ऐसे इलाकों पर दावा करना चीन की पुरानी आदत है जो उसके नहीं हैं...एस जयशंकर का ड्रैगन को करारा जवाब
विदेश मंत्री ने एक विशेष साक्षात्कार में कहा, चीन ने उन क्षेत्रों के नक्शे जारी किए हैं जो उनके नहीं हैं। यह एक पुरानी आदत है।
एस जयशंकर
India vs China: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन द्वारा नए नक्शे में अरुणाचल प्रदेश पर उसके दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया। जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि उन क्षेत्रों पर दावा करना चीन की पुरानी आदत है जो उनके नहीं हैं। एक साक्षात्कार में विदेश मंत्री ने बीजिंग के बेतुके दावों को खारिज करते हुए कहा कि मानचित्र जारी करने का कोई मतलब नहीं है। जयशंकर की टिप्पणी चीन द्वारा सोमवार को अपने मानक मानचित्र का 2023 संस्करण जारी करने के बाद आई है, जिसमें अरुणाचल प्रदेश राज्य और अक्साई चिन क्षेत्र को उसके क्षेत्र के हिस्से के रूप में दिखाया गया है।
जयशंकर बोले, चीन की पुरानी आदत
विदेश मंत्री ने एक विशेष साक्षात्कार में कहा, चीन ने उन क्षेत्रों के नक्शे जारी किए हैं जो उनके नहीं हैं। यह एक पुरानी आदत है। सिर्फ भारत के कुछ हिस्सों वाले नक्शे जारी करने से कोई बदलाव नहीं होगा। जयशंकर ने कहा कि हमारी सरकार इस बारे में बहुत स्पष्ट है कि हमारे क्षेत्र क्या-क्या हैं। बेतुके दावे करने से दूसरे लोगों का क्षेत्र आपका नहीं हो जाता। बीजिंग द्वारा 28 अगस्त को जारी मानचित्र में अरुणाचल प्रदेश को दिखाया गया है, जिस पर चीन दक्षिण तिब्बत होने का दावा करता है। 1962 के युद्ध में चीन ने अक्साई चिन पर कब्जा कर लिया था। इस नक्शे में ताइवान और विवादित दक्षिण चीन सागर पर भी दावा किया गया है।
दक्षिण चीन सागर पर भी किया दावा
नक्शे में नाइन-डैश लाइन पर चीन के दावों को भी शामिल किया गया है और वह दक्षिण चीन सागर के एक बड़े हिस्से पर दावा कर रहा है। वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया और ब्रुनेई दक्षिण चीन सागर क्षेत्रों पर अपना दावा करते हैं। चाइना डेली अखबार के अनुसार, यह मानचित्र चीन के प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय द्वारा सोमवार को झेजियांग प्रांत के डेकिंग काउंटी में सर्वेक्षण और मानचित्रण प्रचार दिवस और राष्ट्रीय मानचित्रण जागरूकता प्रचार सप्ताह के उत्सव के दौरान जारी किया गया था। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग की दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात हुई थी।
मोदी-जिनपिंग की हुई थी मुलाकात
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया था कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना और एलएसी का सम्मान करना भारत-चीन संबंधों को सामान्य बनाने के लिए आवश्यक है। इस संबंध में दोनों नेताओं ने अपने संबंधित अधिकारियों को तनाव कम करने के प्रयासों को तेज करने का निर्देश देने पर सहमति जताई थी। यह पहली बार नहीं है कि बीजिंग ने इस तरह की रणनीति अपनाई है। इस साल अप्रैल में चीन ने इसी तरह का एकतरफा कदम उठाते हुए मानचित्र में 11 भारतीय स्थानों का नाम बदला था। इसमें पर्वत चोटियों, नदियों और आवासीय क्षेत्रों के नाम शामिल थे। इससे पहले 2017 और 2021 में भी चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने अन्य भारतीय स्थानों का नाम बदल दिया था, जिससे एक और राजनीतिक टकराव शुरू हो गया था। हालांकि, नई दिल्ली ने तब चीन की विस्तारवादी योजनाओं को खारिज कर दिया था।
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