पंजाब में कांग्रेस का क्या होगा? आलाकमान को सौंपी गई विस्तृत रिपोर्ट; सामने आईं 7 कमजोरियां

Punjab Politics: कांग्रेस का पंजाब में क्या होगा? पिछले विधानसभा चुनाव में सूबे की जनता ने ये तो साफ कर दिया कि वो कांग्रेस से तंज आ चुके हैं। राज्य में अब कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। दिल्ली चुनाव के बाद से पंजाब में आम आदमी पार्टी को लेकर तमाम अटकलें लगाई जा रही हैं। इसी बीच कांग्रेस आलाकमान को पंजाब की सियासत से जुड़ी विस्तृत रिपोर्ट सौंपी गई।

Congress in Punjab

राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे। (File Photo)

Congress in Punjab: पंजाब कांग्रेस में नेतृत्व संकट और रणनीतिक चूक को लेकर आलाकमान को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी गई है, जो राज्य की राजनीति में हलचल मचा सकती है। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और के.सी. वेणुगोपाल को पंजाब कांग्रेस की वर्तमान स्थिति पर गहन विश्लेषण वाली यह रिपोर्ट दी गई है।

यह रिपोर्ट पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की शिकायतों, आम आदमी पार्टी (आप) के साथ भविष्य के रिश्तों, और कांग्रेस की राजनीतिक निष्क्रियता के आरोपों को लेकर तैयार की गई है। आलाकमान ने इसे गंभीरता से लेते हुए नए प्रदेश प्रभारी महासचिव भूपेश बघेल के साथ चर्चा करने का फैसला किया है।

पंजाब कांग्रेस की कमजोरियां: रिपोर्ट के अहम 7 बिंदु

1). नेताओं में आपसी तालमेल की कमी

पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में एकता का अभाव है। प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह उर्फ राजा वडिंग की कार्यशैली को “एकला चलो” वाली बताया गया है, जिससे पार्टी के संगठनात्मक ढांचे पर असर पड़ रहा है।

2). मुख्य विपक्ष की भूमिका में नाकामी

आप सरकार को बने तीन साल हो चुके हैं, लेकिन कांग्रेस ने किसी बड़े मुद्दे पर आक्रामक रुख नहीं अपनाया। लंबे समय तक कोई बड़ा विरोध प्रदर्शन या आंदोलन नहीं हुआ, जिससे ऐसा लगता है कि कांग्रेस राज्य सरकार से टकराने से बच रही है। यह स्थिति पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है।

3). प्रदेश अध्यक्ष की अनुशासनहीनता

रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश अध्यक्ष ने पूर्व प्रभारी से मिलकर अपनी पसंद के कार्यकारी जिलाध्यक्षों की नियुक्ति करवाई, जबकि यह अधिकार सीधे एआईसीसी (AICC) के पास होता है। इसे अनुशासनहीनता का गंभीर मामला माना गया है।

4). विधानसभा उपचुनावों में निष्क्रियता

रिपोर्ट के मुताबिक, विधानसभा उपचुनावों के दौरान प्रदेश अध्यक्ष बाकी सीटों को छोड़कर अपनी पत्नी के चुनाव प्रचार में व्यस्त रहे, जिससे पार्टी को नुकसान हुआ।

5). कॉरपोरेशन चुनावों में लापरवाही

हालिया नगर निगम चुनावों के लिए पार्टी ने चुनाव समिति तो बनाई, लेकिन उसकी कोई बैठक नहीं हुई। टिकट वितरण मनमर्जी से हुआ, जिसका परिणाम कांग्रेस के लिए बेहद निराशाजनक रहा।

6). बीएसपी से गुपचुप गठबंधन

रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि पंजाब कांग्रेस ने बिना आलाकमान को बताए फगवाड़ा में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) से गठबंधन किया। यह पार्टी अनुशासन के खिलाफ था।

7). घर वापसी नीति में भेदभाव

कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी (आप) या भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में गए नेताओं की वापसी को लेकर भी संगठन ने कोई स्पष्ट नीति नहीं अपनाई। पार्टी में अपने करीबी नेताओं को जगह दी गई, जबकि विरोधी खेमे के करीबियों को बाहर रखा गया।

क्या होंगे कांग्रेस आलाकमान के अगले कदम?

पंजाब कांग्रेस की इस अंदरूनी रिपोर्ट ने पार्टी नेतृत्व को सोचने पर मजबूर कर दिया है। नए प्रभारी भूपेश बघेल को इस रिपोर्ट पर विस्तृत चर्चा के बाद भविष्य के फैसले लेने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। माना जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस में जल्द ही बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

रिपोर्ट में उठाए गए सवालों को देखते हुए कांग्रेस आलाकमान के लिए यह तय करना महत्वपूर्ण होगा कि क्या पंजाब कांग्रेस की मौजूदा रणनीति से पार्टी 2024 लोकसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन कर पाएगी या नहीं।

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रंजीता झा author

13 साल के राजनीतिक पत्रकारिता के अनुभव में मैंने राज्य की राजधानियों से लेकर देश की राजधानी तक सियासी हलचल को करीब से देखा है। प्लांट की गई बातें ख़बरे...और देखें

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