सोशल मीडिया, समुदायों में असहनशीलता से दुनियाभर में ध्रुवीकरण बढ़ा, बोले CJI चंद्रचूड़

CJI News: केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की मुंबई पीठ के नए परिसर के उद्घाटन पर बोलते हुए उन्होंने जिक्र किया कि न्यायाधिकरण अदालतों में देरी को रोकने और न्याय के समग्र वितरण में सहायता करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

CJI DY Chandrachud

सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ (File photo)

CJI News: भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को कहा कि सोशल मीडिया के बढ़ते दायरे और समुदायों में बढ़ती असहनशीलता की वजह से दुनियाभर में ध्रुवीकरण बढ़ रहा है और भारत इससे अछूता नहीं है। जमनालाल बजाज पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि भारत की बहुलवादी संस्कृति और बातचीत का माहौल इसे कई उन देशों से अलग बनाता है, जिन्हें उसी अवधि में स्वतंत्रता मिली थी लेकिन वे लोकतंत्र को कायम नहीं रख सके।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि भारत के साथ-साथ कई अन्य देशों को 75 साल पहले औपनिवेशिक शासन से आजादी मिल गई थी, लेकिन उनमें से कई वास्तविक स्वशासन को प्राप्त करने में असमर्थ रहे, जबकि भारत अपने लोकतंत्र को बनाए रखने में सक्षम रहा।

केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की भूमिका का जिक्र

सीजेआई ने यह भी कहा कि जब हम अन्याय का सामना करते हैं तो हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम इसे महज एक गुजरे हुए चरण के रूप में न देखें, क्योंकि अगर हमें कुछ हद तक संकल्प के साथ इससे नहीं निपटना है, तो एक समस्या है। यह गंभीर खतरा है कि यह हमारे समाज को घेर लेगा और संभवतः जलमग्न कर देगा। पुरस्कार समारोह से पहले केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की मुंबई पीठ के नए परिसर के उद्घाटन पर बोलते हुए उन्होंने जिक्र किया कि न्यायाधिकरण अदालतों में देरी को रोकने और न्याय के समग्र वितरण में सहायता करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

इतने अधिक न्यायाधिकरणों का गठन क्यों जरूरी?

हालांकि, उन्होंने कहा कि नियुक्तियों को लेकर भी यह खींचतान थी जिसके कारण यह विचार भी आया कि क्या वास्तव में इतने अधिक न्यायाधिकरणों का गठन करना आवश्यक था। हमारे न्यायाधिकरण आम तौर पर समस्याओं से ग्रस्त हैं, और फिर हम खुद से पूछते हैं कि क्या इतने सारे न्यायाधिकरणों का गठन करना वास्तव में आवश्यक था क्योंकि आपको न्यायाधीश नहीं मिलते हैं। जब आपको न्यायाधीश मिलते हैं, तो रिक्तियां पैदा होती हैं जो लंबे समय तक लंबित रहती हैं।
सीजेआई ने जोर देकर कहा, 'न्यायाधीशों की नियुक्ति पर अंतिम नियंत्रण किसका होगा, इसे लेकर लगातार खींचतान चल रही है। सीजेआई ने अदालत कक्षों को दिव्यांग व्यक्तियों के लिए अधिक सुलभ बनाने की जरूरत पर भी जोर दिया और कहा कि तकनीक न्याय तक पहुंचने का एकमात्र माध्यम नहीं बन सकती है, और अदालतों तक भौतिक पहुंच को कभी भी कम नहीं आंका जा सकता है और इसलिए इसमें लगातार सुधार किया जाना चाहिए।
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