नई संसद में PM मोदी का पहला संबोधन, बोले-अतीत की कड़वाहट भुलाकर यह आगे बढ़ने का समय
PM Modi First Speech In New Parliament: नई संसद की लोकसभा के अपने पहले भाषण में पीएम ने कहा कि यह शानदार इमारत आधुनिक भारत और इसका निर्माण करने वाले इंजीनियरों एवं श्रमिकों का गौरवगान करती है। इस मौके पर पीएम ने ऐतिहासिक पहले सत्र के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं और संसद सदस्यों को धन्यवाद दिया।
PM Modi First Speech In New Parliament: भारतीय संसदीय इतिहास में 19 सितंबर का दिन मील के पत्थर के रूप में दर्ज हो गया। यह दिन पुरानी संसद से नई संसद की यात्रा के रूप में और आधी आबादी को उनका हक देने के लिए जाना जाएगा। इस ऐतिहासिक दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई संसद के दोनों सदनों लोकसभा एवं राज्यसभा को संबोधित किया। पीएम ने अपने संबोधन में कहा कि यह नई इमारत 140 करोड़ भारतवासियों की आकांक्षाओं को दर्शाती है। साथ ही उन्होंने कहा कि यह समय संकल्पों को पूरा करने और नई ऊर्जा एवं उत्साह के साथ आगे बढ़ने का है।
ऐतिहासिक पहले सत्र की शुभकामनाएं दीं
नई संसद की लोकसभा के अपने पहले भाषण में पीएम ने कहा कि यह शानदार इमारत आधुनिक भारत और इसका निर्माण करने वाले इंजीनियरों एवं श्रमिकों का गौरवगान करती है। इस मौके पर पीएम ने ऐतिहासिक पहले सत्र के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं और संसद सदस्यों को धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री ने कहा, 'नए संसद भवन में प्रवेश करने के साथ ही भारत भविष्य के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है।' इस मौके पर उन्होंने चंद्रयान-3 एवं जी-20 की सफलता का जिक्र किया।
हमें अतीत की सभी कड़वाहटों को भूल जाना चाहिए-PM
उन्होंने कहा, ‘जब हम नए अध्याय की शुरुआत कर रहे हैं तो हमें अतीत की सभी कड़वाहटों को भूल जाना चाहिए। इस भावना के साथ कि हम यहां से हमारे आचरण से, हमारी वाणी से, हमारे संकल्पों से जो भी करेंगे, देश के लिए, राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक के लिए वह प्रेरणा का कारण बनना चाहिए। हमें इस दायित्व को निभाने के लिए भरसक प्रयास भी करना चाहिए।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि आज गणेश चर्तुथी का शुभ दिन है। उन्होंने कहा, ‘गणेश जी शुभता और सिद्धि के देवता हैं। गणेश जी विवेक और ज्ञान के भी दवेता हैं। इस पावन दिवस पर हमारा यह शुभारंभ संकल्प से सिद्धि की ओर एक नये विश्वास के साथ यात्रा को आरंभ करने का है।’
'राज्यसभा में संघवाद की सुगंध भी है'
राज्यसभा के योगदान की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उच्च सदन के सदस्यों की उदार सोच के कारण ही यह संभव हो पाया कि संख्या बल नहीं होने के बावजूद उनकी सरकार पिछले नौ वर्ष में कुछ कड़े निर्णय कर पाई। उन्होंने भारत के संसदीय लोकतंत्र में राज्यसभा के योगदान की चर्चा करते हुए हुए कहा कि संविधान निर्माताओं का यह आशय रहा है कि राज्यसभा राजनीति की आपाधापी से ऊपर उठ कर गंभीर बौद्धिक विचार-विमर्श का केंद्र बने और देश को दिशा देने का सामर्थ्य यहीं से निकले। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में संघवाद की सुगंध भी है।
राज्यसभा के योगदान की सराहना की
उनहोंने कहा, ‘हम अपने आचरण, अपने व्यवहार से संसदीय शुचिता के प्रतीक के रूप में देश की विधानसभाओं को, देश की स्थानीय स्वराज संस्थाओं को, बाकी सारी व्यवस्थाओं को प्रेरणा दे सकते हैं।’ प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा के सदस्यों की उदार सोच का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके कारण सरकार पिछले नौ साल में संख्या बल नहीं होने के बावजूद कुछ कड़े निर्णय कर पायी। उन्होंने कहा, ‘जब हम आजादी की शताब्दी मनायेंगे तो वह विकसित भारत की स्वर्ण शताब्दी होगी। पुराने संसद भवन में हम पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में पहुंचे थे और नये संसद भवन में हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेंगे।’
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