हाथरस भगदड़: एसडीएम-सीओ सहित 4 सस्पेंड, SIT ने कहा- बड़ी साजिश की आशंका से इनकार नहीं
रिपोर्ट में कहा गया कि आयोजन समिति ने पुलिस के साथ दुर्व्यवहार किया। स्थानीय पुलिस को कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण करने से रोकने का प्रयास किया गया। रिपोर्ट में साथ ही कहा गया है कि सत्संगकर्ता या प्रवचनकर्ता (भोले बाबा) को बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के भीड़ से मिलने की अनुमति दी गई।
हाथरस भगदड़ मामले में एसआईटी रिपोर्ट
Hathras stampede case: उत्तर प्रदेश सरकार ने हाथरस भगदड़ मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (SIT) की रिपोर्ट के आधार पर मंगलवार को स्थानीय उप जिलाधिकारी (SDM), पुलिस क्षेत्राधिकारी (CO) और चार अन्य को निलंबित कर दिया। इस रिपोर्ट में घटना के पीछे बड़ी साजिश से इनकार नहीं किया गया है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट में स्थानीय प्रशासन के स्तर पर भी लापरवाही होने की बात कही गई है जिसके कारण दो जुलाई को यह घटना हुई। रिपोर्ट में भगदड़ के लिए आयोजकों को जिम्मेदार ठहराते हुए दावा किया गया है कि उन्होंने भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए कोई इंतजाम नहीं किए। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट में जिला प्रशासन की भी जवाबदेही तय की गई है।
हाथरस भगदड़: SIT ने 300 पन्नों की रिपोर्ट शासन को सौंपीं, सूरजपाल उर्फ भोले बाबा का कहीं जिक्र नहीं
पुलिस-प्रशासन ने आयोजन को गंभीरता से नहीं लियारिपोर्ट कहती है कि स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने आयोजन को गंभीरता से नहीं लिया और वे वरिष्ठ अधिकारियों को उचित सूचना देने में विफल रहे। हाथरस जिले के फुलरई गांव में स्वयंभू बाबा सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में 121 लोगों की जान चली गई थी। एसआईटी रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने एसडीएम, सीओ, तहसीलदार, थाना प्रभारी, चौकी प्रभारी समेत छह लोगों को अपने दायित्व के निर्वहन में लापरवाही के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए निलंबित कर दिया। अधिकारियों ने बताया कि अपनी प्रारंभिक जांच में एसआईटी ने प्रत्यक्षदर्शियों और अन्य साक्ष्यों के आधार पर भगदड़ के लिए मुख्य रूप से कार्यक्रम आयोजकों को जिम्मेदार ठहराया है। एसआईटी ने घटना के पीछे किसी बड़ी साजिश से इनकार नहीं किया है और गहन जांच की जरूरत बताई है।
बाबा के वकील का दावा, कुछ लोगों ने छिड़का जहरीला पदार्थ
छह जुलाई को स्वयंभू बाबा के अधिवक्ता ने दावा किया था कि कुछ अज्ञात लोगों द्वारा एक किस्म का जहरीला पदार्थ छिड़कने के कारण भगदड़ मची। जांच समिति ने कार्यक्रम आयोजकों और तहसील स्तर की पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को भी दोषी पाया। समिति ने कहा कि स्थानीय एसडीएम, सीओ, तहसीलदार, थाना प्रभारी और चौकी प्रभारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में लापरवाही के लिए दोषी हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सिकंदराराऊ के उप जिलाधिकारी ने आयोजन स्थल का निरीक्षण किए बिना ही कार्यक्रम की अनुमति दे दी और वरिष्ठ अधिकारियों को भी सूचित नहीं किया।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा हाथरस भगदड़ मामला, CJI ने जांच की मांग वाली याचिका सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की
अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिशउन्होंने बताया कि अधिकारी ने कार्यक्रम को गंभीरता से नहीं लिया। एसआईटी ने सिंकदराराऊ में तैनात संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की, जिसमें एसडीएम, क्षेत्राधिकारी, सिकंदराराऊ थाने के प्रभारी, तहसीलदार और कचौरा तथा पोरा के पुलिस चौकी प्रभारी शामिल हैं। एसआईटी रिपोर्ट में कहा गया, आयोजकों ने तथ्य छिपाकर कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति ली। अनुमति के लिए लागू शर्तों का पालन नहीं किया गया। आयोजकों ने अप्रत्याशित भीड़ को आमंत्रित किया लेकिन पर्याप्त और सुचारू व्यवस्था नहीं की। रिपोर्ट के अनुसार आयोजन समिति से जुड़े लोगों को अराजकता फैलाने का दोषी पाया गया है। इसमें कहा गया कि उन्होंने उचित पुलिस सत्यापन के बिना स्वयंसेवकों को काम पर रखा।
आयोजन समिति ने पुलिस के साथ दुर्व्यवहार किया
इसमें कहा गया कि आयोजन समिति ने पुलिस के साथ दुर्व्यवहार किया। स्थानीय पुलिस को कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण करने से रोकने का प्रयास किया गया। रिपोर्ट में साथ ही कहा गया है कि सत्संगकर्ता या प्रवचनकर्ता (भोले बाबा) को बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के भीड़ से मिलने की अनुमति दी गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारी भीड़ को देखते हुए कोई अवरोधक या समर्पित मार्ग की व्यवस्था नहीं की गई थी और जब दुर्घटना हुई तो आयोजन समिति के सदस्य मौके से भाग गए।
एसआईटी में आगरा जोन की अपर पुलिस महानिदेशक अनुपम कुलश्रेष्ठ और अलीगढ़ मंडलायुक्त चैत्रा वी शामिल थीं। भगदड़ की घटना के तुरंत बाद इसका गठन किया गया था। एसआईटी ने दो, तीन और पांच जुलाई को घटनास्थल का निरीक्षण कर मामले की पड़ताल की। जांच के दौरान प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों, आम जनता और प्रत्यक्षदर्शियों समेत 125 लोगों के बयान दर्ज किए गए। इसके अलावा घटना के संबंध में प्रकाशित समाचारों की प्रतियां, मौके पर हुई वीडियोग्राफी, फोटो और वीडियो को संज्ञान में लिया गया। हाथरस भगदड़ मामले की जांच के लिए, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बृजेश कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में अलग से तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग भी गठित किया गया है जिसमें भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी हेमंत राव और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी भवेश कुमार सिंह शामिल हैं।
आयोजकों को दोषी ठहराया
इससे पहले, पुलिस समेत सरकारी एजेंसियों ने आयोजकों को कार्यक्रम में कुप्रबंधन के लिए दोषी ठहराया था। कहा गया था कि सत्संग में 80,000 लोगों की अनुमति के विपरित 2.50 लाख से अधिक लोग पहुंच गए थे। इस मामले में अब तक मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर समेत नौ लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। मधुकर दो जुलाई को फुलराई गांव में स्वयंभू बाबा सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग का मुख्य आयोजक और चंदा जुटाने वाला था। स्थानीय सिकंदराराऊ थाने में दो जुलाई को दर्ज प्राथमिकी में स्वयंभू बाबा का नाम आरोपी के तौर पर दर्ज नहीं किया गया।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। देश (India News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।
करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें
RJD की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पार्टी संविधान संशोधन प्रस्ताव पास, तेजस्वी यादव को मिला लालू के समकक्ष अधिकार
आरजी कर रेप-मर्डर: फैसले से पहले सियालदह अदालत परिसर जुट गई थी भारी भीड़, पुलिस के छूटे पसीने
NCP सम्मेलन में शामिल हुए भुजबल ने दिखाए तेवर, बोले- इसका मतलब यह नहीं कि मुद्दे सुलझ गए
Exclusive: लगातार सैफ से जुड़ी खबरों पर थी हमलावर की नजर, हेडफोन खरीदने गया था आरोपी...Saif Ali Khan केस की जांच में खुल रहे और राज
Saif Ali Khan पर हुए हमले के बहाने उद्धव ने फडणवीस सरकार को घेरा, सामना में खोल दी पोल
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited