राहुल गांधी को नैतिक समर्थन और बीजेपी का विरोध, जानें- आप के लिए क्यों है जरूरी

सियासत अपनी दिशा खुद ब खुद बना लेती है। फैसले तो सिर्फ वजह बन जाते हैं। 10 से 12 साल पहले जिस कांग्रेस पार्टी की नीतियों की मुखालफत आम आदमी पार्टी किया करती थी, अब मानहानि जैसे मामले में राहुल गांधी को नैतिक समर्थन देते नजर आ रही है। आम आदमी पार्टी के नेता मानते हैं कि राष्ट्रीय फलक पर दमदार मौजूदगी के लिए बीजेपी के खिलाफ धारदार तरीके से लड़ना होगा।

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अरविंद केजरीवाल, आप के राष्ट्रीय संयोजक

मुख्य बातें
  • राहुल गांधी के खिलाफ कार्रवाई को अरविंद केजरीवाल ने गलत बताया
  • राहुल गांधी मानहानि केस में सजा पाए जाने के बाद सांसदी के लिए अयोग्य
  • सूरत सेशंस कोर्ट के फैसले के बाद स्पीकर ने ठहराया अयोग्य

Arvind Kejriwal politics: आंदोलन के गर्भ से जन्मी पार्टी का नाम आम आदमी पार्टी है। भ्रष्टाचार के खिलाफ अलख जगाने वाले चेहरे का नाम है अरविंद केजरीवाल, करीब एक दशक पहले सत्ता का केंद्र दिल्ली आंदोलन का केंद्र बना। एक शख्स जंतर मंतर से आंदोलन की आगाज करता है और वो सफर रामलीला मैदान होते हुई सत्ता हासिल करने तक खत्म होने तक पहुंचती है। लेकिन लड़ाई अब आगे की है। 10-11 साल पहले लड़ाई कांग्रेस के खिलाफ थी। लेकिन अब जिस तरह से राजनीतिक घटनाक्रम हुए हैं उसके बाद सबसे बड़ा विरोध बीजेपी(aap agitation) के खिलाफ है। 23 मार्च को राहुल गांधी को मानहानि केस में जब सूरत सेशंस कोर्ट ने अयोग्य ठहराया तो अरविंद केजरीवाल खुलकर उनके समर्थन में आ गए। यही नहीं जब 24 मार्च को राहुल गांधी की सांसदी चली गई तो अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी के नेताओं के दंभी तानाशाह, निरक्षर करार दिया।

कभी कांग्रेस के खिलाफ आंदोलन

याद करिए जब 2009-14 के बीत यूपीए-2 की सरकार थी और अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे। तत्कालीन सरकार के लिए वो बड़ी चुनौती बने हुए थे। लेकिन एक दशक के बाद जब कांग्रेस जमीनी स्तर पर बेहद कमजोर पड़ चुकी है और बीजेपी के सितारे बुलंद हैं तो स्वाभाविक तौर अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी को यकीन है कि उनके पास वो माद्दा है जिसकी मदद से वो बीजेपी के खिलाफ खुली लड़ाई जारी रख सकते हैं। जानकार कहते हैं कि सियासत में स्थाई रिश्ते फायदे तक सीमित रहते हैं। राजनीतिक दलों को लोगों की इच्छा आकांक्षाओं का ख्याल करते हुए पार्टी के विस्तार पर भी ध्यान देना होता है।

अगर आप आम आदमी पार्टी की बात करें को 21वीं सदी के पहले दशक में जब प्रेशर ग्रुप के तहत कुछ खास चेहरे तत्कालीन सरकार की नीतियों की मुखालफत कर रहे थे तो शायद उन्हें भी यकीन नहीं रहा होगा इतना बड़ा जनसमर्थन मिलेगा। लेकिन जब उन्हें नजर आने लगा कि अगर लोगों की दिक्कतों को पेश कर वो बड़े समूह को अपने पक्ष में कर सकते हैं तो राजनीतिक दल बनाने की हसरत ने जमीनी आकार लेना शुरू किया। उस समय चूंकि सत्ता के केंद्र में कांग्रेस थी तो स्वाभाविक तौर पर विरोध कांग्रेस का ही होना था।

बीजेपी विरोध क्यों है जरूरी

जानकार कहते हैं कि इस समय देश के ज्यादातर विपक्षी दल इस बात को महसूस कर रहे हैं कि जानबूझकर बीजेपी ईडी और सीबीआई के जरिए बेजा दबाव बना रही है। इन दोनों एजेंसियों के जरिए बीजेपी अपने विजय रथ को बिना किसी बाधा दौड़ा रही है। बीजेपी के खिलाफ सख्त आवाज नहीं उठाने पर अस्तित्व पर संकट उठ खड़ा होगा। इस तरह के हालात में आम आदमी पार्टी को लगता है कि उसका विस्तार अब दिल्ली से बाहर पंजाब और गुजरात तक है और उसके में माद्दा है कि वो अखिल भारतीय स्तर पर कांग्रेस के कमजोर पड़ने के बाद उस जगह को भर सकती है, लिहाजा उसके नेता आक्रामक तौर पर बीजेपी पर हमला कर रहे हैं। अगर बात मानहानि की करें तो आप के बड़े नेताओं के खिलाफ किसी ना किसी स्तर पर केस चल रहे हैं। राजनीति का तकाजा है कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है। इस आधार पर अरविंद केजरीवाल यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि कुछ मुद्दों पर कांग्रेस से उनकी मतभिन्नता है। लेकिन जिस तरह से केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है वैसी सूरत में उनके लिए बीजेपी की मुखालफत करना वाजिब है।

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ललित राय author

खबरों को सटीक, तार्किक और विश्लेषण के अंदाज में पेश करना पेशा है। पिछले 10 वर्षों से डिजिटल मीडिया में कार्य करने का अनुभव है।और देखें

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