Gita Press के कार्यक्रम में शामिल होकर पीएम मोदी रचेंगे इतिहास, दिलचस्प है स्थापना की कहानी

Gita Press Gorakhpur History: गोरखपुर स्थित गीता प्रेस सुर्खियों में है, 7 जुलाई को पीएम मोदी यहां आने वाले हैं, हाल ही में गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने का ऐलान हुआ था, जानिए इसकी स्थापना की कहानी।

7 जुलाई को गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष का समापन समारोह है

Gita Press Unknown Facts: 7 जुलाई को गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष का समापन समारोह होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हैं, यह कार्यक्रम इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि नरेंद्र मोदी गीता प्रेस आने वाले पहले प्रधानमंत्री होंगे। प्रधानमंत्री आर्ट पेपर पर मुद्रित शिव महापुराण के विशेष अंक विमोचन करेंगे।
कुछ समय पहले ही गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने का ऐलान हुआ है, ऐसे में प्रधानमंत्री गीता प्रेस के कार्यक्रम में क्या कहेंगे इसपर भी लोगों की निगाहें हैं।

सनातन के साहित्य की प्राणवायु है गीता प्रेस

गीता प्रेस अब गोरखपुर का पर्याय बन चुकी है, यहां आने वाले पर्यटक गीता वाटिका आना नहीं भूलते। इस प्रेस की स्थापना की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। बात गुलाम भारत की है... मूल रूप से चुरू, राजस्थान के रहने वाले जयदयाल गोयन्दका पैतृक व्यापार के अलावा अध्यात्म में खासी रुचि रखते थे। सेठ जयदयाल गोयन्दका ने लोगों को बांटने के लिए कोलकाता की एक प्रिंटिंग प्रेस से गीता की 5 हजार प्रतियां छपवाई। प्रेस से मिली प्रतियों में कई गलतियां थीं, जिन्हें देखकर सेठ जी दुखी हो गए। सेठ जयदयाल ने अशुद्धि रहित गीता छापने के लिए अपना प्रेस लगाने का निर्णय लिया गया।
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