राजस्थान में फिर गहलोत-पायलट आमने-सामने, चिंतन और मिशन-23 में कौन पड़ेगा भारी !

Sachin Pilot and Ashok Gehlot Tussle in Rajasthan: सचिन पायलट की नागौर रैली से साफ है कि वह शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं, और अशोक गहलोत से लेकर आलाकमान को यह संदेश देना चाहते हैं कि राजस्थान में कांग्रेस का असली चेहरा वही हैं।

sachin pilot

सचिन पायलट नागौर में रैली करते हुए

Sachin Pilot and Ashok Gehlot Tussle in Rajasthan: राजस्थान में विधानसभा चुनाव में बमुश्किल 8-9 महीने का समय रह गया है। और उसको लेकर कांग्रेस में एक बार फिर खींचतान दिख रही है। पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक बार फिर आमने-सामने दिख रहे हैं। गहलोत जहां चिंतन शिविर के जरिए जनता की नब्ज पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं उनके विरोधी और कांग्रेस पार्टी के साथी सचिन पायलट जनता के बीच संवाद के लिए पहुंच गए हैं। जाहिर है दोनों नेता अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं। इस बीच दोनों नेताओं की कवायद पर कांग्रेस आलाकमान नजर बनाए हुए हैं। ऐसे में देखना यही है कि आलाकमान 2023 के विधानसभा चुनाव अशोक गहलोत के नेतृत्व में लड़ता है या फिर सचिन पायलट की अगुआई में चुनाव मैदान में उतरता है।

सचिन पायलट और अशोक गहलोत फिर आमने-सामने

इस बीच सचिन पायलट ने 16 जनवरी से राजस्थान के अलग-अलग जिलों में जनता के बीच पहुंचने की कवायद शुरू कर दी है। इसके तहत पायलट

16 से 20 जनवरी के बीच नागौर,हनुमानगढ़, झुनझुनू,पाली और जयपुर में जनसंपर्क करने का ऐलान किया है। सचिन पायलट की नागौर रैली से साफ है कि वह शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं, और अशोक गहलोत से लेकर आलाकमान को यह संदेश देना चाहते हैं कि राजस्थान में कांग्रेस का असली चेहरा वही हैं।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी जयपुर में 2 दिन का चिंतन शिविर शुरू कर दिया है। जिसमें सरकार के कामकाज के साथ-बजट के ऐलान की समीक्षा की जाएगी। गहलोत और पायलट का एक ही दिन मैदान में उतरने से साफ है कि दोनों नेता फिर से अलग-अलग राह पर निकल पड़े हैं।

कांग्रेस आलाकमान की नजर

जिस तरह सचिन पायलट ने अकेले ही युवा और किसानों के रैली निकालनी शुरू की है, उससे यह साफ है कि उनके और गहलोत के बीच मतभेद अभी सुलझे नहीं हैं। और आलाकमान भी उस नजर बनाए हुए हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, आलाकमान को इस बात का भरोसा है कि पायलट पार्टी के खिलाफ नहीं जाएंगे। लेकिन उनके हर कदम पर पार्टी नजर बनाए हुए हैं। और पार्टी दोनों नेताओं की खींचतान को देखते हुए कोई रास्ता निकालने की कोशिश कर रही हैं। ऐसे में अभी दोनों नेताओं को लेकर आलाकमान कोई ठोस फैसला करने के मूड में नहीं दिख रहा है।

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