BJP से आखिर कहां हो गई चूक? समझिए घोसी में मिली हार के 3 साइड इफेक्ट

Ghosi Result Side Effects: छह राज्यों के सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों में भाजपा की सबसे अधिक टेंशन घोसी सीट पर मिली शिकस्त ने बढ़ा दी है। इस चुनाव को विपक्षी गठबंधन 'INDIA' बनाम NDA की सीधी जंग मानी जा रही थी। ऐसे में इस हार से भाजपा खेमे में होने वाले तीन साइड इफेक्ट को समझिए।

घोसी उपचुनाव के नतीजों में भाजपा की हार के साइड इफेक्ट्स समझिए।

'INDIA' vs NDA: जिस तरह उत्तर प्रदेश के घोसी विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव के प्रचार में बड़े-बड़े नेताओं का जमावड़ा लगा था, उससे ये समझा जा रहा था कि ये सपा बनाम भाजपा की जंग नहीं बल्कि प्रतिष्ठा का चुनाव बन चुका है। विपक्षी गठबंधन INDIA और सत्ताधारी दलों के गठबंधन NDA के बीच सीधी टक्कर हुई। यहां तक कि घोसी लोकसभा सीट पर जिस बहुजन समाज पार्टी का उसने भी अपना प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा था। ऐसे में भाजपा के दारा सिंह चौहान को मिली बुरी तरह हार भाजपा के लिए टेंशन बढ़ाने का काम कर रही है।

घोसी में भाजपा की हार के साइड इफेक्ट्स

उत्तर प्रदेश के घोसी में हुए विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का एक्सपेरिमेंट पूरी तरह विफल हो गया है। भाजपा ने अखिलेश यादव से दारा सिंह चौहान को तो वापस ले लिया, मगर उनकी सीट पर हुए उपचुनाव में सपा का दबदबा बरकरार रहा। वैसे तो दारा सिंह चौहान की इस हार के कई सियासी मायने हैं, मगर आपको भाजपा की इस हार के 3 साइड इफेक्ट समझने चाहिए।

1). टूट गया दारा सिंह चौहान का ये बड़ा ख्वाब

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से ठीक पहले योगी सरकार में मंत्री रहते हुए दारा सिंह चौहान ने भाजपा से बगावत कर दी थी। उस वक्त वो अखिलेश यादव के साइकिल पर सवारी हो गए थे। जब सपा यूपी में सरकार बनाने में नाकाम हो गई तो वो वापस भाजपा में लौट आए। शायद उन्होंने ये ख्वाब सजाया था कि कैबिनेट मंत्री रहते हुए पार्टी का साथ छोड़ा था, अब वापसी हुई है तो मंत्री पद तो मिल ही जाएगा। मगर घोसी में मिली हार से दारा सिंह का ये सपना चकनाचूर हो गया। उनकी हार को लेकर ये दावे किए जा रहे हैं कि जनता दलबदलुओं से आजिज आ चुकी है, इसी वजह से उन्हें घोसी में हुए उपचुनाव में जनता नकार दिया।

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