PM Modi in Gujarat: कौन हैं द्वारका शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती, जिनसे PM मोदी ने लिया आशीर्वाद
PM Modi in Gujarat: पीएम मोदी ने आज यानी (25 फरवरी) को द्वारकाधीश मंदिर पहुंचे, जहां उन्होंने पूजा-अर्चना की और द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया।
पीएम मोदी ने स्वामी सदानंद सरस्वती का लिया आशीर्वाद
PM Modi in Gujarat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को गुजरात के द्वारका में शंकराचार्य मठ शारदापीठ में द्वारका शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज से आशीर्वाद लिया। इस बीच प्रधानमंत्री ने द्वारका के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती के साथ अकेले 20 मिनट भी बिताए। इससे पहले आज, पीएम मोदी ने रविवार सुबह गुजरात के प्रसिद्ध भगवान कृष्ण मंदिर - द्वारकाधीश में पूजा-अर्चना की। गुजरात में गोमती नदी और अरब सागर के मुहाने पर स्थित, राजसी द्वारकाधीश मंदिर वैष्णवों, विशेष रूप से भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थ स्थल है , द्वारकाधीश मंदिर चार धामों में से एक है। मंदिर के मुख्य देवता भगवान कृष्ण हैं , जिन्हें द्वारकाधीश या द्वारका का राजा कहा जाता है। बता दें, बाद में मंदिर के पुजारियों ने पीएम को भगवान कृष्ण की एक मूर्ति उपहार में दी।
कौन हैं स्वामी सदानंद सरस्वती
स्वामी सदानंद सरस्वती का जन्म गोटेगांव के पास बरगी गांव में 1958 में हुआ था। उनका बचपन का नाम रमेश अवस्थी था। इनके पिता पं. विद्याधर अवस्थी प्रसिद्ध वैद्य और किसान थे। माता मानकुंवरबाई गृहिणी थीं। 12 साल की उम्र में जब वे आठवीं कक्षा में पढ़ रहे थे, तो एक दिन उनके साथ पढ़ने वाले छात्र से उनका मामूली झगड़ा हो गया, घर पर माता-पिता की डांट न पड़े, इस डर से रमेश अवस्थी साइकिल से सीधे परमहंसी गंगा आश्रम पहुंच गए यहां वह स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज की शरण में आ गए और फिर उन्होंने आठवीं कक्षा से स्कूली पढ़ाई छोड़ दी और वह शंकराचार्य बन गए। 1970 में रमेश अवस्थी झोतेश्वर पहुंचे और उन्होंने संस्कृत का अध्ययन शुरू दिया। वर्ष 1975 से 1982 तक त्रिपुर सुंदरी मंदिर का निर्माण होने तक वह यहां रहे। धार्मिक शिक्षा के लिए स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने उन्हें बनारस भेजा, जहां उन्होंने करीब 8 साल तक वेद, पुराण और अन्य धर्मग्रंथों का अध्ययन किया। वर्ष 1990 में गुरु के आदेश पर वह द्वारका पहुंच गए, वर्ष 1995 में रमेश अवस्थी को शंकराचार्य का प्रतिनिधि नियुक्त किया गया। स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने वर्ष 2003 में रमेश अवस्थी को दंड दीक्षा के लिए बनारस भेजा, दंड दीक्षा के साथ उनका नामकरण सदानंद सरस्वती हो गया और वे दंडी स्वामी कहलाए। शंकराचार्य सदानंद सरस्वती, हिंदी, संस्कृत, गुजराती और अंग्रेजी भाषा में अब तक करीब एक दर्जन किताब लिख चुके हैं।
पीएम मोदी ने सुदर्शन सेतु का किया उद्घाटन
इससे पहले दिन में, प्रधानमंत्री ने गुजरात में ओखा मुख्य भूमि और बेयट द्वारका को जोड़ने वाले लगभग 2.32 किमी लंबे देश के सबसे लंबे केबल-आधारित पुल सुदर्शन सेतु का उद्घाटन भी किया। पीएम ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "आज सुदर्शन सेतु का उद्घाटन करते हुए खुशी हो रही है - एक पुल जो भूमि और लोगों को जोड़ता है। यह विकास और प्रगति के लिए हमारी प्रतिबद्धता के प्रमाण के रूप में जीवंत रूप से खड़ा है। बेयट द्वारका ओखा बंदरगाह के पास एक द्वीप है, जो द्वारका शहर से लगभग 30 किमी दूर है, जहां भगवान कृष्ण का प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर स्थित है। 979 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से निर्मित, इस पुल में चार लेन की सड़क है, जिसकी चौड़ाई 27.20 मीटर है, जिसके दोनों ओर 2.50 मीटर चौड़े फुटपाथ हैं। ' सुदर्शन सेतु ' भारत का सबसे लंबा केबल-आधारित पुल है, जो ओखा मुख्य भूमि और गुजरात में बेयट द्वारका द्वीप को जोड़ता है। पीएम मोदी ने शनिवार को जामनगर में जोरदार रोड शो के साथ अपने दो दिवसीय गुजरात दौरे की शुरुआत की थी।
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