प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2024: हरियाणा की गरिमा को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया सम्मानित
Prime Minister National Child Award 2024: हरियाणा की गरिमा को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सामाजिक सेवा श्रेणी में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया। गरिमा अपनी "साक्षर पाठशाला" अभियान के ज़रिए झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों व उनके माता पिता से संपर्क कर उन्हें शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूक कर रही है।
गरिमा को मिला प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2024।
Haryana News: शिक्षा प्रत्येक बच्चे का मौलिक अधिकार है। हर बच्चे को शिक्षा मिले इसी सोच के साथ दूरदर्शी सोच रखने वाली महेन्द्रगढ़ की बालिका गरिमा ने "साक्षर पाठशाला" से 1 हजार से ज़्यादा बच्चों को शिक्षा से जोड़ा है। गरिमा की यह उपलब्धि इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि वह दृष्टि बाधित होने के बावजूद भी दूसरों बच्चों के जीवन में शिक्षा की अलख जगा रही है। उनके इस अद्वितीय कार्य के लिए भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें सामाजिक सेवा श्रेणी में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया है।
देश भर से 19 बच्चों को इस सम्मान के लिए चुना गया था, जिसमें हरियाणा की ओजस्वी सोच की धनी गरिमा भी शामिल है। 26 जनवरी को राष्ट्रीय स्तर पर कर्तव्य पथ पर होने वाली गणतंत्र दिवस परेड में गरिमा इन सभी बच्चों के साथ हिस्सा ले रही हैं। हरियाणा से इस वर्ष गरिमा एकमात्र बालिका है जिसे यह सम्मान दिया गया है।
बच्चे जब पढ़ेंगे, तभी तो आगे बढ़ेंगे
हरियाणा के महेन्द्रगढ़ जिले के नावदी गांव की 9 वर्षीय गरिमा चौथी कक्षा की छात्रा है। गरिमा अपनी "साक्षर पाठशाला" अभियान के ज़रिए झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों व उनके माता पिता से संपर्क कर उन्हें शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूक कर रही है। अपनी इस मुहिम के जरिए गरिमा यह संदेश दे रही है कि यदि वह दृष्टि बाधित होकर शिक्षा प्राप्त कर सकती है, तो अन्य बच्चे क्यों नहीं शिक्षा प्राप्त कर सकते। वह शिक्षा के महत्व को समझाते हुए बताती है कि पढ़ाई बहुत जरूरी है। बच्चे जब पढ़ेंगे, तभी तो आगे बढ़ेंगे।
अपने शिक्षा के शुरुआती दिनों में जब गरिमा को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा तो उन्हे उन बच्चों का ख्याल आया जो किसी न किसी मजबूरी की वजह से शिक्षा से वंचित थे। उसी पल उन्होने उन बच्चों के साथ जुड़ने का फैसला किया, जिसमें उसके परिवार ने पूरा सहयोग किया। गरिमा के पिता पेशे से शिक्षक है। गरिमा भी अपने पिता की तरह शिक्षा से जुड़ कर एक शिक्षिका के रूप में समाज में अपना योगदान देना चाहती हैं।
छोटी सी उम्र में गरिमा ने किया कमाल
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार असाधारण योग्यता और उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए दिया जाता है। राष्ट्रीय स्तर के ये पुरुस्कार 5 से 18 वर्ष आयु तक के बच्चों को दिए जाते हैं। यह पुरस्कार बहादुरी, संस्कृति, पर्यावरण, कला, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, सामाजिक सेवा और खेल जैसे सात श्रेणियों में उत्कृष्टता के आधार पर दिए जाते हैं। इस बार पूरे देश से 19 बच्चों को विभिन्न श्रेणियों में ये पुरुस्कार दिए गए हैं, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में असाधारण प्रतिभा का परिचय दिया है। सामाजिक सेवा की श्रेणी में इस बार 4 बच्चों को शामिल किया गया है जिसमें गरिमा भी शामिल है। प्रत्येक पुरुस्कार में एक पदक, प्रमाणपत्र और प्रशस्ति पुस्तिका दी जाती है। छोटी सी उम्र में गरिमा के इस हौसले व असाधारण प्रयास ने ही आज उन्हें इस मुक़ाम तक पहुंचाया है।
गरिमा का कहना है कि शिक्षा प्राप्त करना हर बच्चे का मौलिक अधिकार है। हरियाणा सरकार बच्चों की शिक्षा के लिए कई योजना चला रही है ताकि प्रदेश का एक भी बच्चा इस अधिकार से वंचित ना रहे।इतनी कम उम्र में इस दिशा में गरिमा का यह कदम प्रदेश ही नहीं पूरे देश के लिए गौरव का विषय है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | देश (india News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |
End of Article
टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल author
अक्टूबर 2017 में डिजिटल न्यूज़ की दुनिया में कदम रखने वाला टाइम्स नाउ नवभारत अपनी एक अलग पहचान बना च...और देखें
End Of Feed
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited