'बाबा साहब ने देश को मजबूत संविधान दिया', राष्ट्रपति मुर्मू के संबोधन की बड़ी बातें

President Droupadi Murmu Speech: 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने समस्त देशवासियों को गणतंत्र दिवस की बधाई दी। उन्होंने कहा कि आज से 75 साल पहले 26 जनवरी के दिन ही भारत का संविधान लागू हुआ था। लगभग 3 साल के विचार-विमर्श के बाद संविधान सभा ने 29 नवंबर 1949 के दिन संविधान को अंगीकृत किया था।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

President Droupadi Murmu Speech: 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने समस्त देशवासियों को गणतंत्र दिवस की बधाई दी। उन्होंने कहा कि आज से 75 साल पहले 26 जनवरी के दिन ही भारत का संविधान लागू हुआ था। लगभग 3 साल के विचार-विमर्श के बाद संविधान सभा ने 29 नवंबर 1949 के दिन संविधान को अंगीकृत किया था। इसी उपलक्ष्य 26 नवंबर का दिन साल 2015 से संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में शामिल भारत को ज्ञान और विवेक उद्गम माना जाता था, लेकिन भारत को एक अंधकारमय दौर से गुजरना पड़ा। औपनिवेशिक शासन में अमानवीय शोषण के कारण देश में घोर गरीबी व्याप्त हो गई। आज के दिन सबसे पहले हम उन शूरवीरों याद करते हैं जिन्होंने मातृभूमि को विदेशी शासन की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए बड़ी से बड़ी कुर्बानी दी। उनमें से कुछ स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में लोग जानते हैं, लेकिन बहुतों के बारे में उन्हें जानकारी नहीं थी।

राष्ट्रपति मुर्मू के संबोधन की बड़ी बातें:

  • इस वर्ष हम भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मना रहे हैं। वे ऐसे अग्रणी स्वाधीनता सेनानियों में शामिल हैं जिनकी भूमिका को राष्ट्रीय इतिहास के संदर्भ में अब समुचित महत्व दिया जा रहा है।
  • न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता केवल सैद्धांतिक अवधारणाएं नहीं हैं जिनका परिचय हमें आधुनिक युग में प्राप्त हुआ हो। ये जीवन मूल्य तो सदा से हमारी सभ्यता और संस्कृति का अंग रहे हैं।
  • भारत के गणतांत्रिक मूल्यों का प्रतिबिंब हमारी संविधान सभा की संरचना में भी दिखाई देता है। उस सभा में देश के सभी हिस्सों और सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व था। सबसे अधिक उल्लेखनीय बात यह है कि संविधान सभा में सरोजिनी नायडू, राजकुमारी अमृत कौर, सुचेता कृपलानी, हंसाबेन मेहता और मालती चौधरी जैसी 15 असाधारण महिलाएं भी शामिल थीं।
  • पिछले 75 सालों से संविधान ने हमारी प्रगति का मार्ग प्रशस्त किया है। आज के दिन हम संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ भीमराव आंबेडकर, सभा के अन्य प्रतिष्ठित सदस्यों, संविधान के निर्माण से जुड़े विभिन्न अधिकारियों और ऐसे अन्य लोगों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं जिनके कठिन परिश्रण के फलस्वरूप हमें यह विलक्षण ग्रंथ प्राप्त हुआ।
  • हमारे किसान भाई-बहनों ने कड़ी मेहनत की और हमारे देश को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया। हमारे मजदूर भाई-बहनों ने अथक परिश्रम करके हमारे इन्फ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का कायाकल्प कर दिया। उनके शानदार प्रदर्शन के बल पर आज भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व के आर्थिक परिदृश्य को प्रभावित कर रही है।
  • हाल के वर्षों में आर्थिक विकास की दर लगातार ऊंची रही है, जिससे हमारे युवाकों के लिए रोजगार के अवसर पैदा हुआ हैं, किसानों और मजदूरों के हाथों में अधिक पैसा आया है तथा बड़ी संख्या में लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है। साहसिक और दूरदर्शी आर्थिक सुधारों के बल पर आने वाले वर्षों में प्रगति की यह रफ्तार बनी रहेगी।
  • यह भी एक बहुत महत्वपूर्ण बदलाव है कि सरकार ने जन-कल्याण को नई परिभाषा दी है, जिसके अनुसार आवास और पेयजल जैसी बुनियादी जरूरतों को अधिकार माना गया है। वंचित वर्गों के लिए, विशेष रूप से अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों की सहायता के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं।
  • अनुसूचित जनजाति समुदायों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए विशेष योजनाएं बनाई गई हैं, जिनमें धरती आबा जानजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान और प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन) शामिल हैं। विमुक्त, घुमंतू और अर्ध घुमंतू समुदायों के लिए 'विकास एवं कल्याण बोर्ड' का गठन किया गया है।
  • डिजिटल भुगतान के विभिन्न विकल्पों के साथ-साथ प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण की प्रणाली ने समावेशन को बढ़ावा दिया है, जिससे बड़ी संख्या में लोगों को फार्मल सिस्टम में शामिल किया जा सका है। इसके कारण सिस्टम में अभूतपूर्व पारदर्शिता भी आई है।
  • वर्ष 1947 में हमने स्वाधीनता प्राप्त कर ली थी, लेकिन औपनिवेशिक मानसिकता के कई अवशेष लंब समय तक विद्यामान रहे। हाल के दौर में उस मानसिकता को बदलने के ठोक प्रयास हमें दिखाई दे रहे हैं। ऐसे प्रयासों में Indian Penal Code, Criminal Procedure Code और Indian Evidence Act के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लागू करने का निर्णय सर्वाधिक उल्लेखनीय है।
End Of Feed