प्रज्ञान और प्रज्ञानानंद...एक धरती पर, तो दूसरा चंद्रमा पर इतिहास रचने को तैयार
आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग होने जा रही है, वहीं चेस मास्टर प्रज्ञानानंदा भी चेस वर्ल्ड कप 2023 में फाइनल मुकाबला खेल रहे हैं।
प्रज्ञान और प्रज्ञानानंद
Chandrayaan-3: आज का दिन भारत के लिए खास मायनों में अहम है। एक तरह आज 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग होने जा रही है। विक्रम लैंडर में मौजूद प्रज्ञान रोवर पर सबकी निगाहें हैं। वहीं, दूसरी ओर शतरंज ग्रैंडमास्टर प्रज्ञानानंद भी चर्चा में हैं जो विश्व चैंपियन नॉर्वे के मैग्नस कार्लसन से भिड़ रहे हैं। देशवासियों को दोनों की सफलता का बेसब्री से इंतजार है। पूरा देश सफल चंद्रयान मिशन के लिए दुआएं कर रहा है।
प्रज्ञानानंदा का फाइनल मुकाबला
चेस मास्टर प्रज्ञानानंदा का आज चेस वर्ल्ड कप 2023 में फाइनल मुकाबला है। कल पहला मुकाबला ड्रॉ पर छूटा था। प्रज्ञानानंदा ने सेमीफाइनल में दुनिया के तीसरे नंबर के खिलाड़ी फाबियानो कारूआना को 3.5-2.5 से हराकर उलटफेर करते हुए फाइनल में जगह बनाई थी। अगर प्रज्ञानानंदा फाइनल मुकाबला जीत जाते हैं तो भारत के लिए दोहरी खुशी का पल होगा।
लैंडिंग के लिए विक्रम तैयार
लैंडर विक्रम आज शाम 6.04 बजे चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। अगर लैंडर विक्रम चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर लेता है तो भारत नया इतिहास रचेगा। भारत चांद की सतह पर लैंड करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इसके साथ ही चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला पहला देश भी बनेगा। लैंडर विक्रम में मौजूद प्रज्ञान रोवर चांद से अहम आंकड़े जुटाएगा।
प्रज्ञानानंदा भी इतिहास रचने के करीब
उधर, प्रज्ञानानंदा भी इतिहास रचने की ओर हैं। वह महान खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद के बाद वर्ल्ड कप फाइनल में जगह बनाने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं। अगर वह फाइनल मुकाबला जीत लेते हैं तो ऐसा करने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी होंगे। 2000 में ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद ने पहली बार विश्व शतरंज चैंपियन का खिताब अपने नाम कर तहलका मचा दिया था।
लैंडर ने चंद्रमा की तस्वीरें खींची
इससे पहले 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर-रोवर से अलग किया गया था। सेपरेशन के बाद लैंडर ने प्रोपल्शन मॉड्यूल से कहा- 'थैक्स फॉर द राइड मेट।' इस दौरान लैंडर पर लगे कैमरे ने प्रोपल्शन मॉड्यूल की फोटो के साथ चंद्रमा की भी तस्वीरें खींचीं।
22 दिन के सफर के बाद चंद्रयान 5 अगस्त को शाम करीब 7:15 बजे चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा था। तब उसकी स्पीड कम की गई थी, ताकि यान चंद्रमा की ग्रैविटी में कैप्चर हो सके। स्पीड कम करने के लिए इसरो वैज्ञानिकों ने यान के फेस को पलटकर थ्रस्टर 1,835 सेकेंड यानी करीब आधे घंटे के लिए फायर किए। ये फायरिंग शाम 7:12 बजे शुरू की गई थी।
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अमित कुमार मंडल author
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