पहली बार अयोध्या में दीपोत्सव पर पीएम मोदी, कई संदेश दे जाएगी ये धार्मिक यात्रा
PM Narendra Modi in Ayodhya Today: अयोध्या आने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 अक्टूबर को केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम पहुंचकर पूजा अर्चना कर चुके हैं। और इसके पहले वह इसी महीने उज्जैन में महाकाल कॉरिडोर का भी उद्घाटन कर चुके हैं। जाहिर है पीएम मोदी धार्मिक यात्राओं के लिए लोगों के बीच खास संदेश देना चाहते हैं।
मुख्य बातें
- 2 साल पहले राममंदिर के भूमि पूजन पर अयोध्या आए थे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।
- साल 2017 से योगी सरकार अयोध्या में दीपोत्सव का आयोजन कर रही है।
- इस बार 17 लाख दीप जलाने कर विश्व रिकॉर्ड बनाने की तैयारी है।
PM Narendra Modi in Ayodhya Today: इस बार भगवान राम की नगरी अयोध्या में दिवाली के मौके पर दीपोत्सव बेहद खास होने वाला है। पिछले 6 साल से आयोजित हो रहे दीपोत्सव कार्यक्रम में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद शिरकत करेंगे। इसे देखते हुए दीपों के जलाने का नया रिकॉर्ड बनाने की भी तैयारी है। इस बार अयोध्या को 600 किलो फूल और 17 लाख दीयों से सजाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करीब 2 साल बाद अयोध्या पहुंचेंगे। इसके पहले वह साल 2020 में राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू होने के समय, भूमि पूजन के लिए अयोध्या आए थे। संबंधित खबरें
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अयोध्या आने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 अक्टूबर को केदारनाथ धाम पहुंचे थे। जहां पर उन्होंने बाबा केदारनाथा की पूजा-अर्चना की थी। इसके बाद वह बद्रीनाथ धाम भी गए थे। और करीब 3400 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शिलान्यास किया। उत्तराखंड की धार्मिक यात्रा के करीब 10 दिन पहले यानी 11 अक्टूबर को उन्होंने उज्जैन में महाकाल कॉरिडोर का भी उद्घाटन किया था। और अब पहली बार अयोध्या के दीपोत्सव में पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई अहम संदेश दे रहे हैं। संबंधित खबरें
सबसे अहम संदेश तो यही है कि भाजपा जिस सांस्कृतिक एजेंडे का समर्थन करती है, उसे पूरा करने में मोदी सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही है। साथ ही 2017 से योगी सरकार के दौर में शुरू हुए दीपोत्सव कार्यक्रम में पहुंचकर, मोदी, सीएम योगी पर बढ़ते भरोसे का भी संदेश दे रहे हैं। इसके साथ अयोध्या पहुंचकर राम मंदिर निर्माण की प्रगति के जरिए यह संदेश देने की भी कोशिश है कि मंदिर निर्माण अपने तय समय पर पूरा कर लिया जाएगा। राम मंदिर निर्माण समिति के अनुसार मंदिर निर्माण कार्य योजना के अनुसार आगे बढ़ रहा है और दिसंबर 2023 तक भक्तों को भगवान श्री राम की पूजा-अर्चना करने का मौका मिलेगा। संबंधित खबरें
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राम मंदिर आंदोलन साल 1990 से ही भाजपा के लिए सियासी ऊंचाई चढ़ने का प्रमुख जरिया रहा है। और जब मंदिर का निर्माण शुरू हो चुका है और उसके एक बड़े हिस्से को 2023 के अंत तक पूरा हो जाने की उम्मीद है। ऐसे में भाजपा इस उपलब्धि को निश्चित तौर पर भुनाने की कोशिश करेगी। खास तौर पर जब नवंबर या दिसंबर में गुजरात के चुनाव हो सकते हैं। जहां पर न केवल भाजपा पिछले 27 साल से सत्ता पर काबिज है। बल्कि गोधरा कांड की वजह से गुजरात के लोगों की भावतनात्मक यादें भी जुड़ी हुई हैं। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश के चुनाव भी नवंबर में हो रहे हैं। जहां पर भाजपा सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है। और इन दोनों राज्यों में हिंदू आबादी बहुलता में है।संबंधित खबरें
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प्रशांत श्रीवास्तव author
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