भारत के आखिरी गांव का आध्यात्म से लेकर चीन तक कनेक्शन, माणा बनेगा 700 गांवों के लिए मॉडल

PM Narendra Modi in Mana Gaon:चीन की सीमा से महज 26 किलोमीटर दूर होने और भारत का आखिरी गांव होने के कारण माणा गांव की अहमियत रणनीतिक रूप से बेहद खास है। रसद की सप्लाई से लेकर सेना के मूवमेंट में माणा गांव हमेशा से चीन के खिलाफ एक प्रमुख ढाल के रूप में काम आ सकता है। इसके अलावा पर्यटन के नजरिए से भी माणा गांव बेहद खास है।

मुख्य बातें
  • चीन और नेपाल से सीमा मिलने के कारण उत्तराखंड रणनीतिक रूप से सेना के लिए बेहद अहम राज्य है।
  • मान्यता के अनुसार माणा गांव में महर्षि वेदव्यास की गुफा है। इस गुफा के समीप भगवान गणेश की गुफा भी है।
  • इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं होने से भूतिया हो रहे हैं गांव, उत्तराखंड में ऐसे गांवों की संख्या 700 से ज्यादा है।

PM Narendra Modi in Mana Gaon:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उत्तराखंड के चमोली जिले के ऐसे गांव में पहुंचे, जिसका महाभारत (Mahabharat) काल से नाता है। चीन की सीमा (China Border) के करीब स्थित माणा गांव भारत का आखिरी गांव है। यहां से तिब्बत की दूरी केवल 26 किलोमीटर है। माणा गांव में नए प्रोजेक्ट की शुरूआत कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने बड़ा रणनीतिक दांव चला है।

इसके जरिए उनकी कोशिश है कि चीन की हरकतों पर आसानी से नजर रखी जा सके। और गांवों से पलायन को रोका जा सके। अगर यह मॉडल सफल होता है तो न केवल गांव वालों के जरिए चीन की हरकतों की खुफिया जानकारी समय पर मिल सकेगी, बल्कि अकेले उत्तराखंड के करीब 700 'भूतिया' गांवों (Ghost Village) का भी कायाकल्प होगा।

माणा गांव (Mana Village) क्यों है अहम

चीन की सीमा से महज 26 किलोमीटर दूर होने और भारत का आखिरी गांव होने के कारण माणा गांव की अहमियत रणनीतिक रूप से खुद ही खास हो जाती है। क्योंकि किसी भी इमरजेंसी की स्थिति में भारतीय सेना के लिए माणा गांव बेहद कारगर साबित हो सकता है। रसद की सप्लाई से लेकर सेना के मूवमेंट में माणा गांव हमेशा से चीन के खिलाफ एक प्रमुख ढाल के रूप में काम आ सकता है। और इसी खासियत को देखते हुए अब भारत सरकार, माणा गांव में इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर जोर दे रही है।

इसी के तहत करीब 1000 करोड़ रुपये की सड़क चौड़ीकरण परियोजनाओं का प्रधानमंत्री ने शिलान्यास किया। इसमें एक सड़क माणा से माणा पास (एनएच - 07) और दूसरी सड़क जोशीमठ से मलारी (एनएच107बी) तक चौड़ी की जाएगी। जो कि हर मौसम में सड़क (All Weather Roads) संपर्क को बनाए रखेंगे।

इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं होने से भूतिया हो रहे हैं गांव

चीन और नेपाल से सीमा मिलने के कारण उत्तराखंड रणनीतिक रूप से सेना के लिए बेहद अहम राज्य है। लेकिन सीमा पर स्थित गांवों का खाली होना, एक चिंता का विषय बनता जा रहा है। इसी वजह से सीमा या सुदूर इलाकों में स्थित इन गांवों को भूतिया गांव कहा जाने लगा है। उत्तराखंड ग्रामीण विकास एवं पलायन आयोग की अप्रैल 2018 में जारी रिपोर्ट के अनुसार साल 2001 और 2011 की अवधि में 6,338 ग्राम पंचायतों से कुल 3,83,726 लोगों ने अस्थायी और 3,946 ग्राम पंचायतों से 1,18,981 लोगों ने स्थायी रूप से पलायन किया। सभी जिलों में 26 से 35 आयु वर्ग के युवाओं ने सबसे अधिक पलायन किया। इनका औसत 42.25 फीसदी है।

रिपोर्ट के अनुसार पलायन की सबसे बड़ी वजह रोजगार है। इसकी वजह से 50.16 फीसदी लोग पलायन कर गए। इसके बाद अच्छी शिक्षा के लिए करीब 15 फीसदी, स्वास्थ्य सेवाओं में कमी के कारण 8.83 फीसदी लोगों ने पलायन किया। कृषि उत्पादन में कमी होना भी पलायन की एक बड़ी वजह रहा है।

2011 की जनगणना से पहले उत्तराखंड में कुल 16,793 गांवों में से 1,048 गांव निर्जन पाए गए थे। लेकिन आयोग ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट दी तो बताया कि जनगणना के बाद राज्य में 734 अन्य गांव निर्जन हो चुके हैं, जबकि 565 गांव ऐसे पाए गए, जहां एक दशक के दौरान आबादी में 50 फीसदी से अधिक कमी आई थी।

वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (Vibrant Villages Programme) पर सरकार का फोकस

चीन के खतरे और लोगों की पलायन की समस्या को देखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारण ने साल 2022 के बजट में Vibrant Villages Programme को लांच करने का ऐलान किया था। इसके तहत भारत सरकार सीमा पर स्थित 0-10 किलोमीटर के भीतर स्थित गांवों पर खास तौर से फोकस करेगी। इसके लिए 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के 117 सीमावर्ती जिलों के 460 सीमावर्ती ब्लॉकों में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित पहली बस्ती की पहचान की गई है। जो कि उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में स्थित है। इन बस्तियों और गांवों में टेलिकॉम, अस्पताल, स्कूल सड़क जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर पैदा करने पर जोर है। जिससे कि पलायन रूक सके।

माणा गांव पर्यटन के रूप में भी अहम

अलकनंदा और सरस्वती के संगम पर स्थित माणा गांव का महाभारत काल से नाता है। धार्मिक मान्यता है कि माणा गांव में महर्षि वेदव्यास जी की गुफा है। इस गुफा के समीप भगवान गणेश जी की गुफा है। और यही पर व्यास पोथी है। मान्यता है कि यहीं पर महाभारत की रचना हुई। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि माणा गांव से होकर ही पांडव स्वर्ग गए थे। इस गांव में व्यास गुफा, गणेश गुफा, प्राचीन सरस्वती मंदिर, भीम पुल और वसुधारा जैसे तीर्थस्थल भी हैं। ऐसे में माणा गांव में इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होने पर पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

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प्रशांत श्रीवास्तव author

करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें

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