महाकाल कॉरिडोर का 11 अक्टूबर को लोकार्पण करेंगे पीएम मोदी, इस मंदिर से जुड़ी मान्यताएं भी जानिए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उज्जैन महाकाल मंदिर के कॉरिडोर के पहले चरण का शुभारंभ 11 अक्टूबर करेंगे। पीएम मोदी खुद भी महादेव के अनन्य भक्त हैं।



'मोदी का महाकाल लोक' साक्षात् !
विजयादशमी का मौका है और हर ओर चर्चा लंकापति रावण और प्रभु श्रीराम की हो रही है। ऐसे में आज हम आपको लेकर चलेंगे देवों के देव महादेव के द्वार जो न श्रीराम के आराध्य हैं बल्कि दशानन भी उनकी भक्ति करता था। जी हम बात कर रहे हैं महाकाल लोक की। जो उज्जैन के राजा और कालों के काल का संसार है। एक ऐसा लोक, जो स्वर्ग से भी सुंदर है। जहां ऐसा लगता है, खुद साक्षात् महाकाल धरती पर उतर आए हैं। चलिए आपको लेकर चलते हैं उसी महाकाल लोक में। अब इंतजार हर किसी को 11 अक्टूबर का है। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) उज्जैन आएंगे और महाकाल कॉरिडोर (Mahakal Corridor) के पहले चरण का शुभारंभ करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद भी महादेव के अनन्य भक्त हैं। वो वाराणसी के सांसद हैं। जो बाबा विश्वनाथ और आदि विश्वेश्वर महादेव की नगरी है।
उज्जैन में महाकाल के दर्शन के लिए आने वाले नरेंद्र मोदी पांचवें प्रधानमंत्री हैं। उनसे पहले लाल बहादुर शास्त्री, मोरारजी देसाई, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी भी महाकालेश्वर के दर्शन कर चुके हैं। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने से पहले 2013 में भी उज्जैन गए थे। इस दौरान उन्होंने महाकाल के दरबार में हाजिरी लगाई। विधि-विधान से पूजा-पाठ किया। महादेव की आरती की।
इस बार प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी महाकालेश्वर के दर्शन करेंगे। महाकाल लोक का लोकार्पण करेंगे तो गवाह देश ही नहीं पूरी दुनिया बनेगी। मध्य प्रदेश समेत पूरे देश और दुनिया में इसका लाइव टेलीकास्ट होगा। मध्य प्रदेश में तो बाकायदा सरकारी छुट्टी का भी ऐलान कर दिया गया है। महाकाल लोक के लोकार्पण से पहले आपके लिए महाकाल से जुड़ी कुछ खास बातें भी बता देते हैं।
महाकाल ज्योतिर्लिंग, शिव जी का तीसरा ज्योतिर्लिंग कहलाता है। ये एक मात्र ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिणमुखी है। महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य आकर्षणों में भगवान महाकाल की भस्म आरती, नागचंद्रेश्वर मंदिर और भगवान महाकाल की शाही सवारी है। भस्म आरती की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसमें ताजा मुर्दे की भस्म से भगवान महाकाल का श्रृंगार किया जाता है लेकिन आजकल इसका स्थान गोबर के कंडे की भस्म का उपयोग किया जाता है। आज भी ये कहा जाता है कि अगर आपने महाकाल की भस्म आरती नहीं देखी तो आपका महाकालेश्वर दर्शन अधूरा है। महाकाल मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं भी हैं बेहद मशहूर
उज्जैन में सरकार का कोई भी मुखिया रात के वक्त नहीं रुकता है। क्योंकि उज्जैन के राजा खुद महाकाल हैं। कहा जाता है कि उज्जैन के राजा विक्रमादित्य भी कभी उज्जैन में रात के वक्त नहीं रुके। महाकाल मंदिर के सामने से कोई बारात भी नहीं निकलती है क्योंकि बाबा के सामने कोई घोड़े पर सवारी नहीं कर सकता।
उज्जैन में महाकाल से बड़ा कोई नहीं है। राज्य और देश के सर्वोच्च पदों पर बैठे पीएम और सीएम भी यहां रात में नहीं रुकते हैं। ऐसा मिथक है कि जिन लोगों ने ये गलती की, उनकी कुर्सी चली गई है। इस लिस्ट में एक प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम भी हैं।
इस मिथक को लेकर कहा जाता है कि भारत के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई एक रात उज्जैन में रुके थे। दूसरे दिन कथित रूप से उनकी कुर्सी चली गई थी। इसके बाद से कोई प्रधानमंत्री उज्जैन में रुका नहीं है। इसके साथ ही एक और मान्यता है कि कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा भी उज्जैन में रात के वक्त रुके थे। जिसके 20 दिन बाद ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था।
बहरहाल, मिथक और मान्यताएं भले टूट जाएं लेकिन महाकाल में उनके भक्तों की आस्था अगाध है। अटूट है। अविचल है जो अब महाकाल लोक के निर्माण के बाद पूरी दुनिया में असीमित भी हो जाएगी।
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