'स्माइल प्लीज', अब रोवर प्रज्ञान ने खींची लैंडर की तस्वीर, चंद्रमा पर मजबूती के साथ खड़ा है अपना 'विक्रम'

Chandrayaan 3 News : इसरो ने कहा कि रोवर में लगे नेविगेशन कैमरे ने लैंडर विक्रम की तस्वीर खींची। अंतरिक्ष एजेंसी ने एक्स पर कहा, 'रोवर प्रज्ञान ने आज सुबह विक्रम लैंडर की तस्वीर ली।' रोवर में लगे नेविगेशन कैमरे की इस तस्वीर को 'इमेज ऑफ द मिशन' कहा गया है।

lander Vikram

चंद्रयान-3 मिशन के सात दिन हो गए हैं।

ISRO : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान -3 के विक्रम लैंडर की नई तस्वीर जारी की। इसरो ने कहा कि चंद्रमा की सतह पर चहलकदमी कर रहे रोवर प्रज्ञान ने लैंडर विक्रम की तस्वीर खींची है। इसरो ने कहा कि रोवर में लगे नेविगेशन कैमरे ने लैंडर विक्रम की तस्वीर खींची। अंतरिक्ष एजेंसी ने एक्स पर कहा, 'रोवर प्रज्ञान ने आज सुबह विक्रम लैंडर की तस्वीर ली।' रोवर में लगे नेविगेशन कैमरे की इस तस्वीर को 'इमेज ऑफ द मिशन' कहा गया है। इस नैवकैम को लेबोरेट्री फॉर इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सिस्टम (LEOS) ने तैयार किया है।

23 अगस्त को चांद पर उतरा चंद्रयान-3

चंद्रयान-3 गत 23 अगस्त को चंद्रमा की दक्षिणी हिस्से के समीप सफल लैंडिंग की। चांद की सतह पर चंद्रयान-3 का एक सप्ताह का वक्त हो चुका है। भारत का यह चंद्र मिशन 14 दिनों का है। यानी कि चंद्रयान-3 ने अपनी आधा वक्त पूरा कर लिया है।हालांकि, इसरो का कहना है कि रोवर इसके आगे भी अपना काम जारी रख सकता है। चंद्रयान-3 को एक चंद्र दिवस (14 दिनों) के लिए डिजाइन किया गया है।

14 दिन का होता है एक चंद्र दिवस

चंद्रमा पर 14 दिनों तक दिन और फिर 14 दिन रात होती है। सूर्यास्त हो जाने के बाद चंद्रमा पर पूरी तरह अंधेरा छा जाता है। ऐसे में सूर्य के निकलने पर रोवर दोबारा चंद्रमा की सतह की जांच शुरू कर सकता है। इसके लिए रोवर पर लगे सोलर पैनल का चार्ज होना जरूरी है। लैंडर विक्रम भी अपने ऊपर लगे सोलर पैनल से ऊर्जा लेता है। इसरो ने मंगलवार को कहा कि चंद्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान पर लगे एक उपकरण ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सतह में गंधक होने की स्पष्ट रूप से पुष्टि की है।

चंद्रयान-3 ने कई खनिज तत्वों का पता लगाया

इसरो ने यह भी कि कहा कि उपकरण ने उम्मीद के मुताबिक एल्युमीनियम, कैल्शियम, लौह, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैंगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन का भी पता लगाया है। इसरो ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, "वैज्ञानिक प्रयोग जारी हैं...रोवर पर लगे लेजर संचालित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (एलआईबीएस) उपकरण ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सतह में गंधक होने की स्पष्ट रूप से पुष्टि की है।”

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