Railway Coaches: रेलवे अब बनाएगा 'एंटी-इंजरी' कोच, दुर्घटना होने पर चोटों से बचेंगे

हालांकि, बदलावों को लागू होने में कुछ समय लगेगा, लेकिन उम्मीद है कि आने वाले महीनों में सभी कोच फैक्ट्रियां इसे अपना लेंगी।

रेल कोचों में चोट से बचेंगे यात्री

Anti-Injury Coaches: यात्रियों का सफर और सुरक्षित बनाने के लिए भारतीय रेलवे अब चोट-रहित (Anti Injury)फिटिंग वाले यात्री कोच बनाने पर विचार कर रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से बताया कि इस कदम का मकसद किसी अप्रिय घटना या अचानक ब्रेक लगने या झटके लगने की स्थिति में कोचों के अंदर मौजूद यात्रियों को चोटों से बचाना है। अधिकारी ने कहा कि अभी यात्री कोच के अंदर लगा एक कोट हैंगर मेटल का बना होता है और अचानक झटके या किसी घटना की स्थिति में अगर यात्री का सिर इससे टकराता है तो चोट लग सकती है। इसी तरह सामान रैक सहित यात्री डिब्बों के अंदर बहुत सारी फिटिंग के किनारे खुरदुरे होते हैं, जिन्हें अब भविष्य में सुधारा जाएगा।

कोच फैक्ट्री को दिए गए निर्देश

सूत्र के अनुसार, रेलवे बोर्ड ने भारतीय रेलवे की सभी कोच निर्माण इकाइयों से कोचों के लिए उपकरण खरीद की योजना बनाते समय इसे ध्यान में रखने के लिए कहा है। बदलावों को लागू होने में कुछ समय लगेगा, लेकिन उम्मीद है कि आने वाले महीनों में सभी कोच फैक्ट्रियां इसे अपना लेंगी। रेलवे बोर्ड का यह निर्देश उन प्रमुख रेल दुर्घटनाओं के बाद आया है, जिनमें इस साल कई लोगों की जान चली गई है। इसका उद्देश्य दुर्घटना या अचानक ब्रेक लगाने की स्थिति में चोटों की गंभीरता को कम करना है।

जर्मनी की तकनीक लागू करने पर विचार

भारतीय रेलवे आईसीएफ-डिजाइन (ICF) कोचों को लिंके हॉफमैन बुश (LLB) कोचों से बदलने पर विचार कर रहा है। जर्मन-डिजाइन एलएचबी कोचों में एंटी-क्लाइंबिंग विशेषताएं होती हैं जो पटरी से उतरने की स्थिति में कोचों को एक-दूसरे पर चढ़ने से रोकती हैं। भले ही भारतीय रेलवे वंदे भारत, वंदे भारत स्लीपर और आम आदमी के लिए नई पुश-पुल ट्रेन वंदे साधारण जैसी नई पेशकशों के साथ ट्रेनों की गति बढ़ाने पर विचार कर रहा है, लेकिन सुरक्षा पर भी ध्यान दे रहा है ताकि यात्रियों का सफर चिंतामुक्त और सुविधाजनक बन सके।

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