रामलला की मूर्ति देख हर कोई हुआ भाव-विभोर, समझिए उनके आभूषणों के महत्व
Idol of Ramlala: अयोध्या के राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा होने के बाद रामलला की तस्वीरों ने हर किसी का मन मोह लिया। इस प्रतिमा मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है। माथे पर तिलक, गले में हार, सिर पर स्वर्णिम मुकुट, हाथों में धनुष लिए, कुंडल धारण किए रामलला की नई मूर्ति के ठीक सामने रामलला, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न विराजमान हैं।
रामलला के आभूषणों के बारे में जानिए।
Ayodhya Ram Mandir: रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा से हर किसी का मन प्रसन्न हो गया। 500 से अधिक वर्षों की तपस्या के बाद करोड़ों रामभक्तों की सपना साकार हो गया है। रामलला की मूर्ति दो देख हर कोई मंदमुग्ध हो गया। आपको इस अद्भुत प्रतिमा और रामलला के आभूषणों से जुड़ी खास बातें बताते हैं। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से एक पोस्ट में इसके महत्व बताए गए हैं।
रामलला के दिव्य आभूषणों के बारे में जानिए
पोस्ट में लिखा गया है कि अपने महा प्रासाद में भगवान श्री रामलला जी दिव्य आभूषणों और वस्त्रों से सज्ज होकर विराजमान हैं। इन दिव्य आभूषणों का निर्माण अध्यात्म रामायण, श्रीमद्वाल्मीकि रामायण, श्रीरामचरिमानस तथा आलवन्दार स्तोत्र के अध्ययन और उनमें वर्णित श्रीराम की शास्त्रसम्मत शोभा के अनुरूप शोध और अध्ययन के उपरान्त किया गया है। इस शोध के अनुरूप यतींद्र मिश्र की परिकल्पना और निर्देशन से, इन आभूषणों का निर्माण अंकुर आनन्द की संस्थान हरसहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स, लखनऊ ने किया है। भगवान बनारसी वस्त्र की पीताम्बर धोती तथा लाल रंग के पटुके / अंगवस्त्रम में सुशोभित हैं। इन वस्त्रों पर शुद्ध स्वर्ण की ज़री और तारों से काम किया गया है, जिनमें वैष्णव मंगल चिन्ह- शंख, पद्म, चक्र और मयूर अंकित हैं। इन वस्त्रों का निर्माण श्री अयोध्या धाम में रहकर दिल्ली के वस्त्र सज्जाकार मनीष त्रिपाठी ने किया है।
शीष पर मुकुट या किरीटः
यह उत्तर भारतीय परम्परा में स्वर्ण निर्मित है, जिसमें माणिक्य, पन्ना और हीरों से अलंकरण किया गया है। मुकुट के ठीक मध्य में भगवान सूर्य अंकित हैं। मुकुट के दार्टी ओर मोतियो की लड़ियाँ पिरोई गयी हैं।
कुण्डलः
मुकुट या किरीट के अनुरूप ही और उसी डिजाईन के क्रम में भगवान के कर्ण-आभूषण बनाये गये हैं, जिनमें मयूर आकृतियां बनी हैं और यह भी सोने, हीरे, माणिक्य और पन्ने से सुशोभित है।
कण्ठाः
गले में अर्द्धचन्द्राकार रत्नों से जड़ित कण्ठा सुशोभित है, जिसमें मंगल का विधान रचते पुष्प अर्पित हैं और मध्टा में सूर्य देव बने हैं। सोने से बना हुआ यह कण्ठा हीरे, माणिक्य और पन्नों से जड़ा है। कण्ठे के नीचे पन्ने की लड़ियाँ लगाई गयी हैं।
भगवान के हृदय
में कौस्तुभमणि धारण कराया गया है, जिसे एक बड़े माणिक्य और हीरों के अलंकरण से सजाया गया है। यह शास्त्र-विधान है कि भगवान विष्णु तथा उनके अवतार हृदय में कौस्तुभमणि धारण करते हैं। इसलिए इसे धारण कराया गया है।
पदिकः
कण्ठ से नीचे तथा नाभिकमल से ऊपर पहनाया गया हार होता है, जिसका देवता अलंकरण में विशेष महत्त्व है। यह पदिक पांच लड़ियों वाला हीरे और पन्ने का ऐसा पंचलड़ा है, जिसके नीचे एक बड़ा सा अलंकृत पेण्डेंट लगाया गया है।
वैजयन्ती या विजयमालः
यह भगवान को पहनाया जाने वाला तीसरा और सबसे लम्बा और स्वर्ण से निर्मित हार है, जिसमें कहीं-कहीं माणिक्य लगाये गये हैं, इसे विजय के प्रतीक के रूप में पहनाया जाता है, जिसमें वैष्णव परम्परा के समस्त मंगल-चिन्ह सुदर्शन चक्र, पद्मपुष्प, शंख और मंगल-कलश दर्शाया गया है। इसमें पांच प्रकार के देवता को प्रिय पुष्पों का भी अलंकरण किया गया है, जो क्रमशः कमल, चम्पा, पारिजात, कुन्द और तुलसी हैं।
कमर में कांची या करधनीः
भगवान के कमर में करधनी धारण करायी गयी है, जिसे रत्नजडित बनाया गया है। स्वर्ण पर निर्मित इसमें प्राकृतिक सुषमा का अंकन है, और हीरे, दाणिक्य, मोतियों और पन्ने से यह अलंकृत है। पवित्रता का बोध कराने वाली छोटी-छोटी पांच घण्टियों भी इसमें लगायी गयी है. इन घण्टियों से मोती, माणिक्य और पन्ने की लड़ियों भी लटक रही हैं।
भुजबन्ध या अंगदः
भगवान की दोनों भुजाओं में स्वर्ण और रत्नों से जड़ित मुजबन्ध पहनाये गये हैं।
कंकण/कंगनः
दोनों ही हाथों में रत्नजडित सुन्दर कंगन पहनाये गये हैं।
मुद्रिकाः
बाएँ और दाएँ दोनों हाथों की मुदिकाओं में रत्नजडित मुदिकाएं सुशोभित हैं, जिनमें से मोतियां लटक रही हैं।
- पैरों में छड़ा और पैजनियां पहनाये गये हैं। साथ ही स्वर्ण की पैजनियां पहनायी गयी हैं।
- भगवान के बाएं हाथ में स्वर्ण का धनुष है, जिनमें मोती, माणिक्य और पन्ने की लटकने लगी हैं, इसी तरह दाहिने हाथ में स्वर्ण का बाण धारण कराया गया है।
- भगवान के गले में रंग-बिरंगे फूलों की आकृतियों वाली वनमाला धारण कराती गयी है, जिसका निर्माण हस्तशिल्प के लिए समर्पित शिल्पमंजरी संस्था ने किया है।
- भगवान के मस्तक पर उनके पारम्परिक मंगल-तिलक को हीरे और माणिक्य से रचा गया है।
- भगवान के चरणों के नीचे जो कमल सुसज्जित है, उसके नीचे एक स्वर्णमाला सजाई गयी है।
- चूंकि पांच वर्ष के बालक-रूप में श्रीरामलला विराजे हैं, इसलिए पारम्परिक ढंग से उनके सम्मुख खेलने के लिए चाँदी से निर्मित खिलौने रखे गये हैं। ये हैं झुनझुना, हाथी, घोड़ा, ऊँट, खिलौनागाड़ी तथा लडू।
- भगवान के प्रभा-मण्डल के ऊपर स्वर्ण का छत्र लगा है।
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