उद्धव ठाकरे की शर्तों पर राज ठाकरे की MNS के नरम रुख; तो क्या दोनों का साथ आना हुआ तय?
क्या उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे का साथ आना तय हो गया है? ये सवाल इसलिए खड़े हो रहे हैं, क्योंकि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) और शिवसेना (यूटीबी) के मिलन की बातें सामने आ रही हैं। इसी बीच उद्धव ठाकरे के शर्तों पर राज की पार्टी मनसे का नरम रुख देखने को मिला है।

राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे का होगा मिलन?
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर नया मोड़ आने वाला है। बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे अब अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे से मिलाप करने के लिए बेकरार नजर आ रहे हैं। कभी भाजपा के अमित शाह, देवेंद्र फडणवीस, तो कभी एकनाथ शिंदे के साथ मुलाकात को लेकर सुर्खियां बंटोरने वाले राज ठाकरे अब अपने भाई से मिलने और उनके साथ आने के लिए व्याकुल दिख रहे हैं। तभी तो उद्धव ठाकरे की शर्तों पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का नरम रुख देखने को मिल रहा है।
उद्धव की शर्तों पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का नरम रुख
MNS के महासचिव और मुम्बई अध्यक्ष संदिप देशपांडे का बयान सामने आया है। MNS ने कहा है कि उद्धव शर्ते न रखें, जैसे DMK और AIADMK कावेरी के मुद्दे पर साथ आए थे, उसी तरह महाराष्ट्र के लिए साथ आए। सिर्फ चुनावी गठबंधन के बजाय मराठी अस्मिता और महाराष्ट्र के समग्र हित के बारे में उद्धव ठाकरे विचार करें।
उन्होंने कहा कि राज ठाकरे ने साथ आने का जो प्रस्ताव दिया है, उसे बहुत बड़े आयाम में देखना चाहिए। राज ठाकरे की बातों को सिर्फ चुनावी गठबंधन तक सीमित रखकर देखना उचित नहीं होगा। जैसे तमिलनाडु में डीएमके और AIADMK के एक दूसरे के खिलाफ लड़ते हैं लेकिन जब कावेरी नदी का मुद्दा आता है, तब दोनों साथ आ जाते हैं। इसी तरह महाराष्ट्र के व्यापक हित के लिए बारे में सूचना जरूरी है।
मनसे ने मराठी लोगों का रोजगार छीनने का लगाया आरोप
अगर दोनों भाई साथ आते हैं तो हमें खुशी ही होगी लेकिन वो शर्तें नहीं रख सकते हैं। अब कोई पार्टी या नेता हमें यह ना बताए कि वो गद्दार है, उनसे बात मत करो, वो महाराष्ट्र द्रोही है, उससे बात मत करो, यह नहीं चलेगा। जिस तरह से हिंदी को लादने का प्रयास किया जा रहा है। जिस तरह से बाहरी लोग आकर मराठी लोगों का रोजगार छीन रहे हैं, जिस तरह महाराष्ट्र के रोजगार बाहर जा रहे हैं। इन सभी मुद्दों पर सोचना बहुत जरूरी है। इसीलिए राज ठाकरे के प्रस्ताव को सिर्फ चुनाव तक सीमित देखना यह छोटी सोच होगी।
हाल फिलहाल में कई ऐसे मामले सामने आए, जिसमें राज ठाकरे की मनसे के कार्यकर्ताओं ने मराठी में बात न करने पर खुलेआम लोगों की पिटाई कर रहे हैं, उनके साथ बदसलूकी कर रहे हैं। ऐसे तमाम वीडियो भी सामने आए हैं। इस बीच मनसे का ये दावा कि 'हिंदी को लादने का प्रयास किया जा रहा है' ये जाहिर करती है कि उनकी राजनीति का मुद्दा मराठी से संबंधित ही रहने वाला है।
शरद पवार की बेटी ने कहा, इसका स्वागत किया जाना चाहिए
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) की सांसद सुप्रिया सुले ने शनिवार को कहा कि अगर अलग हुए चचेरे भाई राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के हित में फिर से एक साथ हो जाते हैं तो इसका ‘‘पूरे दिल से स्वागत’’ किया जाना चाहिए। सुले ने दोनों चचेरे भाइयों के बीच सुलह की संभावना के बारे में लगाई जा रही अटकलों पर प्रतिक्रिया देते हुए यह बात कही।
मनसे नेता राज ठाकरे और उनके चचेरे भाई एवं शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच संभावित राजनीतिक सुलह की अटकलों को उस समय बल मिला, जब दोनों के बयानों से संकेत मिला कि वे ‘‘मामूली मुद्दों’’ को नजरअंदाज कर सकते हैं और लगभग दो दशक के अलगाव के बाद हाथ मिला सकते हैं। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने कहा कि उनके पिछले मतभेद ‘‘मामूली’’ हैं और ‘मराठी मानुष’ के व्यापक हित के लिए एकजुट होना कोई मुश्किल काम नहीं है। शिवसेना (उबाठा) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह छोटी-मोटी बातों और मतभेदों को नजरअंदाज करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते कि महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करने वालों को कोई महत्व नहीं दिया जाए।
सुले ने संवाददाताओं से कहा, 'राज ठाकरे ने कहा है कि महाराष्ट्र में हो रहा विवाद उनके विवाद से बड़ा है। यह मेरे लिए खुशी की खबर है.... अगर (दिवंगत शिवसेना संस्थापक) बाल ठाकरे हमारे बीच होते तो वह आज बहुत खुश होते।' उन्होंने कहा, 'अगर दोनों भाई महाराष्ट्र के हित के लिए फिर से एकजुट हो रहे हैं तो हमें इसका तहे दिल से स्वागत करना चाहिए।'
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