सिर्फ कोरोमंडल एक्सप्रेस हुई थी हादसे का शिकार-रेलवे बोर्ड, जारी किया 139 हेल्पलाइन नंबर
Odisha Train Accident: ओडिशा के बालासोर हादसे के बाद आज (रविवार) को रेलवे बोर्ड की ओर से प्रेसवार्ता की गई। रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने बताया, इस हादसे के बाद हमारी पहली प्राथमिकता घायलों को तुरंत इलाज मुहैया कराना था।
Odisha Train Accident: ओडिशा रेल हादसे के बाद रेलवे बोर्ड की ओर से रविवार को प्रेसवार्ता की गई। रेलवे बोर्ड की सदस्य ऑपरेशन एंड बिजनेस डेवलपमेंट जया वर्मा सिन्हा ने बताया, रेलवे ने हादसे के बाद सबसे पहले राहत और बचाव कार्य किया उसके बाद मरम्मत का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया, बहानागा स्टेशन पर 4 लाइने हैं। इसमें 2 मेन लाइन है। लूप लाइन पर एक माल गाड़ी थी। स्टेशन पर ड्राइवर को ग्रीन सिग्नल मिली थी। दोनों गाड़ियां अपने पूरे गति पर चल रही थी। प्रारंभिक जांच में लग रहा है कि सिग्नल में गड़बड़ी हुई है।
उन्होंने बताया, घटना की चपेट में सिर्फ कोरोमंडल आई थी। मालगाड़ी पटरी से नहीं उतरी। चूंकि मालगाड़ी लौह अयस्क ले जा रही थी, इसलिए सबसे ज्यादा नुकसान कोरोमंडल एक्सप्रेस को हुआ। यह बड़ी संख्या में मौतों और चोटों का कारण है। कोरोमंडल एक्सप्रेस की पटरी से उतरी बोगियां डाउन लाइन पर आ गईं, और यशवंतपुर एक्सप्रेस की आखिरी दो बोगियों से टकरा गईं, जो डाउन लाइन से 126 किमी / घंटा की गति से पार कर रही थी।
दोषियों की हुई पहचान
रेलवे की अधिकारी जया वर्मा सिन्हा ने बताया, हादसे के प्रांरभिक कारण और इसके पीछे दोषियों की पहचान कर ली गई है। हालांकि, रेलवे सुरक्षा आयुक्त अभी भी डिटेल में जांच कर रहे हैं। उनकी रिपोर्ट आने के बाद ही इसके बारे में कुछ कहा जा सकता है।
जारी किया 139 हेल्पलाइन नंबर
रेलवे अधिकारी ने बताया, हादसे के बाद रूट के अलग-अलग स्टेशनों पर हेल्पडेस्क बनाई गई है। हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं। हालांकि, हमारा एक मेन हेल्पलाइन नंबर 139 उपलब्ध है। यह कोई कॉल सेंटर नंबर नहीं है, हमारे वरिष्ठ अधिकारी खुद कॉल का जवाब दे रहे हैं और हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, घायल या मृतक के परिवार के सदस्य हमें फोन कर सकते हैं और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि वे उनसे मिल सकें। उन्होंने कहा, घायलों को उनके घर तक भेजने और अन्य खर्चों को भी रेलवे वहन करेगा।
सिग्नल फेल होने की हो सकती हैं दो वजह
संदीप माथुर प्रिंसिपल एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर (सिग्नलिंग) ने बताया, लूप लाइन पर ट्रेन को ले जाने के लिए एक प्वाइंट होता है। उसे ऑपरेट करना होता है, जिससे यह तय होता है कि ट्रेन सीधी जाएगी या लूप लाइन पर जाएगी। सिग्नल इस तरीके से इंटरलॉक होते है कि इससे यह पता चल जाए कि आगे की लाइन व्यस्त नहीं है और रेल लूप लाइन पर जा रही है। सुरक्षित तरीके से ट्रेन को ले जाने के लिए यह बेहद अहम होता है। सिग्नलिंग की दिक्कत तब आती है, जब कोई रेलवे की बिना जानकारी के ट्रैक पर कोई काम करता है और खोदाई करता है। इससे संभव है कि केबल कट जाए और सिग्नल फेल हो जाए। दूसरा शॉर्ट सर्किट के कारण हो सकता है।
288 नहीं 275 लोगों की हुई मौत
ओडिशा के मुख्य सचिव प्रदीप जेना ने बताया, कल रेलवे ने साझा किया था कि मरने वालों की संख्या 288 हो चुकी है। कल रात DM और उनकी पूरी टीम ने एक-एक शव की जांच की। DM द्वारा डेटा की जांच की गई और पाया गया कि कुछ शवों की दो बार गिनती की गई है, इसलिए मरने वालों की संख्या को संशोधित कर 275 कर दिया गया है। 1,175 घायलों में से 793 को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई है।
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