मुंब्रा में उर्दू में लगा पोस्टर, मुस्लिम लड़कियों के लिए निर्देश- दूसरे धर्मों के लड़कों से न करें दोस्ती, 8 प्वाइंट में समझिए
मुंबई में मुब्रा मुस्लिम इलाका है। यहां उर्दू में पोस्टर लगाया गया है जिसमें मुस्लिम लड़कियों के लिए निर्देश दिए गए हैं। साथ ही माता-पिता को बताया गया है कि 18 से 20 साल की बेटियों के लिए क्या-क्या करना चाहिए।
पोस्टर जारी मुस्लिम लड़कियों के लिए जारी किए गए निर्देश
महाराष्ट्र के मुंबई में मुब्रा मुस्लिम इलाका है। यहां उर्दू में पोस्टर लगाया गया है। जिसमें मुस्लिम लड़कियों पर उनके माता-पिता और अभिभावाक कैसे नजर रखें। इसके बारे में बताया गया है। इस पोस्टर के मुताबिक कहा गया है कि मुस्लिम लड़कियों दूसरे धर्म के लड़कों से दोस्ती न करने को कहा गया है। इसमें कहा गया है कि कम उम्र में ही कुरान और सुन्नत का ज्ञान दिया जाए। प्रामाणिक धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करे। बालिकाओं की समस्याओं और उनके सामने आने वाली समस्याओं पर माता-पिता ध्यान दें। अगर उसे किसी चीज की कमी हो तो वो बाहर जाएंगी, इसलिए उसे जरूरी चीजें मुहैया कराए। बेटियों के निकाह में देरी नहीं होनी चाहिए। साथ ही पोस्टर में लिखा गया है कि माता-पिता से वंचित लड़कियों के समय पर विवाह में कोई बाधा न आए। यह जिम्मेदारी आप खुद उठाइए।
मुस्लिम लड़कियों के लिए जारी पोस्टर की मुख्य बातें
- मुसलमान बच्चियां कुरान की तालीम हासिल करे , सुन्नते रसूल पर वो चले , इधर उधर बहकावे में ना आए।
- ट्यूशन और दूसरे बहाने अजनबियों से ना मिले, इस बात का ख्याल रखे की इसकी आड़ में दूसरे ( धर्म विशेष ) से ना मिले।
- स्कूल और कॉलेज बच्चियों को भेज रहे हैं तो जिम्मेदारी खुद से ले, लड़कियों के माता पिता खुद छोड़े और वापस लेकर आए।
- लड़कियों को स्मार्ट फोन से दूर रखे, जरूरत होने पर अपनी आंख के सामने उन्हे इस्तेमाल करने को कहें।
- उनके बर्ताव पर ध्यान दें, घर वाले ध्यान नहीं देंगे तो वो जाहिर सी बात है बाहर का रास्ता दिखेंगी।
- लड़कियों की शादी में कम खर्च करें ताकि कोई रुकावट ना पैदा हो और सही उम्र में उनकी शादी कर दें।
- कॉलेज और स्कूल में बच्चियों की दोस्ती किससे है उसकी जानकारी रखें।
- उन्हें इस्लाम की पूरी जानकारी दें और प्रॉफेट मोहमद के साथियों के कुर्बानी के बारे में बताएं।
हमें इस बात पर विशेष नजर रखनी चाहिए कि स्कूल और कॉलेज में हमारी लड़की किसकी दोस्त है, स्वच्छंदता की प्रवृत्ति वाली लड़कियां अक्सर परिवार, धार्मिक और विनम्र लड़कियों को भटका देती हैं। मस्जिदों में भी उनके धार्मिक प्रशिक्षण की मासिक स्थाई व्यवस्था की जाए और विद्वानों की निगरानी अनिवार्य की जाए। हे इस्लाम की शहजादियों! आप माता, पिता, भाई की शान और इस्लाम के लोगों की शान हैं। आपको 18 से 20 साल तक बड़ी सावधानी से पाला गया है। प्रेम को अपमान के दलदल में मत धकेलो।
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Shivani Mishra author
Covering stories of public interest in crime and politics now. Entertainment enthusiast over five years. Reporting across Maharashtra.और देखें
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