Rajasthan: क्या है 'एक बार कांग्रेस, एक बार बीजेपी' वाला फॉर्मूला? समझिए चुनावी गणित

BJP vs Congress In Rajasthan Chunav: राजस्थान में 30 साल पहले वर्ष 1993 में एक फॉर्मूला सेट हुआ। जनता ने कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही बारी-बारी से मौका देती है और 5 साल बाद सरकार बदल देती है। इस चुनावी गणित में पास होने के लिए दोनों ही पार्टियां खूब मेहनत करती हैं, मगर पिछले 30 साल में सभी फेल हो गए।

क्या इस बार राजस्थान में टूट जाएगा 30 सालों का रिकॉर्ड?

5 Year Politics of Rajasthan: राजस्थान में ऐसा क्या हुआ जो हर विधानसभा चुनाव में 5 साल भाजपा और 5 साल कांग्रेस को मौका देने का सिलसिला शुरू हो गया। अगर ये समझना है तो तीस साल पहले चलना होगा। जब 1990 के बाद 1993 में लगातार दूसरी बार भाजपा ने सरकार बनाया। भैरो सिंह शेखावत भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में लगातार दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बनें। इसी के बाद से ये सिलसिला शुरू हुआ। पहले आप हर चुनाव का गणित समझिए, उसके बाद आपको आगामी चुनाव के फैक्टर समझाते हैं।

कैसा रहा राजस्थान विधानसभा का गणित?

फागुन का महीना था, 15 मार्च 1990... यही वो तारीख थी जब राजस्थान में पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने अपना पहली बार अपना मुख्यमंत्री बनाया था। राज्य की नौवीं विधानसभा के लिए हुए चुनाव में भाजपा ने 200 में से 84 सीटों पर जीत हासिल की। जनता दल ने 54 सीटें जीतीं। वो दौर कांग्रेस में बगावत का दौर था, 1990 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को महज 62 सीटें मिली। भैरो सिंह शेखावत को मुख्यमंत्री बनाया गया। हालांकि शेखावत पहली बार जनता पार्टी से 1977 में राजस्थान के मुख्यमंत्री रह चुके थे। दो-दो बार उनके सीएम रहते हुए प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग गया। पहली बार 1980 में और दूसरी बार 1992 में... इसके बाद साल 1993 में दोबारा विधानसभा चुनाव कराए गए। ये आखिरी बार था जब चुनाव में किसी पार्टी ने दोबारा जीतकर सरकार बनाई हो। इसके बाद राजस्थान में कभी ऐसा नहीं हुआ।

राजस्थान विधानसभा चुनाव 1993

भाजपा+ को 124 सीटों पर जीत मिली

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