Delhi घोंट रही दम, पल्यूशन इमरजेंसी जैसे हालात! धीमी हवा-पराली जलाए जाने के बीच 'गंभीर' AQI 400 के पार

Delhi Pollution: इस बीच, मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाले आप (AAP) शासित पंजाब (Punjab) में मंगलवार को पराली जलाने की रिकॉर्ड 1,842 घटनाएं दर्ज की गईं। विपक्षी कांग्रेस (Congress) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इसे मुद्दा बनाया और राज्य सरकार को आड़े हाथ ले लिया। पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं पर भाजपा ने दिन में आप सरकार को घेरते हुए कहा कि वह अपनी ‘‘गहरी नींद’’से जागे।

Delhi Pollution: देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) में वायु गुणवत्ता मंगलवार (एक नवंबर, 2022) को और खराब हो गई। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ‘गंभीर’ श्रेणी में रहा, जबकि शहर का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक शाम चार बजे 424 दर्ज किया गया जो 26 दिसंबर, 2021 (459) के बाद सबसे खराब है। उत्तरी राज्यों में जलाई जाने वाली पराली के धुएं, स्थानीय हवा, कंस्ट्रक्शन साइट्स से आने वाली धूल-मिट्टी और ठंडे तापमान के खतरनाक मिश्रण के चलते शहर में एयर इमरजेंसी जैसे हालत पनप गए हैं। वहीं, एक रोज पहले सोमवार रात आठ बजे यह 361 (बहुत खराब) था। ‘समीर’ ऐप पर साझा किए गए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में मंगलवार सुबह नौ बजकर 10 मिनट पर एक्यूआई 426 रहा।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के डेटा के मुताबिक, 2 जनवरी (एक्यूआई 404) के बाद इस साल दिल्ली में यह दूसरा 'गंभीर' वायु गुणवत्ता दिवस है। 400 से ऊपर एक्यूआई को "गंभीर" माना जाता है और यह स्वस्थ लोगों को प्रभावित कर सकता है और पहले से बीमार व्यक्तियों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान (ईपीआईसी) द्वारा जून में जारी वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (एक्यूएलआई) के अनुसार, खराब वायु गुणवत्ता के कारण दिल्लीवासियों की जीवन प्रत्याशा 10 साल कम होने की आशंका है।
बुराड़ी क्रॉसिंग (एक्यूआई 477), बवाना (465), वजीरपुर (467), नरेला (465), विवेक विहार (457), रोहिणी (462), जहांगीरपुरी (475), सोनिया विहार (469) और अशोक विहार (465) में वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में रही। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, कई क्षेत्रों में पीएम 2.5 यानी फेफड़ों को नुकसान पंहुचा सकने वाले सूक्ष्म कणों की सांद्रता 450 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक रही, जो 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से लगभग आठ गुना अधिक है।
ध्यान देने वाली बात है कि अपेक्षाकृत धीमी हवाएं चलने और पंजाब में पराली जलाए जाने के मामले बढ़ने के बीच वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंची है। दिल्ली में इस दौरान मंगलवार को धुंध और धुएं की परत छाई रही। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘NASA’ के उपग्रह से ली गई तस्वीरों में कई लाल निशान दिख रहे हैं, जो पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों में पराली जलाए जाने के मामलों को दर्शाते हैं। पूर्वी पाकिस्तान से पूर्वी उत्तर प्रदेश तक सिंधु-गंगा के मैदानों के विशाल क्षेत्रों में धुंध की एक परत दिखाई दी।
दरअसल, शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 को ‘संतोषजनक’, 101 और 200 को ‘मध्यम’, 201 और 300 को ‘खराब’, 301 और 400 को ‘बहुत खराब’, तथा 401 और 500 को ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है। उधर, राष्ट्रीय राजधानी में न्यूनतम तापमान सामान्य से एक डिग्री सेल्सियस नीचे 15.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं अधिकतम तापमान सामान्य से दो डिग्री ऊपर 33 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। शहर में शाम साढ़े पांच बजे सापेक्ष आर्द्रता 62 फीसदी दर्ज की गई।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के एक विश्लेषण के अनुसार, जब एक नवंबर से 15 नवंबर के बीच पराली जलाए जाने की घटनाएं चरम पर होती हैं, तब राजधानी में लोग सबसे खराब हवा में सांस लेते हैं। एक नवंबर से 15 नवंबर तक शहर में पीएम2.5 औसतन 285 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया जाता है। इस बीच, मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन) महेश पलावत ने कहा कि हवा की धीमी गति और रात में कम तापमान के कारण प्रदूषकों का संचय हो रहा है। पश्चिमी विक्षोभ के कारण चार नवंबर से नमी बढ़ सकती है और हवा की गति और कम हो सकती है।
दिल्ली के मंत्री गोपाल राय ने बताया कि पिछले दो दिनों से दिल्ली प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा हुआ है। यह सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि हरियाणा और यूपी में भी बढ़ा हुआ है। मानेसर, फरीदाबाद और अन्य जगहों पर AQI उच्च था, जबकि दिल्ली और आसपास के इलाके में यह बहुत बढ़ा हुआ था।
दिल्ली में प्रदूषण के बढ़े स्तर के बीच पंजाब ने पराली जलाने के मामलों में साल 2021 का रिकॉर्ड तोड़ दिया। सूबे में इस साल 2021 के मुकाबले 30% ज्यादा पराली जली। एक नवंबर, 2022 तक पंजाब में पराली जलाने के 17846 मामले सामने आए थे, जबकि साल 2021 में एक नवंबर तक पंजाब में पराली जलाने के 14920 मामले ही सामने आए थे। उत्तर भारत में पराली जलाने के मामलों में से 80% मामले पंजाब में ही सामने आए। (एजेंसी इनपुट्स के साथ)
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अभिषेक गुप्ता author

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