MCA चुनाव के बहाने पक रही है राजनीतिक खिचड़ी ! पवार, शिंदे- फडणवीस मुलाकात है खास
सियासत में संभावनाओं के दरवाजे हमेशा खुले होते हैं। मौका कभी भी हवा के झोंके की तरह कमरे के अंदर दाखिल हो सकता है। एमसीए चुनाव से पहले शरद पवार, एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस की मुलाकात को कुछ उसी तरीके से देखा जा रहा है।
एमसीए चुनाव से पहले खास मुलाकात
महाराष्ट्र की राजनीति में किसी ने सोचा नहीं था कि हिंदुत्व की बात करने वाले उद्धव ठाकरे एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे। लेकिन महाविकास अघाड़ी के तौर पर सभी लोगों ने उस सरकार को देखा। महाराष्ट्र में अब वो सत्ता से बाहर हो चुके हैं। उद्धव के विश्वस्त रहे एकनाथ शिंदे सीएम हैं और बीजेपी सहयोगी की भूमिका में है। इन सबके बीच महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव से पहले वानखेड़े स्टेडियम के गारवारे हॉल में तीन दिग्गजों शरद पवार, एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस ने डिनर किया और करीब करीब इस बात पर सहमति बन चुकी है कि देवेंद्र फडणवीस के करीबी अमोल काले को कमान मिल जाएगी। इन सबके बीच सियासी हल्के में शरद पवार और देवेंद्र फडणवीस की मुलाकात को अलग नजरिए से देखा जा रहा है जिसमें क्रिकेट का बल्ला कॉमन कड़ी है।
एमसीए चुनाव से पहले खास डिनर
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शरद पवार के साथ एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस की मुलाकात को एनसीपी नेताओं ने गैरराजनीतिक बताया। एनसीपी का कहना है कि पवार साहेब ने राजनीति और क्रिकेट को कभी मिक्स नहीं किया। क्रिकेट के मुद्दे पर ही सिर्फ मुलाकात थी और कोई सियासी आशय नहीं निकालना चाहिए। लेकिन कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने आरोप लगाया कि कहीं न कहीं पर्दे के पीछे और कोई राजनीतिक स्क्रिप्ट लिखी जा रही है। यह एक तरह से मैच फिक्सिंग है। वो कहते हैं कि इससे आप ऐसे भी समझ सकते हैं जब अंधेरी ईस्ट बायपोल के लिए पवार ने शिवसेना उद्धव गुट की उम्मीदवार रुतुजा लटके के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारने की अपील की तो बीजेपी ने झटपट मान लिया। और उसके बदले में एमसीए अध्यक्ष चुनाव में बीजेपी का बैकडोर समर्थन किया।
क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि अंधेरी ईस्ट बायपोल में जिस तरह से राजनीतिक बयानबाजी के बीच शिवसेना बालासाहेब गुट की रुतुजा लटके के खिलाफ बीजजेपी ने उम्मीदवार नहीं उतारा उससे एक बात साफ थी कि नजर कहीं और थी। शरद पवार ने खुद बीजेपी से अपील की थी कि वो अपने उम्मीदवार को हटा ले। इससे पहले एमएनएस ने भी बीजेपी और एकनाथ शिंदे गुट से अपील की थी। शरद पवार जानते हैं कि महाराष्ट्र की राजनीति में प्रासंगिक बने रहने के लिए ऐसे कदम उठाने ही पड़ेंगे जिसकी वजह से विकल्पों की कमी ना हो।आपने देखा होगा कि जब महाविकास अघाड़ी की सरकार थी तो उस वक्त कांग्रेस का सबसे अधिक विरोध इस बात को लेकर ही था कि सत्ता के असली मालिक को शरद पवार और उद्धव ठाकरे। लिहाजा आपने देखा होगा कि जब बीजेपी ने अपने उम्मीदवार को नहीं उतारने का फैसला किया तो मुखर तौर पर कांग्रेस ने ही निशाना साधा था जबकि शरद पवार चुप रहे।
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