इस नए प्लान से मुसलमानों को अपने करीब ला रहे PM मोदी और CM योगी

Pasmanda Muslims : भारत की राजनीति में ऐसा दशकों से चल रहा है। लेकिन पिछले सात आठ सालों से मुसलमानों के अंदर पूरी ताकत के साथ कुछ खास लोगों ने राजनैतिक फायदे के लिए ऐसी सोच पूरी ताकत से भरी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या फिर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ हों, ये मुस्लिम विरोधी है और इनके रहते मुसलमानों का भला नहीं हो सकता।

मुख्य बातें
  • कुछ खास नेताओं ने नरेटिव बनाया कि मुस्लिम भाजपा को पसंद नहीं करते
  • मुस्लिमों में यह सोच भरी गई कि पीएम मोदी और सीएम योगी उनके खिलाफ हैं
  • पसमांदा मुसलमान अब अपने नए सियासी टर्न के लिए तैयार हो गया है

Pasmanda Muslims : कहा जाता है कि मुसलमान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को वोट नहीं देते। हो सकता है कि इस बात में थोड़ी-बहुत सच्चाई हो। लेकिन पसमांदा मुसलमानों को अपने साथ जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जो प्लान बनाया है। यहां उसकी बात की जाएगी। इस चैप्टर में आज देश के उन मुसलमानों का चैप्टर खुलेगा जो धीरे-धीरे उस नैरेटिव से बाहर आने लगे हैं, जिस नैरेटिव में उन्हें सेक्युलरिज्म के नाम पर वोट बैंक पॉलिटिक्स का हिस्सा बनाया गया। ये वो मुसलमान हैं, जिन्हें दूसरों का डर दिखाकर, उनके वोट बटोरे गए, लेकिन जिन्होंने इनके वोट लिए, उन्होंने इन मुसलमानों के लिए क्या किया, इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

कुछ खास लोगों ने मुस्लिम विरोधी सोच गढ़ी

वैसे तो भारत की राजनीति में ऐसा दशकों से चल रहा है। लेकिन पिछले सात आठ सालों से मुसलमानों के अंदर पूरी ताकत के साथ कुछ खास लोगों ने राजनैतिक फायदे के लिए ऐसी सोच पूरी ताकत से भरी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या फिर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ हों, ये मुस्लिम विरोधी है और इनके रहते मुसलमानों का भला नहीं हो सकता। ओवैसी जैसों ने तो ये तक कह दिया कि बीजेपी ने देश के मुसलमानों के खिलाफ जंग छेड़ दी है.. वगैरह वगैरह और इसलिए इन्हें हटाना जरूरी है।

मुसलमान मानते हैं कि उनके साथ धोखा हुआ है

इसी सोच में देश का मुसलमान फंसा रहा और इसी की वजह से मुसलमानों के एकमुश्त वोट एक के बाद एक चुनाव में विपक्ष को मिलते रहे हैं। इसी सोच को बनाकर विपक्ष ने भी मान लिया कि मुस्लिम वोटों के ठेकेदार तो वही है, क्योंकि मुसलमानों के पास कोई चारा नहीं है। वो उन्हीं के पास आएंगे। कहीं और जाएंगे नहीं। लेकिन ये सोच अब ज्यादा दिन चलने वाली नहीं है। क्योंकि मुसलमानों के एक बड़े वर्ग को एहसास होने लगा है कि उनके साथ धोखा हुआ है, उन्हें लगने लगा है कि उनके वोट लेने के लिए उन्हें डर दिखाया जाता है। इसलिए अब मुसलमानों का एक वर्ग पुरानी सोच से बाहर आने लगा है। हमने आपको पाठशाला में पसमांदा मुसलमानों यानी पिछड़े मुसलमानों के बारे में बताया था। अब यही पसमांदा मुसलमान अब अपने नए सियासी टर्न के लिए तैयार हो रहा है।

पसमांदा मुसलमानों के लिए बीजेपी का बड़ा आयोजन

पिछले दिनों यूपी में पसमांदा मुसलमानों के लिए बीजेपी का एक बड़ा आयोजन हुआ। ऐसा बड़ा आयोजन आजतक किसी ने नहीं किया था। इस आयोजन में पसमांदा मुसलमान समाज के बड़े नेता और बुद्धिजीवी आए। इसमें सरकार की तरफ से यूपी के दोनों डिप्टी सीएम शामिल हुए। यूपी सरकार के मुस्लिम मंत्री दानिश आजाद, जो खुद पसमांदा समाज से हैं, वो भी इसमें शामिल हुए। यूपी के हर जिले से पसमांदा समाज के मुसलमान इस आयोजन में आए। और जो लोग वहां पर आए, उन्होंने खुद माना कि पहले किसी ने इस काम के बारे में नहीं सोचा, जो काम पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ ने किया है। पसमांदा मुसलमान ऐसे ही अचानक अपनी पुरानी सोच से बाहर नहीं आ रहा है। उसने काम को देखा परखा है और अब उसे समझ में आ रहा है कि उनके नाम पर सिर्फ एजेंडा चलता है, वो बाकी सभी लोगों को आजमा चुके हैं, लेकिन जो काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किए हैं, वो शायद ही किसी ने किए हों।

  • प्रधानमंत्री आवास योजना
  • 31% घर अल्पसंख्यकों के बने हैं
  • प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि
  • 33% लाभार्थी अल्पसंख्यक हैं
  • प्रधानमंत्री उज्जवला योजना
  • 37% लाभार्थी अल्पसंख्यक हैं
  • प्रधानमंत्री मुद्रा योजना
  • 36% लाभार्थी अल्पसंख्यक हैं
पसमांदा समाज को जोड़ने की कोशिश कर रही बीजेपी

पसमांदा मुसलमानों पर विपक्ष के एकाधिकार को तोड़ने और पसमांदा समाज को जोड़ने की जो कोशिश बीजेपी कर रही है, उसका प्लान पीएम मोदी ने जुलाई में ही बना दिया था। इसी साल 2 और 3 जुलाई को हैदराबाद में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अल्पसंख्यकों के वंचित और कमजोर तबके को बीजेपी का साथ लाने की बात कही थी। पीएम मोदी ने कहा कि हमें तुष्टीकरण नहीं बल्कि तृप्तिकरण के रास्ते पर आगे बढ़ना है। और इसके लिए अल्पसंख्यक समुदाय के बीच देश भर में 'स्नेह यात्रा' निकालनी चाहिये।

यूपी में सबसे ज्यादा पसमांदा मुस्लिम

जुलाई में प्रधानमंत्री ने जो प्लान तय किया उस पर अब यूपी में जमीन पर काम शुरू हो गया है। देश में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी यूपी में है। यूपी में करीब 4 करोड़ मुस्लिम आबादी है जिसमें साढ़े 3 करोड़ आबादी पसमांदा मुस्लिमों की है। पारंपरिक तौर पर यूपी में मुस्लिम आबादी समाजवादी पार्टी, BSP, कांग्रेस को वोट देती आई है। लेकिन जैसे बीजेपी ने यूपी में गैर यादव ओबीसी और गैर जाटव दलितों को जोड़कर समाजवादी पार्टी और BSP के वोट बैंक में सेंध लगाई। वैसे ही अब पसमांदा मुस्लिमों को भी बीजेपी से जोड़ने की कोशिश हो रही है।

पसमांदा सम्मेलन से पहले ही बीजेपी ने इस पर काम शुरू कर दिया है
  • योगी सरकार में इस बार पसमांदा मुस्लिम दानिश अंसारी को मंत्री बनाया गया
  • दानिश अंसारी को शिया मुस्लिम मोहसिन रजा की जगह मंत्री बनाया गया
  • 2021 में पसमांदा मुस्लिमों के इलाके में बीजेपी ने 200 से ज्यादा सभाएं की
  • हर विधानसभा में 10 हज़ार पसमांदा मुस्लिमों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा

चुनावी रणनीति भी बदल रही है बीजेपी

पसमांदा मुस्लिमों के बीच अपनी पैठ बनाने के लिए बीजेपी अपनी चुनावी रणनीति भी बदल रही है। बीजेपी पर ये भी आरोप लगता है कि वो चुनाव में मुस्लिमों को मौका देने से बचती है। यूपी के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने टाइम्स नाउ नवभारत से बातचीत में कहा कि आने वाले निकाय चुनाव में मुस्लिमों को भी टिकट दिया जाएगा। इस बारे में यूपी के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक का कहना है कि चुनाव जो होता है वो जीत के लिए होता है। जीतने की स्थिति में यदि हमारे पसमांदा मुस्लिम समाज के भाई हैं तो उनको हम टिकट देने जा रहे हैं। नगर निगम चुनाव में या देखिए चुनाव तो जीत के आधार पर होता है। यदि वो जीत सकते हैं तो उनको हम देंगे। मुसलमानों का उन पार्टियों से मोहभंग भी हो रहा है, जिन पार्टियों को वो हमेशा वोट देते रहे हैं। इसका उदाहरण अभी जून में हुए यूपी के रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में दिखा। आजमगढ़ में 18% और रामपुर में 49 प्रतिशत मुस्लिम हैं लेकिन सपा हार गई।

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