हरियाणा के सोनीपत में किसानों संग राहुल गांधी, नजर दिल्ली की गद्दी पर !
Rahul Gandhi News: हरियाणा के सोनीपत से दिल्ली की दूरी बहुत अधिक नहीं है। लेकिन दिल्ली की सत्ता बहुत दूर है। दिल्ली की सत्ता किसके हाथ में हो फैसला जनता करती है और उसी जनता के बीच राहुल गांधी पहुंचे। धान की रोपाई कर रहे किसानों संग संवाद किया।
हरियाणा के सोनीपत में धान के खेत में राहुल गांधी
Rahul Gandhi News: सियासत में अगर सत्ता ना मिले तो बड़े मकसद को जमीन पर कैसे उतारा जा सकता है। इस तरह की बातें सभी राजनीतिक दलों के नेता करते हैं। वो कहते हैं कि जब तक सत्ता हासिल नहीं होगी वो जरूरतमंदों की सेवा, देश के विकास के लिए क्या कुछ कर पाएंगे। यह बात अलग है कि सत्ता में आते ही राजनीतिक दलों की दूरी जनता से बढ़ जाती है। इन सबके बीच कांग्रेस के कद्दावर नेता राहुल गांधी एक बार फिर आम लोगों के बीच नजर आए। दिल्ली से शिमला जाते वक्त वो हरियाणा के सोनीपत में किसानों के बीच पहुंचे जहां धान की रोपाई चल रही थी। खेत की मेड़ पर खड़े हो वो किसानों को काम करते देखते रहे और उनके साथ संवाद भी किया। लेकिन यह उनके लिए कोई पहला अवसर नहीं था। इससे पहले वो ट्रक में यात्रा कर ड्राइवरों की परेशानी को समझने की कोशिश की तो दूसरी तरफ दिल्ली के करोलबाग जा मैकेनिक के साथ हाथ बंटाए और उसकी तकलीफ को समझने की कोशिश की। लेकिन सवाल यह है कि इसे सिर्फ संकेत समझा जाए या कांग्रेस को यकीन हो चला है कि जनता से बिना सीधे मिलकर बड़े स्तर की लड़ाई में जीत हासिल करना आसान नहीं है।
सोनीपत में धान के खेत में राहुल गांधी
राहुल गांधी सोनीपत जिले के गोहाना उपमंडल के गांव बरोदा मदीना के खेतों में सुबह अचानक पहुंचे। राहुल गांधी ने धान की रोपाई करने वाले किसानों से मुलाकात की वहीं राहुल गांधी ने धान भी लगाए और किसान का ट्रेक्टर भी धान के खेत में चलाया।राहुल गांधी के आने की किसी को सूचना नहीं दी।
आज सुबह सात बजे राहुल गांधी किसानों के बीच पहुंचे। वहीं सुरक्षा को देखते हुए मीडिया को वहां तक नहीं जाने दिया गया। राहुल गांधी काफी देर किसानों के बीच रहे वहीं किसानों से खेती के बारे में जानकारी ली और उनकी दिक्कतों के बारे में सुना।
ट्रैक्टर चलाते हुए राहुल गांधी
धान के खेत में राहुल गांधी
क्या कहते हैं जानकार
जानकार कहते हैं कि राहुल गांधी का ट्र्क में बैठकर सफर करना, मैकेनिक से मिलना, धान के खेत में किसानों संग होने का महत्व है। सत्ता से जब कोई दल एक दशक से दूर हो तो उसके पास इस तरह के विकल्प के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। राहुल गांधी इस तरह की तस्वीरों के जरिए संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि वो उनके कितने करीब हैं। सेंटीमेंट के तौर इसे पुख्ता हथियार के तौर पर देखा जाता है। लेकिन उस भावना को वोटों में तब्दील करने के लिए बेहतर संगठन की जरूरत होती है जो जमीन पर एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक प्रभावी हो। अगर कांग्रेस को देखें तो निश्चित तौर पर भारत जोड़ो यात्रा के जरिए यह संदेश देने की कोशिश कि भले ही हम कमजोर हों लेकिन बीजेपी का एकलौता और एकमात्र विकल्प हम हैं। कर्नाटक चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद हौसले बुलंद है। हालांकि उस आवेग को बनाए रखने की जरूरत होगी। अगर कांग्रेस के दूसरे नेता भी उदासी की छटा को छांट कर आगे बढ़ें तो 2024 में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।
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ललित राय author
खबरों को सटीक, तार्किक और विश्लेषण के अंदाज में पेश करना पेशा है। पिछले 10 वर्षों से डिजिटल मीडिया म...और देखें
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