पीएम मोदी के भाषण के साथ ही राज्यसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, सभापति ने विपक्ष के रवैये पर उठाए सवाल
उच्च सदन में 28 जून को भाजपा के सुधांशु त्रिवेदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पेश कर चर्चा की शुरूआत की थी। इसके बाद उच्च सदन में धन्यवाद प्रस्ताव पर तीन जुलाई तक चर्चा चली।
राज्यसभा स्थगित
Rajya Sabha adjourned Sine Die: राज्यसभा की बैठक को बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। उच्च सदन में राष्ट्रगीत की धुन बजाये जाने के बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा के 264वें सत्र को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने की घोषणा की। वर्तमान सत्र में 27 जून को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित किया था।
नारेबाजी, हंगामा और भाग जाना...यही उनके नसीब में लिखा है, राज्यसभा में विपक्ष के वॉकआउट पर बोले मोदी
28 जून को चर्चा शुरू हुई थी उसी दिन उच्च सदन के पटल पर राष्ट्रपति के अभिभाषण की प्रति रखी गई। उसी रोज प्रधानमंत्री ने अपनी नयी मंत्रिपरिषद का परिचय उच्च सदन में करवाया। उच्च सदन में 28 जून को भाजपा के सुधांशु त्रिवेदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पेश कर चर्चा की शुरूआत की थी। इसके बाद उच्च सदन में धन्यवाद प्रस्ताव पर तीन जुलाई तक चर्चा चली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज उच्च सदन में इस चर्चा का करीब दो घंटे तक जवाब दिया।
सभापति ने कहा, वरिष्ठ सांसदों ने भी बाधा डाली सत्र के समापन पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि सत्र की कार्यवाही कई बार बाधित की गई। वरिष्ठ सांसद भी कार्यवाही बाधित करने में गैर-जिम्मेदारी भर बर्ताव करते रहे। नेता प्रतिपक्ष ने भी वेल में आने का दुर्भाग्यपूर्ण काम किया। आज का बहिर्गमन भी लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ था।
राज्य सभा के 264वें सत्र के कामकाज का लेखा-जोखा देते हुए सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि राज्य सभा का 264वां सत्र राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ शुरू हुआ। धन्यवाद प्रस्ताव पर 21 घंटे चली चर्चा में 76 सांसदों ने हिस्सा लिया। धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में सभी पक्षों ने हिस्सा लिया लेकिन कई बार व्यवधान को लेकर मुझे कड़ी टिप्पणी करनी पड़ी। वरिष्ठ सांसदों का गैर जिम्मेदाराना रवैया निराशाजनक है. व्यवधान से सूचीबद्ध कामकाज बाधित होता है और सदन की गरिमा की हानि होती है।
विपक्ष ने किया हंगामा और वॉकआउट
इससे पहले राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर राज्यसभा में बोलते समय विपक्षी सांसदों ने 'एलओपी को बोलने दो' के नारे लगाए। विपक्ष ने आरोप लगाया कि विपक्ष के नेता को बोलने नहीं दिया गया। इसके साथ ही विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया। इसे लेकर सभापति ने नाराजगी जताई। विपक्ष के बहिर्गमन को अत्यंत दर्दनाक और पीड़ादायक करार देते हुए उच्च सदन के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उन्होंने यह अनुरोध किया था कि नेता प्रतिपक्ष को चर्चा के दौरान बिना रोक-टोक, बोलने का सुअवसर दिया जाए। उन्होंने कहा, आज वे (विपक्ष) सदन को छोड़कर नहीं गये हैं, मर्यादा छोड़कर गये हैं। आज उन्होंने मुझे पीठ नहीं दिखाई है, भारतीय संविधान को पीठ दिखाई है। उन्होंने आज मेरा और आपका अनादर नहीं किया है बल्कि उस शपथ का अनादर किया है जो संविधान के तहत ली गई है।
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करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें
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