काशी-तमिल संगमम: सनातन विरोध का जवाब देने की तैयारी, जानिए खास बातें

Kashi-Tamil Sangamam: बीते दिनों राजनीतिक दलों की तरफ से सनातन पर टिप्पणी के बाद से दक्षिण-उत्तर का विवाद सामने आया है। सनातन का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों को काशी-तमिल संगमम के जरिए जवाब देने की तैयारी है। काशी का तमिलनाडु और तमिल भाषा से श्रद्धा और संस्कृति का नाता है।

काशी-तमिल संगमम के जरिए सनातन विरोध को मिलेगा जवाब?

Sanatan Politics News: सनातन का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों को काशी-तमिल संगमम के जरिए जवाब देने की तैयारी है। सनातन से जुड़े लोगों का मानना है कि विवादित बयान देकर लगातार सुर्खियों में बने रहने वालों नेताओं को इस संगमम में सनातन का एक व्यापक परिदृश्य देखने को मिलेगा, जिससे इनकी संकीर्णता दूर होगी और सनातन की समग्रता का आभास हो सकेगा।

सनातन पर टिप्पणी के बाद से सामने आया था विवाद

राजनीतिक जानकर बताते हैं कि बीते दिनों राजनीतिक दलों की तरफ से सनातन पर टिप्पणी के बाद से दक्षिण-उत्तर का विवाद सामने आया है। इसके बाद से सत्तारूढ़ दल भी किसी प्रकार का कोई जोखिम लेने के मूड में नहीं दिखाई दे रहा है। वह भी काशी तमिल समागम के जरिए विरोधियों को उत्तर-दक्षिण के मिलन का संदेश देना चाहती है। काशी का तमिलनाडु और तमिल भाषा से श्रद्धा और संस्कृति का नाता है। तमिलनाडु के लोग काशी आने, वास करने और यहां के देवालयों में दर्शन-पूजन को पूर्व जन्म का पुण्य फल मानते हैं। इससे पहले यह कार्यक्रम 2022 में हुआ था। इस बार इसका दूसरा संस्करण 17 दिसंबर से 30 दिसंबर 2023 तक प्रस्तावित है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने की संभावना है।

उदयनिधि स्टालिन ने धर्म पर की थी विवादित टिप्पणी

बीते दिनों तमिलनाडु के युवा कल्याण और खेल विकास मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन उन्मूलन सम्मेलन में बोलते हुए कहा था कि सनातन धर्म सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है। कुछ चीजों का विरोध नहीं किया जा सकता, उन्हें ही खत्म किया जाना चाहिए। हम डेंगू, मच्छर, मलेरिया या कोरोना का विरोध नहीं कर सकते। हमें इसे खत्म करना होगा। उन्होंने आगे कहा कि सनातन नाम संस्कृत का है। यह सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है। इस बयान के बाद काफी बवाल हुआ था।

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