चीन-पाकिस्तान के नाकाब मंसूबों पर फिरेगा पानी, देश को मिले '75 रक्षा कवच'
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की ओर से निर्मित 75 परियोजनाओं का उद्घाटन कर जनता को समर्पित किया। इस दौरान जिन परियोजनाओं की शुरूआत की गई है वो सामरिक दृष्टि से अहम मायने रखती हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश को सौंपे बीआरओ के 75 स्ट्रैटेजिक प्रोजेक्ट्स
- LAC पर लड़ाकू विमानों के लिए तैयार हुआ एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड,
- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश को सौंपे बीआरओ के 75 स्ट्रैटेजिक प्रोजेक्ट्स
- भारत-चीन बॉर्डर पर ही पांच सालों में बन चुकी हैं 2088.57 किलोमीटर की सड़कें
New Delhi: चीन (China) और पाकिस्तान (Pakistan) से लगी भारत की सीमाओं को आज 75 नए इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट (Infrastructure Project) मिल रहे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) लेह लद्दाख (Leh Ladakh) के अपने 2 दिन के दौरे पर बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) के इन प्रोजेक्ट्स को देश को समर्पित कर रहे हैं। इन प्रोजेक्ट्स में 44 ब्रिज , 28 रोड, 2 हैलीपैड (Helipad) और एक ज़ीरो कार्बन हैबिटेट शामिल है। खास बात यह है कि यह सभी सड़कें ब्रिज (Bridge) और हेलीपैड एलएसी के उन इलाकों से बेहद नजदीक है जहां भारत और चीन पिछले 2 सालों से आमने-सामने है।
हैलीपैड होंगे कारगर साबितभारतीय सेना के डेप्लॉयमेंट्स और मोबिलाइजेशन के लिए यह स्ट्रैटेजिक सड़कें और हेलीपैड बेहद कारगर साबित होंगे। चीन भी एलएसी के नजदीक और पीओके के पास लगातार अपनी सड़कों का जाल बन रहा है और भारत उसे उसी के अंदाज में जवाब देते हुए रिकॉर्ड संख्या में ऑल वेदर सड़कें तैयार कर रहा है। भारत 2023 नॉर्दन बॉर्डर्स पर 272 सड़कों के निर्माण कर लेगा जिसके लिए काम तेजी से जारी है। जिन 75 प्रोजेक्ट की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लेह लद्दाख से कर रहे हैं उनमें पश्चिमी और उत्तर पूर्वी सीमाओं के अलग-अलग प्रोजेक्ट शामिल है।
इन राज्यों में अहम प्रोजक्टअगर ब्रिज की बात करें तो सबसे ज़्यादा 12 ब्रिज जम्मू कश्मीर में , 7 लद्दाख, 3 हिमाचल, 6 उत्तराखंड, 2 सिक्किम और 13 अरुणाचल प्रदेश में तैयार हुए हैं। वहीं सड़कों की बात करें तो 6 रोड राजस्थान में ,1 पंजाब , 7 जम्मू कश्मीर, 8 लद्दाख, 2 सिक्किम और 4 अरुणाचल प्रदेश में है। इसके अलावा 2 हैलिपैड लद्दाख में बनाए गए हैं जिनमें से एक न्योमा में है जो एलएसी से बेहद नजदीक है। न्योमा के पास हानले में एक जीरो कार्बन हैबिटेट भी तैयार किया गया है जो भीषण ठंड में एलएसी पर तैनात जवानों को आरामदायक लिविंग शेल्टर देगा। पिछले पांच सालों में बॉर्डर इलाकों में सड़कें बनाने का काम तेजी से हुआ है।
सरकार की तरफ से सदन में दी गई जानकारी के मुताबिक भारत-चीन बॉर्डर पर ही पांच सालों में 2088.57 किलोमीटर की सड़कें बनी हैं।
इसी तरह भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर 1336.09 किलोमीटर की सड़कें पांच साल के भीतर बनी हैं।इसके अलावा भारत- म्यांमार बॉर्डर पर 151.15 किलोमीटर सड़कें बनीं और भारत- बांग्लादेश बॉर्डर पर 19.25 किलोमीटर की सड़कें तैयार की गई हैं। वहीं चीन पूरे तिब्बत में सड़कों का जाल बिछाने में जुटा है।
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