5 साल बाद रूस की धरती पर उतरेंगे PM मोदी, रिश्तों में आएगी नई ताजगी, दोस्ती चढ़ेगी परवान
Narendra Modi Russia Visit : फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद से, मोदी ने पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की के साथ कई बार टेलीफोन पर बातचीत की है। रूस के साथ अपनी गहरी मित्रता को दर्शाते हुए भारत ने अब तक यूक्रेन पर मॉस्को के हमले की निंदा नहीं की है।
रूस की यात्रा पर जाने वाले हैं पीएम मोदी।
- आठ से 10 जुलाई के बीच दो देशों की यात्रा पर रहेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
- अपनी यात्रा के पहले चरण में रूस जाएंगे पीएम, इसके बाद ऑस्ट्रिया का दौरा
- रूस और भारत के संबंध बहुत मजबूत और समय पर परखे जा चुके हैं
Narendra Modi Russia Visit : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो देशों रूस और ऑस्ट्रिया के दौरे पर जा रहे हैं। वह आठ से 10 जुलाई के बीच इन देशों के दौरे पर रहेंगे। इनमें सबसे खास दौरा रूस का है। पीएम का यह रूस दौरा पांच साल के बाद हो रहा है। इससे पहले 2019 में वह मास्को गए थे। रूस- यूक्रेन सहित बदलते वैश्विक समीकरणों के परिप्रेक्ष्य में पीएम मोदी की यह रूस यात्रा काफी अहम मानी जा रही है। रूस और भारत के संबंध काफी मजबूत रहे हैं और समय पर परखे जा चुके हैं। यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों के दबाव में आए बगैर भारत ने रूस के साथ अपने संबंध पहले की तरह बनाए रखे हैं लेकिन अमेरिकी एवं पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों की वजह से रूस को चीन की तरफ देखना पड़ा है।
मई में चीन की यात्रा पर गए थे पुतिन
जानकार मानते हैं कि चीन की तरफ रूस का झुकाव या दोनों देशों में ज्यादा करीबी भारतीय हितों के लिए ठीक नहीं होगी। पुतिन गत मई में चीन की यात्रा पर गए थे। यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का असर पूरी दुनिया में देखने को मिला है। अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति चेन प्रभावित होने के साथ-साथ तेल की कीमतों में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। बदलते समय में भारत ने जहां रूस के साथ अपनी पुरानी दोस्ती कायम रखी है और अमेरिका सहित पश्चिमी देशों के साथ आपसी संबंध और बेहतर बनाए हैं। यह भारत की कूटनीतिक सफलता ही है कि उसने इस युद्ध की आंच रूस के साथ अपने संबंधो पर नहीं आने दी।
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प्रतिबंधों के बाद भारत ने तेल खरीदना शुरू किया
आर्थिक प्रतिबंध लगने के बाद रूस को जब पैसों की सबसे ज्यादा जरूरत थी तो भारत ने उससे ज्यादा मात्रा में तेल खरीदकर उसे राहत दी। पश्चिमी देशों ने इसका विरोध भी किया लेकिन भारत ने साफ कह दिया कि उसे जहां भी सस्ता तेल मिलेगा, वह खरीदेगा। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पश्चिमी देशों का आईना भी दिखाया। उन्होंने कहा कि भारत जितना तेल रूस से एक महीने में खरीदता है उतना तेल पश्चिमी देश एक दिन में खरीदते हैं। भारत अपनी रक्षा जरूरतों के लिए भी रूस पर बहुत ज्यादा निर्भर है। लेकिन यह निर्भरता धीरे-धीरे कम हुई है, बावजूद इसके भारतीय सेना में रूसी हथियार, उसके उपकरण और कलपुर्जों का इस्तेमाल बड़ी मात्रा में होता है।
रूस से हथियार कम, तेल ज्यादा खरीदे
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट के मुताबिक 2009 -13 के बीच हथियारों के लिए भारत की रूस पर निर्भरता जहां 76 फीसद थी वह 2019-23 के बीच घटकर 36 फीसदी पर आ गई। भारत को हथियारों की आपूर्ति में फ्रांस की हिस्सेदारी बढ़ी है। यह देश भारत की रक्षा जरूरतों का अब 33 प्रतिशत निर्यात करता है। खास बात यह है कि भारत ने रूस से हथियार खरीद कम की लेकिन तेल खरीद की मात्रा बढ़ा दी। यानी कि रूस को नुकसान नहीं होने दिया।
आपसी रिश्तों की गर्माहट कम नहीं होने देंगे दोनों देश
आज भारत की विदेश नीति एवं कूटनीति किसी दबाव में नहीं बल्कि अपने हितों और जरूरतों के अनुरूप हो रही है। भारत अब किसी देश के दबाव में नहीं आ रहा। वह वही करता है जो उसके हितों और देश के लिए सही है। वह किसी देश के दबाव में आकर रूस के साथ दोस्ती और पुराना संबंध को बिगाड़ नहीं सकता। इसका उदाहरण यूक्रेन युद्ध पर संयुक्त राष्ट्र में लाए गए प्रस्तावों पर देखा जा सकता है। तो पन्नू मामले में अमेरिका ने जब भारत को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की तो मास्को की तरफ से भारत के समर्थन में बयान आने में देरी नहीं हुई।
हो सकते हैं करार और समझौते
कहने का मतलब है कि भारत और रूस दोनों अपनी दोस्ती और संबंधों के महत्व को जानते हैं। इसे वे किसी भी सूरत में कमतर नहीं होने देंगे। जाहिर है कि पीएम मोदी की मास्को यात्रा के दौरान दोनों देश इस रिश्ते को नई ऊंचाई पर ले जाने के साथ ही मौजूदा वैश्विक एवं स्थानीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे। दोनों देशों के बीच रक्षा, व्यापार सहित कई क्षेत्रों में अहम करार और समझौते हो सकते हैं।
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