पंजाबः सामने आई कांग्रेस की कलह, बाजवा की सलाह के बीच सिद्धू को बाहर करने की उठी मांग, नवजोत ने यूं किया पलटवार
Punjab Politics: दरअसल, सूबे के बठिंडा में सिद्धू की रैली करने के कुछ दिन बाद पंजाब कांग्रेस में गुटबाजी देखी गई। राज्य इकाई का कोई भी वरिष्ठ नेता 17 दिसंबर की रैली का हिस्सा नहीं था। रैली में सिद्धू ने साल 2022 के चुनाव से पहले किए गए वादों को पूरा करने में कथित रूप से "विफल" होने के लिए ‘आप’ सरकार पर निशाना साधा था।
पंजाब कांग्रेस इकाई के पूर्व प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू। (फाइल)
पंजाब में कांग्रेस की अंदरूनी कलह तब खुलकर सामने आ गई, जब पार्टी के सीनियर नेता प्रताप सिंह बाजवा ने राज्य इकाई के पूर्व प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू की बठिंडा में 17 दिसंबर को हुई रैली का जिक्र करते हुए उन्हें अपना "खुद का मंच" स्थापित करने के बजाय पार्टी के कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए कहा। पूर्व क्रिकेटर सिद्धू ने इस पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया तो नहीं दी, मगर सूबे के कांग्रेसियों की ओर से खुद को (सिद्धू को) पार्टी से बाहर निकालने की मांग पर उन्होंने पलटवार जरूर किया।
बाजवा ने सिद्धू की रैली के संबंध में पत्रकारों के एक सवाल का जवाब देते हुए मंगलवार को कहा, ''मैं सिद्धू साहब से बस यही अनुरोध करता हूं कि उन्हें थोड़ी परिपक्वता से काम लेना चाहिए। अगर इस 'जमात' (कांग्रेस पार्टी) ने आपको सम्मान दिया है, तो इसे पचा लीजिए। ऐसी हरकत मत कीजिए। जब आप पीपीसीसी अध्यक्ष थे, तो आपने देखा कि आप (कांग्रेस) को 78 (2017 में सीटें) से 18 (2022 में सीटें) पर ले आए। अब वह और क्या चाहते हैं, उनसे पूछें।”
माइक्रो ब्लॉगिंग मंच 'एक्स' (पूर्व में टि्वटर) पर उन्होंने 21 दिसंबर, 2023 को पोस्ट में लिखा- मुझे बहुत खुशी होगी अगर कांग्रेस की विचारधारा पंजाब के फिर से उद्धार के एजेंडे का प्रचार करने और मौजूदा सरकार को जन कल्याण के प्रति जवाबदेह बनाने के लिए 100 कांग्रेसी भी एक गांव या शहर में इकट्ठा हों।
पोस्ट के जरिए आगे कहा गया कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे किस कांग्रेस नेता को मुख्य अतिथि के रूप में चुनते हैं। यह हमारी पार्टी को मजबूत करता है, क्योंकि अधिक से अधिक लोगों के शामिल होने से जमीनी स्तर पर नेतृत्व का निर्माण होगा। 8000 समर्थकों के लिए बाधा क्यों बनें और सुविधा क्यों नहीं? क्या पंजाब के लोग आप पार्टी के एजेंडे पर विश्वास करते हैं और आपको एक विकल्प मानते हैं? बस यही मायने रखता है...।
दरअसल, सूबे के बठिंडा में सिद्धू की रैली करने के कुछ दिन बाद पंजाब कांग्रेस में गुटबाजी देखी गई। राज्य इकाई का कोई भी वरिष्ठ नेता 17 दिसंबर की रैली का हिस्सा नहीं था। रैली में सिद्धू ने साल 2022 के चुनाव से पहले किए गए वादों को पूरा करने में कथित रूप से "विफल" होने के लिए ‘आप’ सरकार पर निशाना साधा था।
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