चेक यूनिट सरकार से संबंधित ऑनलाइन सामग्री की निगरानी करेगी, जिससे गलत सूचना के प्रसार को रोका जा सके। अधिसूचना में कहा गया है- "केंद्र सरकार सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रेस सूचना ब्यूरो के तहत तथ्य जांच इकाई को केंद्र सरकार की तथ्य जांच इकाई के रूप में अधिसूचित करती है।"

कोर्ट में मामला

यह अधिसूचना बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा कॉमेडियन कुणाल कामरा की उस अंतरिम याचिका को खारिज करने के कुछ दिनों बाद आई है, जिसमें उन्होंने एफसीयू की स्थापना पर रोक लगाने की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं ने बंबई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है और इस मामले पर गुरुवार को सुनवाई हो सकती है।

आईटी

सोशल मीडिया कंपनियों को करनी पड़ेगी कार्रवाई

6 अप्रैल, 2023 को, केंद्र सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में कुछ संशोधनों की घोषणा की थी, जिसमें सरकार से संबंधित नकली, गलत या भ्रामक ऑनलाइन सामग्री को चिह्नित करने के लिए एफसीयू का प्रावधान भी शामिल है।आईटी नियमों के तहत, यदि एफसीयू को ऐसे किसी पोस्ट के बारे में पता चलता है या सूचित किया जाता है जो फर्जी, गलत है और जिसमें सरकार के व्यवसाय के बारे में भ्रामक तथ्य शामिल हैं, तो वह इसे सोशल मीडिया मध्यस्थों को भेज देगा। यदि ऑनलाइन माध्यमों को अपने ‘सेफ हार्बर’ (तीसरे पक्ष की सामग्री के खिलाफ कानूनी प्रतिरक्षा) को बरकरार रखना है तो उन्हें ऐसी सामग्री को हटाना होगा।

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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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