Project Kusha: स्वदेशी लॉन्ग रेंज एयर डिफेंस सिस्टम पर काम कर रहा भारत, रूस की S-400 जैसी होगी ताकत
लंबी दूरी की निगरानी और अग्नि नियंत्रण रडार के साथ मोबाइल एलआर-एसएएम में कई प्रकार की इंटरसेप्टर मिसाइलें होंगी जो 150 किमी., 250 किमी. और 350 किमी. की दूरी पर दुश्मन के हथियारों-विमानों को नष्ट करने के लिए डिजाइन की गई हैं।
भारत का स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम
Long-Range Air Defence System: देश के सामने मौजूद चुनौतियों के मद्देनजर भारत कई तरह के हथियार और वेपन सिस्टम पर काम कर रहा है। इसी के तहत भारत 350 किमी. तक की रेंज वाली अपनी लंबी दूरी की वायु रक्षा प्रणाली विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) इस अहम प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। 'प्रोजेक्ट कुश' (Project Kusha) के तहत भारत अपनी लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (LR-SAM) का विकास करने की दिशा में अग्रसर है।
रूस की S-400 एयर डिफेंस सिस्टम जैसा
रिपोर्ट्स के अनुसार, यह रूस की एस-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम जैसा ही है। इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज के साथ संयुक्त रूप से विकसित कुश को मई 2022 में सुरक्षा के लिए कैबिनेट समिति ने हरी झंडी दी थी। इसे किसी भी सैन्य उपकरण और हार्डवेयर की खरीद की दिशा में पहला कदम यानि आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन) प्रदान की गई थी। रक्षा मंत्रालय ने पिछले महीने भारतीय वायुसेना के लिए 21,700 करोड़ रुपये में अपने पांच स्क्वाड्रन खरीदे थे।
भारत का लक्ष्य स्वदेशी एलआर-एसएएम प्रणाली
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत का लक्ष्य स्वदेशी एलआर-एसएएम प्रणाली को तैनात करना है, जो 350 किमी. तक की दूरी पर आने वाले स्टील्थ लड़ाकू विमानों, विमानों, ड्रोन, क्रूज मिसाइलों और सटीक-निशाने वाले हथियारों का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम हो सके। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, लंबी दूरी की निगरानी और अग्नि नियंत्रण रडार के साथ मोबाइल एलआर-एसएएम में कई प्रकार की इंटरसेप्टर मिसाइलें होंगी जो 150 किमी., 250 किमी. और 350 किमी. की दूरी पर दुश्मन के हथियारों-विमानों को नष्ट करने के लिए डिजाइन की गई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि रणनीतिक और सामरिक रूप से कमजोर क्षेत्रों में व्यापक वायु रक्षा कवर प्रदान करते हुए यह प्रणाली 250 किमी तक की दूरी पर लड़ाकू विमानों और 350 किमी की दूरी पर बड़े विमानों को मार गिरा सकती है।
S-400 से इस मायने में अलग होगा
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि यह सिस्टम वायु रक्षा में पूरी तरह सक्षम होगा, जिसके किसी मिसाइल को मारने की क्षमता 80 प्रतिशत से कम नहीं होगी और साल्वो लॉन्च के लिए मारक क्षमता के 90 प्रतिशत से कम नहीं होने की संभावना है। हालांकि इसकी तुलना S-400 से होगी, लेकिन इसमें एक महत्वपूर्ण अंतर है। 16 अक्टूबर की एक रिपोर्ट में मॉस्को की समाचार एजेंसी स्पुतनिक ने कहा कि S-400 लंबी, मध्यम और छोटी दूरी के खतरों को खत्म कर सकता है, वहीं प्रोजेक्ट कुश का लक्ष्य सिर्फ लंबी दूरी की वायु रक्षा सिस्टम के विकास पर है। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, एलआर-एसएएम प्रणाली को एकीकृत कमांड और नियंत्रण प्रणाली (IACCS) के साथ समन्वित करने में भी सक्षम बनाया जाएगा।
एयर चीफ मार्शल ने दी थी जानकारी
3 अक्टूबर 2023 को एक संवाददाता सम्मेलन में वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी. आर. चौधरी ने रूस की एस-400 की डिलीवरी में चुनौतियों के बारे में बात की थी। उन्होंने कहा था कि मॉस्को पहले ही तीन सिस्टम डिलीवर कर चुका है, दो और की डिलीवरी बाकी है। उन्होंने बताया कि भारत नई पीढ़ी के हथियार प्रणालियों को खरीदने की योजना बना रहा है। मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (MRSAM), आकाश नई पीढ़ी की मिसाइल रक्षा प्रणाली, वायु रक्षा प्रणाली कुश, बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली प्रलय (Pralay) ये सभी हमारी योजना का हिस्सा हैं जिन पर हम आने वाले वर्षों में आगे बढ़ने की उम्मीद कर रहे हैं।
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