कलिनिनग्राद में INS तुशिल के जलावतरण के साक्षी बने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, फ्रिगेट की ताकत देख गदगद हुए रक्षा मंत्री

Commissioning Ceremony of INS Tushil : भारतीय नौसेना के बेड़े में INS तुशिल सोमवार को शामिल हो गया। इससे नौसेना की ताकत और बढ़ गई। रूसी शहर कलिनिनग्राद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और नौसेना प्रमुख की उपस्थिति में आईएनएस तुशिल का जलावतरण हुआ।

आईएनएस तुशिल का हुआ जलावतरण।

Commissioning Ceremony of INS Tushil : भारतीय नौसेना के बेड़े में INS तुशिल सोमवार को शामिल हो गया। इससे नौसेना की ताकत और बढ़ गई। रूसी शहर कलिनिनग्राद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और नौसेना प्रमुख की उपस्थिति में आईएनएस तुशिल का जलावतरण हुआ। इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बने राजनाथ सिंह ने X पर अपने एक पोस्ट में कहा कि 'INS तुशिल का जलावतरण देख आनंदित हूं। यह नवीनतम मल्टी रोल स्टील्थ फीचर से लैस गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट है।' रक्षा मंत्री ने कहा कि यह युद्धपोत भारत की बढ़ती सामुद्रिक ताकत और भारत-रूस की दोस्ती का जीता जागता प्रमाण है।

2016 में रूस के साथ हुआ था समझौता

आईएनएस तुशिल से हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की अभियानगत क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। इस क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में चीन की नौसेना की गतिविधियां बढ़ी हैं। इस युद्धपोत का निर्माण रूस में 2.5 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के समझौते के तहत किया गया है। भारत ने नौसेना के लिए चार ‘स्टील्थ फ्रिगेट’ को लेकर 2016 में रूस के साथ यह समझौता किया था। इस समझौते के तहत, दो युद्धपोतों का निर्माण रूस में किया जाना था, जबकि अन्य दो का निर्माण भारत में किया जाना था।

विशेषज्ञों की एक भारतीय टीम ने बारीकी से नजर रखी

समारोह में अपने संबोधन में सिंह ने युद्धपोत के जलावतरण को भारत की बढ़ती समुद्री ताकत का गौरवपूर्ण प्रमाण तथा रूस के साथ दीर्घकालिक संबंधों में महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा, ‘यह जहाज रूसी और भारतीय उद्योगों की सहयोगात्मक क्षमता का एक बड़ा प्रमाण है। यह संयुक्त कौशल के माध्यम से तकनीकी उत्कृष्टता की ओर भारत की यात्रा का उदाहरण है।’ सिंह ने कहा कि भारत और रूस कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष अन्वेषण और आतंकवाद-रोधी जैसे क्षेत्रों में एक-दूसरे की विशेषज्ञता का लाभ उठाकर सहयोग के ‘नए युग’में प्रवेश करेंगे। जहाज के निर्माण पर कलिनिनग्राद में तैनात ‘युद्धपोत निगरानी दल’ के विशेषज्ञों की एक भारतीय टीम ने बारीकी से नजर रखी।

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